मानव बॉयोलॉजिकल क्लॉक पर पड़ने वाला विपरीत प्रभाव ही बीमार कर रहा है      Publish Date : 26/09/2023

                                    मानव बॉयोलॉजिकल क्लॉक पर पड़ने वाला विपरीत प्रभाव ही बीमार कर रहा है

                                                                                                                                              डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

                                               

 देर रात तक जगने के चलते मधुमेह का अधिक खतरा

    देर रात जगने अथवा रातभर जगने के कारण भी मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है। अमेरिका में हाल में किए गए एक अध्ययन के दौरान यह तथ्य सामने आया है। इस अध्ययन के परिणामों में बताया गया है कि व्यक्ति की सकेंडियन क्लॉक या आंतरिक घड़ी को कुप्रभावित करती है।

    अंतरिक घड़ी में नींद लेने और जागने के विपरीत समय का यह अंतर विभिन्न बीमारियों के लिए जिम्मेदार होता है। इस अध्ययन एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित किया गया है। ब्रिघम एंड वुमिन्स अस्ताल में किए गए इस अध्ययन में शोधकर्ताओं के द्वारा वर्ष 2009 से 2017 के बीच नर्सेस हेल्थ स्टडी में शामिल 63,676 महिला नर्सों के आंकड़ों का अध्ययन किया। इस अध्ययन के दौरान ज्ञात हुआ कि पूरी रात कार्य करने वाली प्रतिभागियों में अस्वास्थ्यकर जीवनशैली व्यवहार को नियन्त्रित करने का प्रयास किया गया तो इनमें डायबिटीज का खतरा कम पाया गया, परन्तु यह पूरी तरह से खत्म नही हुआ।

अभी तक के अध्ययनों में सामने आई यह बातः हुआंग ने बताया कि जिन्हें रात भर जाग करना अच्छा लगता है, उन्हें ईविनिंग क्रोनोटाइप भी कहा जा सकता है उेसे लोग मधुमेह के अधिक खतरे को अपने जीवन के साथ जोड़ रहें हैं। उन्होंने बताया कि इससे पहले के अध्ययनों पाया गया था कि अनियमित नींद लेने वाले लोगों में ह्नदय रोगों जोखिम अधिक रहता है, जबकि इस अध्ययन में क्रोनोटाइप, जीवन शैली से सम्बन्धित कारकों और मधुमेह के जोखिमों के बीच सम्बन्ध को समझाया गया है। डब्ल्युएचवो के अनुसार भारत में 7.2 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं।

                                                      

इस आदत को बदलना कॉफी कठिन होता है

ब्रिघम के चेनिंग डिविजन ऑफ नेटवर्क मेडिसिन में एसोसिएट एपेडेमियोलॉजिस्ट और इस अध्ययन के सह-लेखक तियानयी हुआँग बताते हैं कि क्रोनोटाइप या सकेंडियन प्राथमिकता इंसान के द्वारा चुनी गई सोने और उसके जागने के समय को दर्शाती है, जो कुछ हद तक अनुवांशिकीय तौर पर भी निर्धारित होती है, इस कारण से इसमें परिवर्तन करना कठिन भी हो सकता है।

जबकि विभिन्न व्यवसाय भी होते हैं जिनमें पूरी रात जागकर ही कार्य करने होते हैं। अतः इस प्रकार के लोग केवल सेहत के नाम पर ही अपनी आजीविका को नही छोड़ सकते।

कुछ प्रमुख तथ्य

भारत में 7.2 करोड़ लोग पीड़ित हैं डायबिटीज के रोग से।

63 हजार 676 महिला नर्सों के आँकड़ों का अध्ययन किया गया।

यह बदलाव भी आमतौर पर होते हैं-

  • रात्री में कार्य करने वाले लोगों की शारीरिक गतिविधियों में भी कमी आने लगती है।
  • रात के समय कार्य करने वालो में असामान्य वजन की समस्या भी देखी गई है।
  • रातभर जागने वाले लोगों की खुराक भी सामान्य नही होती है।
  • ऐसे लोगों में अधिक अल्कोहॉल सेवन करने की इच्छा भी प्रबल हो सकती है।

लगातार घरेलू हिंसा के शिकार हाने से भी बढ़ता है डायबिटीज का खतरा

                                                                

    आमतौर पर घरेलू हिंसा के मामले देखने और सुनने को मिलते ही रहते है, यह जहाँ आपके रिश्तों को प्रभावित करता है, तो वहीं आपके स्वास्थय पर भी इसके गम्भीर प्रभाव पड़ते हैं। हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि घरेलू हिंसा के लगातार शिकार हाने वालो व्यक्तियों में फिर चाहे वह बच्चें हों या बड़े, इनमें आगे चलकर इनमें टाइप-2 डायबिटीज का खतरा सामान्य से अधिक बढ़ जाता है।

    यह शोध अमेरिकन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन में प्रकाशित किया गया है। टेनेसी के मेहरीं मेडिकल कॉलेज में परिवार और सामुदायिक चिकित्सा विभाग के से सम्बद्व शोधकर्ता मारीन सैंडरसन ने बताया कि पिछले शोध में पारस्परिक हिंसा का सम्बन्ध टाइप-2 डायबिटीज के विकास के खतरे से जोड़ा गया था, लेकिन यह नया अध्ययन विविध प्रकार की आबादी और नस्लों के बीच में इसकी पुष्टि करने वाला पहला अध्ययन है। 

लेखकः डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल मेरठ में मेडिकल ऑफिसर हैं।