बी अवेयरः पैरों में दर्द-झनझनाहट एवं तलवे में जलन को न करें नजरअंदाज      Publish Date : 22/06/2025

बी अवेयरः पैरों में दर्द-झनझनाहट एवं तलवे में जलन को न करें नजरअंदाज

                                                                                                                                          डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

यदि आपके पैरों में बुरी तरह यदि दर्द, झनझनाहट या तलवे में जलन हो रही है तो आप ‘डायबिटिक फुट’ के शिकार हो सकते हैं। पैर पर छाले व फफोले बन गए हैं, पैर में चोट लगने या कील व कांटा चुभने के बाद घाव बन गया है तो यह भी डायबिटिक फुट का संकेत है। यदि पैर के अंगूठे या अंगुली का रंग बदल गया है, त्वचा काली पड़ने लगी है या कहीं पर पैर फिसलने पर गिर पड़े या मोच आ गई और कुछ दिनों के बाद आपको यह लगे कि पैर की बनावट बदल गई है। दर्द तो चलने में न के बराबर है पर पैर थोड़ा टेढ़ा सा हो गया है। पैर के एक तरफ गोखुरू बन गए हैं और दबाव वाली जगह पर लाल रंग के निशान बन गए हैं, तो यह रोग अपने अंतिम चरण पर पहुंच चुका है। ऐसे में चलिए जानते हैं इसके निदान एवं उपचार के बारे में जिला अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर डॉ0 दिव्यांशु सेंगर से-

डायबिटिक फुट की स्थिति बनने का पहला बड़ा कारण क्या है?

                                                   

इसका सबसे बड़ा कारण न्यूरोपैथी है। यह दो तरह से ‘डायबिटिक फुट’ के पनपने का कारण बनती है। यह एक तरफ पैरों की मांसपेशियों को कमजोर कर देती है जिस पर को को व्यापार कर देती के दबाव पड़ने लगता है और दबाव वाली जगह पर खाल पतली होने लगती है। इसके कारण पैरों में दर्द व झनझनाहट के साथ-साथ पैरों में घाव बनने लगते हैं। दबाव के कारण पैरों में कॉर्न यानी गोखरू बनने लगते हैं। वहीं इसका दूसरा बड़ा कारण पैर की त्वचा में जरूरत से ज्यादा खुस्की हो जाती है, क्योंकि पसीना बनाने वाली और त्वचा को चिकना बनाने वाली ग्रन्थि ठीक से काम करना बन्द कर देती है, जिसके परिणाम स्वरूप त्वचा फटने लगती है एवं गड्ढे बन जाते हैं। अन्त में धीरे-धीरे पैर में घाव बनने लगतेहैं।

रक्त सप्लाई बाधित होना दूसरा बड़ा कारण

मधुमेह रोगी में रक्त सप्लाई में कमी आने के कारण पैरों की खून की नली में निरन्तर चर्बी व कैल्शियम का जमाव होने लगता है। इससे पैर की खाल में पर्याप्त खून नहीं पहुंच पाता है और ऐसी अवस्था में दर्द के साथ खाल का रंग परिवर्तित होने लगता है। इसके अलावा पैरों की मांसपेशियों में में खून न पहुंचने से चलने पर असहनीय दर्द होता है, अगर इलाज में देरी हुई तो पैर की अंगुलियां काली पड़ने लगती हैं।

इलाज से ज्यादा रोकथाम जरूरी

मधुमेह रोगी का यही प्रयास होना चाहिए कि वह डायबिटिक फुट का शिकार न बने। इसीलिए इलाज से ज्यादा इसकी रोकथाम जरूरी हैं।

हमेशा घर व बाहर में फैंसी चप्पल, सैंडिल व हवाई चप्पल न पहनें। हमेशा सूती मोजे व मुलायम जूतों का प्रयोग करें। कभी भी जूता मोजे के बगैर न पहनें। कभी नंगे पैर न घर में न पार्क में घास पर चलें। प्रतिदिन पांच व छह किलोमीटर की सैर करें। अपने वजन को बिल्कुल न बढ़ाएं। खून में शुगर को नियंत्रण में रखें। याद रखें खून में अनियंत्रित शुगर की मात्रा श्डायबिटिक फुट को बनाने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

अगर आप डायबिटिक फुट के रोगी हैं तो बगैर समय नष्ट किए किसी अनुभवी वैस्कुलर सर्जन से परामर्श लें और उनकी निगरानी में इलाज करवाएं। कुछ जरूरी जांचों की जरूरत पड़ती हैं, जैसे पैर का एक्सरे, डाप्लार जांच व सीव टीव एंजियोग्राफी, न्यूरोपैथी कीजांच के लिए श्डायबिटिक फुट स्कैनश् कराना पड़ता है जिससे दबाव वाले एरिया चिह्नित किए जाते हैं। इन सब जांचों के परिणाम पर ही इलाज किया जाता है। इसलिए हमेशा ऐसे अस्पतालों में जाएं, जहां सभी तरह की विशेष जांचों की सुविधा हो।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।