बच्चों में तेजी से बढ़ रहा अस्थमा, सही प्रबंधन से करें नियंत्रण Publish Date : 25/12/2023
बच्चों में तेजी से बढ़ रहा अस्थमा, सही प्रबंधन से करें नियंत्रण
डा0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
दुनिया के कई शहर भीषण प्रदूषण की चपेट में है और प्रदूषण के चलते शहरी बच्चों में अस्थमा भी तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में यदि वायु की गुणवत्ता में सुधार हुआ तो बच्चों में अस्थमा के दौरे बढ़ सकते हैं। “द लाइंस प्लेनेटरी हेल्थ” में प्रकाशित अध्ययन में यह जानकारी प्रदान की गई है। अध्ययन के अनुसार हवा में मौजूद धुएं और धूल के बारीक कण, बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं। इसका सर्वाधिक खतरा उन बच्चों में अधिक पाया गया है जो कम विकसित शहरी इलाकों में रहते हैं।
इस अध्ययन में 6 से 17 साल की उम्र के 208 बच्चों को शामिल किया गया था, जो अस्थमा से पीड़ित थे। यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट के कार्यवाहक निदेशक डॉक्टर ह्यूग औचिनक्लॉस ने कहा कि सभी प्रकार के प्रदूषक बच्चों की स्वास्थ्य नली को प्रभावित करते हैं, जिससे अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है। प्रदूषण के कारण बच्चों की श्वास की नाली में सूजन आ जामी है और इससे चारों ओर की मांसपेशियां सिकुड़ रही है और इनमें कफ जल्दी भर जाता है।
भारत में क्या है स्थिति अस्थमा की
‘‘भारत में बच्चों में पैट्रियोटिक अस्थमा सबसे आम है, जिससे लगभग 7.9 फ़ीसदी बच्चे पीड़ित हैं। माता-पिता में जागरूकता की कमी हालात को ज्यादा खराब कर रही है। हालांकि अस्थमा के पीड़ित बच्चों की संख्या को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक डाटा भी उपलब्ध नहीं है।’’
तीन गुना से अधिक खतरा
लगभग 30 फ़ीसदी बच्चों में अस्थमा के दौरे वायरस के स्थान पर प्रदूषण के कारण होते हैं, जो शहरी क्षेत्र में रहने वाले बच्चों में 2 से 3 गुना अधिक है। जबकि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे अधिक स्वस्थ पाए गए हैं।
यह भी है कारण
- दूसरे लोगों द्वारा धूम्रपान करने तथा लगातार सिगरेट पीने से निकलने वाला धुआं भी है एक कारण।
- वायरस फेफड़ों को संक्रमित करते हैं, जो अस्थमा के लिए एक बड़ी वजह होती है।
- बच्चे, वंशानुगत भी हो सकते हैं पीड़ित।
- एंटीबायोटिक का अधिक इस्तेमाल करना भी बच्चों में अस्थमा का खतरा बढ़ा देता है।
लेखकः डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा, जिला अस्पताल मेरठ के मेडिकल ऑफिसर हैं।