अभी इस रोग से घबराने की जरूरत नहीं Publish Date : 21/12/2023
अभी इस रोग से घबराने की जरूरत नहीं
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
चीन में फैली रहस्यमयी बीमारी को देखते हुए अपने देश में भी जरूरी दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। राज्य सरकारों से वह कहा गया है कि वे अपने यहां अस्पतालों को पूरी तरह से तैयार रखें। हालांकि, भारत में ऐसी किसी नई बीमारी का कोई मरीज नहीं मिला है, लेकिन फिर भी इन तैयारियों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि चीन में कुछ गंभीर बात हुई है। परन्तु क्या वास्तव में ऐसा ही है? संभवतः ऐसा कुछ नहीं, अभी तक जो भी रिपोर्ट्स आई हैं, उनके अनुसार, अभी चीन में किसी नए वायरस से संक्रमण के फैलने की पुष्टि अभी नहीं है।
पुराने वायरस और बैक्टीरिया के कारण ही बच्चों में फेफड़े के संक्रमण और निमोनिया रोग हो रहे हैं, इसलिए इससे ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसे में तो बस केवल सतर्क ही रहना होगा, ताकि किसी आपात स्थिति में हमें आधी-अधूरी तैयारी का खामियाजा न भुगतना पडें।
एक अच्छी बात यह भी है कि चीन ने इन्फ्लूएंजा और माइकोप्लाज्मा निमोनिया की बात कही है। माइकोप्लाज्मा निमोनिया का एंटीबायोटिक से इलाज किया जा सकता है, अतः अभी इस बीमारी से ज्यादा मौत होने की खबरें नहीं है। अब सवाल है कि अभी वहां संक्रमण अचानक क्यों फैल है? दरअसल, चीन का यह पहला साल है, जब सर्दियों के मौसम में कोविड से जुड़े प्रतिबंध लागू नहीं है। ऐसा कई देशों में यह देखा गया है कि जब कोविड प्रतिबंध हटे, तब वहां अचानक संक्रमण में तेजी के साथ वृद्धि हुई।
चीन का मामला भी कुछ-कुछ ऐसा ही है। यहाँ संक्रमण तो जरूर फैल रहा है, लेकिन जल्द ही यह शांत भी जाएगा और वहां की स्थितियां पूर्ववत सामान्य भी हो जाएंगी। वैसे भी, निमोनिया एक ऐसी बीमारी है, जो मौसम के बदलने व सर्दियों में सामान्य रूप से होती ही है और इस बीमारी के ज्यादातर मरीज पांच से सात दिनों में ठीक भी हो जाते हैं, इसलिए घबराने की बिल्कुल जरूरत नहीं है।
कहने वाले भले ही चीन की आलोचना करते रहें, लेकिन अब चीन ने यह बताया है कि उसके यहाँ भी अब निमोनिया के मामले अब धीरे-धीरे कम हो रहे हैं। वहां के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने अपने बयान में साफ कहा है कि बच्चों को नुकसान पहुंचाने वाले इस वायरस में कमी आई है, लेकिन यह बीमारी सर्दी से लेकर वसंत तक परेशान करती ही रहेगी। अतः हमें चीन की इस सफाई को स्वीकार करना चाहिए।
चीन ने यह पारदर्शिता उस समय दिखाई है, जब उस पर यह आरोप बराबर लगाया जाता रहा है कि उसने कोविड जांच में पर्याप्त सहयोग नहीं दिया और अब तक यह पता नहीं चल सका है कि आखिर पूरी दुनिया को बीमार करने वाला कोरोना वायरस पैदा कैसे हुआ? खैर, सच जो भी हो, लेकिन अभी हमें इसके लिए ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। वैसे भी, हमारे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कहीं ज्यादा है।
नई-नई बीमारियों की फैक्टरी बनता चीन
वर्तमान में चीन, दुनिया में नई-नई समस्याओं और बीमारियों की फैक्टरी बनता जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में तो स्थिति कुछ ऐसी रही है कि दुनिया में कोई भी नई बीमारी फैली, तो उंगली चीन पर ही उठी। साल 2019 की कोरोना महामारी तो इसका सबसे वीभत्स उदाहरण है, जिसने दुनिया ने इतनी तबाही मचाई, जितनी पिछले 100 वर्षों के दौरान कभी नहीं मची थी।
अमेरिका, यूरोप जैसी सभी महाशक्तियां इसके सामने घुटने पर आ गई थीं। अब एक बार फिर से चीन में एक बीमारी फैल रही है, जिसने वहां के अस्पतालों पर मरीजों का बोझ बढ़ा दिया है। इससे स्वाभाविक तौर पर दुनिया भर में डर पसर रहा है। लोग तो यही सोच रहे हैं कि क्या यह बीमारी भी कोरोना की तरह दुनिया को तबाह करने में सक्षम है?
चीन की इस बीमारी को काफी हद तक निमोनिया से मिलता-जुलता बताया जा रहा है, जबकि इसके फैलने की गति निमोनिया से काफी ज्यादा है। चीन में फैली यह बीमारी खासतौर पर बच्चों को अपना शिकार बना रही है। ऐसे में यह आशंका भी निर्मूल नहीं है कि तेजी से फैलती यह बीमारी महामारी का रूप भी ले सकती है।
इसका संक्रमण इतनी तेजी से और इतनी बड़ी आबादी में फैल चुका है कि अस्पतालों में मरीजों को बेड तक मिल पाना मुश्किल हो गया है। अगर किसी क्लास के बच्चों में ऐसे लक्षण दिखते हैं, तो पूरी क्लास की छुट्टी कर दी जा रही है। कई जगहों पर तो स्कूल ही बंद कर दिए गए हैं। दिक्कत तो यह है कि लोगों को भी यह समझ में नहीं आ रहा कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि यह रोग इतनी तेजी से फैल रहा है।
इसी कारण से भारत में भी चिंता बढ़ गई है और सरकार ने उचित ही समय पूर्व दिशा-निर्देश जारी करके राज्य सरकारों को सावधान हो जाने के लिए कहा है। शक तो इस बात को लेकर भी है कि कहीं यह बीमारी भी कोरोना की तरह से ही किसी प्रयोग का नतीजा न हो, क्योंकि कोविड-19 संक्रमण पर किए गए कुछ अध्ययन तो यही बताते हैं कि बुहान के प्रयोगशाला से कोविड-19 का वायरस फैला था। ऐसे आरोपों पर चीन की चुप्पी और सच छिपाने की मंशा के चलते चीन के प्रति अविश्वास को बढ़ा देती है, और तब लगता है कि दाल में जरूर कुछ काला है।
चूंकि चीन हमारा पड़ोसी देश है, और वहां जो कुछ होता है, उसका सीधा असर हमारे देश पर भी पड़ता है, इसलिए हमारी सरकार चीन की इस बीमारी पर नजर बनाए हुई है, और आम लोगों को वह भरोसा दे रही है कि इसके फिलहाल भारत में फैलने की आशंका काफी कम है। सरकार की ओर दिया गया ऐसा आश्वासन भी कारगर साबित हो रहा है।
लेखकः डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर हैं।