बढ़ती ठंड और प्रदूषण के बीच बचकर रहे निमोनिया के संक्रमण से Publish Date : 10/11/2023
बढ़ती ठंड और प्रदूषण के बीच बचकर रहे निमोनिया के संक्रमण से
डॉ दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
12 नवंबर विश्व निमोनिया दिवस पर विशेष
अब ठंड धीरे-धीरे बढ़ना शुरू हो गई है और जब ठंड़ अधिक बढ़ जायेगी तो इससे लोगों को जिनमें विशेषकर हमारे बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं या पहले से ही किसी अन्य बीमारी से पीड़ित लोगों को सावधान रहने की आवश्यकता होती है क्योंकि बढ़ते प्रदूषण और सर्दी के कारण ऐसे लोग निमोनिया के संक्रमण से पीड़ित हो सकते हैं। निमोनिया से संक्रमित व्यक्ति को उसके जीवन को खतरा भी उत्पन्न हो सकता है। अतः इस मौसम में केवल सतर्क रहकर ही निामेनिया संक्रमण से बचकर रहा जा सकता है।
यदि निमोनिया को आसान शब्दों में समझने की कोशिश की जाए तो यह संक्रमण के कारण फेफड़ों में सूजन आ जाने की एक समस्या होती है। यह संक्रामक वायरस बैक्टीरिया या फंगल इन्फेक्शन भी हो सकता है। वैसे आमतौर पर सबसे अधिक मामले बैक्टीरिया जनित होते हैं, और इसकी शुरुआत वायरल संक्रमण से होती है। फेफड़ों में संक्रमण होने पर बुखार, सीने में दर्द, खांसी और सांसा की तकलीफ जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। हालांकि कुछ मामलों में लक्षण थोड़े गंभीर भी हो जाते हैं और कुछ ही मामलों में आईसीयू और वेंटीलेटर की जरूरत की जा सकती है।
कैसे पहचाने यह बीमारी
यदि लंबे समय तक आपको बुखार रहता है, सीने में दर्द और सांस की दिक्कत बनी रहती है तो आपको निमोनिया की जांच करानी चाहिए। आमतौर पर एक्स-रे करने पर 80 प्रतिशत तक जानकारी मिल जाती है, लेकिन 25 से 30 प्रतिशत मामलों में निमोनिया एक्स-रे से पकड़ में नहीं आता, तो उसकी पहचान के लिए स्कैन की जरूरत होती है। प्रचलित बैक्टीरिया को देखते हुए दवाएं शुरू की जाती है। स्वाइन फ्लू और कोविड-19 के संक्रमण में भी निमोनिया होता है और यह सब वायरल निमोनिया के ही लक्षण है। जिन लोगों को कोविड हुआ है, उनको और अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता होती है।
निमोनिया के लिए वैक्सीन है एक बेहतर उपाय
नींबू का कल वैक्सीन निमो-23 और त्रिविनार-13 आदि वैक्सीन को लगाने से निमोनिया को गंभीर होने से रोका जा सकता है। जिन लोगों को फेफड़े, हृदय और किडनी आदि की समस्या के जैसी कोई क्रॉनिक बीमारी है, उन्हें यह वैक्सीन लगाने की सलाह दी जाती है। साथ ही जिन लोगों की उम्र 65 वर्ष के पार हो चुकी है और वह किसी भी तरह की बीमारी से ग्रस्त हैं तो उनको यदि यह वैक्सीन लगाई जाती है, तो यह वैक्सीन निमोनिया से सुरक्षा प्रदान करती है।
निमोनिया का उपचार कब और कैसे हो
आमतौर पर यह देखा गया है कि निमोनिया से पीड़ित व्यक्तियों का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं के माध्यम से किया जाता है। जबकि वायरल निमोनिया के केस में एंटीवायरस दवाई दी जाती हैं। ठंड में लोग बंद कमरों में रहते हैं और प्रदूषण अधिक होता है जिसके चलते निमोनिया के मामलों में तेजी देखी जाती है।
निमोनिया से बचने के लिए बढ़ाएं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता
जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है उन्हें निमोनिया के होने की शंका लगातार बनी रहती है, जबकि अधिक उम्र के लोगों में यह खतरा अधिक होता है। अगर गले में बैक्टीरिया संक्रमण है और वह गले के नीचे चला जाए, तो निमोनिया का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में जरूरत इस बात की होती है कि ऐसे लोग अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं। इसके लिए अपने खान-पान में चेंज करें और जो भी खाद्य सामग्री प्रभावित व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकती हैं उन लोागें को ऐसी चीजों का सेवन करना चाहिए।
- इम्युनिटी बढ़ाने के लिए पौष्टिक भोजन एवं समय से सोना जागना जरूरी है।
- सामान्य दिनचर्या और अपनी जीवन शैली में जरूरी परिवर्तन के साथ उसमें सुधार करने की आवश्यकता होती है।
- इन दिनों वायु प्रदूषण भी काफी बढ़ रहा है, जिससे सांस की बीमारियां भी बढ़ रही है।
- अतः प्रदूषण के स्तर को देखते हुए मास्क का उपयोग आवश्यक रूप से करें और मास्क पहनने के बाद ही घर से बाहर निकलें।
- यदि किसी को निमोनिया हो गया है तो उसे किसी अच्छे चिकित्सक से उपचार लेना चाहिए।
- यदि सामान्य वायरल इंफेक्शन है तो उसका समुचित इलाज करवाना भी जरूरी है।
लेखकः डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, मेडिकल ऑफिसर प्यारेलाल हॉस्पिटल मेरठ।