
कोरोना के साथ एक अन्य संक्रामक बीमारी का फैलाव Publish Date : 25/06/2025
कोरोना के साथ एक अन्य संक्रामक बीमारी का फैलाव
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
कोरोना के साथ फैलने लगी एक और जानलेवा बीमारी, इलाज के बाद भी 15 प्रतिशत लोगों की हो जाती है मौत
- कई देशों में जारी कोरोना के संक्रमण के बीच एक और नई संक्रामक बीमारी के बढ़ने की बात सामने आई है।
- हाल ही में दो तस्मानियाई महिलाओं की इनवेसिव मेनिंगोकोकल बीमारी का निदान किया गया है।
- इनवेसिव मेनिंगोकोकल डिजीज एक दुर्लभ और जानलेवा बीमारी है, जिसकी मृत्युदर काफी अधिक हो सकती है।
दुनिया के कई देशों में जारी कोरोना संक्रमण के बीच एक और नई संक्रामक बीमारी के खतरे को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अलर्ट किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दो तस्मानियाई महिलाओं में इनवेसिव मेनिंगोकोकल बीमारी का निदान किया गया है जिसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसके साथ इस साल अब राष्ट्रीय स्तर पर इस रोग के मामलों की संख्या बढ़कर 48 हो गई है।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने सभी लोगों से लक्षणों पर नजर रखने और बचाव के उपाय करते रहने की सलाह दी है। विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि प्रभावित क्षेत्रों में सभी लोग एक बार डॉक्टर से मिलकर जांच करा लें कि क्या उन्हें टीकाकरण की जरूरत है?
इनवेसिव मेनिंगोकोकल डिजीज एक दुर्लभ किंतु जानलेवा बीमारी है जो नीसेरिया मेनिंगिटिडिस (Neisseria meningitides) नामक बैक्टीरिया के चलते होती है। इनवेसिव का मतलब है कि संक्रमण रक्त के माध्यम से और आपके अंगों में तेजी से फैलता है। इसके कारण दीर्घकालिक स्वास्थ्य जटिलताओं की आशंका रहती है, यही कारण है कि रोगियों के लिए आपातकालीन चिकित्सा देखभाल महत्वपूर्ण हो जाती है।
इलाज के बाद भी सेहत में नहीं होता सुधार
अध्ययन की रिपोर्ट्स पर नजर डालें तो पता चलता है कि यह बीमारी बहुत गंभीर है। उपचार के साथ इसकी मृत्युदर 10-15% तक हो सकती है। वहीं जिन लोगों का इलाज नहीं हो पाता है उनमें मृत्युदर 50 प्रतिशत तक भी हो सकती है। गंभीर बात यह भी है कि जो मरीज इस रोग से बच जाते हैं, उनमें से भी 30 प्रतिशत लोग स्थाई रूप से संज्ञानात्मक, शारीरिक या मनोवैज्ञानिक विकलांगता का शिकार हो जाते हैं। हालांकि अच्छी बात यह है कि इससे बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध हैं, जो संक्रमण और मौत के खतरे को कम कर सकती हैं।
बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा
मेडिकल रिपोर्ट्स से पता चलता है कि हर दस में से लगभग एक व्यक्ति की नाक या गले में ये बैक्टीरिया होता है। हवा के माध्मय से या भोजन साझा करने से ये आसानी से एक से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। यह मुख्यरूप से मौखिक और श्वसन स्राव जैसे लार के संपर्क के माध्यम में आने या चुंबन के माध्यम से फैल सकता है।
जिस व्यक्ति के शरीर में यह बैक्टीरिया होते हैं उनमें इसके कोई खास लक्षण नजर नहीं आते हैं, इसलिए ये समझना कि किससे आपको खतरा है? यह कठिन भी हो सकता है।
किसे संक्रमण का खतरा अधिक और क्या हैं इसके लक्षण?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, मेनिंगोकोकल डिजीज किसी को भी हो सकती है। लेकिन एक वर्ष से कम आयु के शिशुओं, किशोरों और 15-25 वर्ष की आयु के युवाओं में इसके विकसित होने का खतरा अधिक हो सकता है। कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में संक्रमण के कारण गंभीर रोग विकसित होने के मामले भी अधिक देखे जाते रहे हैं।
संक्रमण के शिकार लोगों में कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है। संक्रमण के कारण बुखार, सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, तेज रोशनी से परेशानी होना (फोटोफोबिया), मतली, उल्टी या दस्त के अलावा त्वचा पर लाल और बैंगनी रंग के दाने हो सकते हैं।
यदि आपको उपरोक्त में से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो आपको तुरंत अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करना चाहिए, जल्दी निदान और इलाज आपको गंभीर समस्याओं से सुरक्षित रखने के लिए बहुत जरूरी है।
कैसे करें इस रोग से बचाव?
डॉक्टर बताते हैं, मेनिंगोकोकल रोग का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है। लक्षणों को ठीक रखने के लिए आपको अन्य दवाएं और उपचार दी जा सकती हैं।
इससे बचाव हेतु हाथों की स्वच्छता का ध्यान रखना, संक्रमित लोगों से दूर रहना इस संक्रामक रोग से बचाव के लिए जरूरी है। हाथों को अच्छी तरह से धोना और गंदे हाथों से अपनी आंखें, नाक या मुंह को छूने से बचना बैक्टीरिया के फैलने से रोकने में मदद करता है। जिन स्थानों पर संक्रमण का जोखिम देखा जा रहा है वहां वैक्सीनेशन बहुत जरूरी है।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।