अनियंत्रित वजन से प्रभावित होता मानसिक स्वास्थ्य      Publish Date : 03/06/2025

    अनियंत्रित वजन से प्रभावित होता मानसिक स्वास्थ्य

                                                                                                                                                   डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

यदि आपका वजन बढ़ रहा है, और आप इसे नियंत्रित करने का भरपूर प्रयास भी करते हैं, परन्तु क्या इस क्रम में आपका मन भी अशांत और तनाव ग्रस्त रहने लगा है? यह भी सम्भव है कि इस तनाव के कारण आप अपने शरीर और स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही बरतने लगते हैं। इस बढ़़ते वजन के कारण ही आप सामाजिक मेलजोल से भी बचने लगते हैं। सार्वजनिक वाहनों में लोगों की घूरती निगाहें आपको परेशान करती हैं अथवा आप अपनी उपस्थिति को लेकर अधिक सचेत हो जाते हैं।

यह समस्त लक्षण मोटापे के दुष्प्रभाव के हैं, जिन्हें कभी भी आपको हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह लक्षण आपके मानसिक स्वास्थ्य से सम्बन्धित लक्षण भी हो सकते हैं।

असल में मोटापे और तनाव के बीच एक विशेष सम्बन्ध होता है। जब किसी का वजन बढ़ता है तो उसी के अनुरूप तनाव भी बढ़ता है। यदि आप तनाव से पिटने में असफल रहते हैं तो यह आपको ऐसी आदतों में उलझा देता है, जो कि आपका वजन के बढ़ने में सहयोग करती हैं। स्ट्रेसफुल इटिंग अथवा इमोशनल इटिंग आजकल वजन को बढ़ाने में भरपूर योगदान प्रदान कर रही हैं, परन्तु सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि क्या मोटापा भी आपके मन को परेशान कर सकता है और यह आपकी मानसिक सेहत के लिए भी एक चुनौति बन रहा है? यदि आप भी कुछ ऐसा ही महसूस कर रहे हैं तो आपको तुरंत ही सचेत हो जाना चाहिए।

                                                     

इस स्थिति से बचाव के लिए सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम है स्वयं के प्रति सजगता का होना, स्वयं के प्रति एक करूणा का भाव जो मोटापे के चलते उपजी कुंठा से बाहर निकालने में आपकी मदद करता है। इसके पश्चात् ही आप किसी उचित समाधान की पहल करने में सक्षम हो सकेंगे।

धारणाओं पर जीत है पानी

यदि कोई व्यक्ति मोटा है तो वह आलसी भी जरूर होगा और वह अपने खाने पर नियंत्रण नहीं रख पाता है तो वह गैर-जिम्मेदार भी होगा। इसके साथ ही उसमें संयम और अनुशासन की कमी भी होगी। इस प्रकार की धारणाएं मोटे आदमी के प्रति आम होती है। बढ़े हुए वजन केा फिटनेस के साथ भी जोड़कर देखा जाता है अर्थात यदि वह मोटा है तो वह किसी काम के लिए भी फिट नहीं होगा। मोटापे से जुड़ी यह धारणाएं जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हावी रहती हैं।

वास्तव में, मोटापे से जुड़ी इन्हीं धारणाओं ने मोटे लोगों की मानसिक सेहत का सर्वाधिक नुकसान भी किया है। अतः सबसे पहले तो इन चीजों से बचाव करना जरूरी है। इस प्रकार की नकारात्मक सोच एवं पूर्व धारणाओं से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका स्व-विकास पर फोकस करना होता है, ऐसे लोग अपनी दिनचार्या इसी के अनुरूप व्यवस्थित करें। यदि इस सब में कोई परेशानी आ रही है तो किसी पेशेवर से सहायता प्राप्त करनी चाहिए, जिससे कि चिंता, तनाव और अकेलेपन आदि से लेकर अवसाद के खतरनाक जाल में फसने से आप बच सकें।

तनाव के हावी होने के संकेत

  • शरीर की देखभाल को लेकर लापरवाही होना।
  • परिवारिक समारोहों एवं कार्यक्रमों अथवा लोगों से मिलने में संकोच करना।
  • अपने शरीर के आकार एवं वजन आदि को लेकर स्वयं को ही दोषी मानना।
  • दिनचर्या में बदलाव करते रहना अथवा एकदम से शिथिल हो जाना।
  • उबाऊ होने के बाद भी कसरत करना या फिर जिम में पसीना बहाना।
  • दूध, चीनी और घी आदि वसायुक्त खाद्य पदार्थों से दूरी बनाना।
  • अधिक सोचना जिसके चलते नींद की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।
  • भूख के नहीं होने पर भी भोजन करना आदि।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।