सिजोफ्रेनिया एक घातक स्थिति      Publish Date : 15/06/2025

                   सिजोफ्रेनिया एक घातक स्थिति

                                                                                                                                 डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

यदि इस बीमारी का शुरुआती दौर में ही पता चल जाए तो उपचार के बाद हो सकती है ठीक, लंकिन लापरवाही बरतने पर यह पागलपन में भी बदल सकती है।

तनाव से लोग हो रहे सिजोफ्रेनिया के शिकार

सिजोफ्रेनिया (एक गंभीर भ्रम की स्थिति) होने का सबसे मुख्य कारण अधिक तनाव की स्थिति होती है। यदि इस मानसिक बीमारी शुरुआती दौर में ही पता चल जाए तो उपचार के बाद यह ठीक हो सकती है, लेकिन लापरवाही बरतने पर पागलपन में भी बदल सकती है। ऐसे में प्रभावित व्यक्ति को जीवनभर दवा खानी पड़ सकती है।

एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल मेरठ में इस बीमारी के हर साल करीब तीन से साढ़े तीन हजार-मरीज आते हैं। इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 24 मई को विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस भी मनाया जाता है।

मरीज को लगता है कि प्रत्येक व्यक्ति कर रहा है उसकी जासूसी

जिला अस्पताल के मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. कमलेंद्र किशोर ने बताया कि इस बीमारी में रोगी संदेह से घिर जाता है। उसे लगता है कि प्रत्येक व्यक्ति उसकी जासूसी कर रहा है। इसकी वजह से वह अपने को सबसे अलग-थलग करने लगता है। उसकी सोच विकृत होने लगती है। अगर समय से उपचार शुरू हो गया तो दवाओं से यह बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाती है।

जादू टोना न समझें, मनोरोग विशेषज्ञ को दिखाएं

                                                                   

इसके सम्बन्ध में डॉ0 दिव्यांशु सेंगर ने बताया कि मुख्य रूप से इस बीमारी के दो कारण होते हैं। एक यह कि अगर किसी के माता-पिता को यह बीमारी है तो बच्चे में भी हो सकती है। दूसरा अत्यधिक तनाव या कार्य का दबाव। भ्रमवश अधिकांश लोग इस बीमारी को जादू टोना आदि समझ लेते हैं, ऐसे में लोगों अपील है कि वे ऐसा न समझें क्योंकि दवाओं के सहारे इस बीमारी का इलाज सम्भव है।

सोच को विकृत कर देती है यह बीमारी

मेरठ के मनोचिकित्सक डॉ. रवि राणा ने बताया कि सिजोफ्रेनिया की बीमारी प्रभावित व्यक्ति की सोच को विकृत कर देती है। रोगी को लगता है कि सभी लोग उसके खिलाफ हैं और उसके विरूद्व साजिश कर रहे हैं। वर्तमान में इस बीमारी का उपचार संभव है। नजरअंदाज करने पर यह गंभीर हो सकती है।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।