
प्रोटीन व स्टेरायड के चलते खराब हो रहे हैं युवाओं के कूल्हे Publish Date : 15/05/2025
प्रोटीन व स्टेरायड के चलते खराब हो रहे हैं युवाओं के कूल्हे
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
स्टेरायड दवा और स्टेरायड युक्त अनियंत्रित प्रोटीन पाउडर के सेवन कर जिम जाने वाले युवाओं में एवस्कुलर नेक्रोसिस (एवीएन) बीमारी बढ़ रही है। इससे युवाओं के कूल्हे खराब हो रहे हैं और कम उम्र में ही कूल्हा प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ रही है। ऐसे मरीजों करीब 30 प्रतिशत युवा होते हैं, जिनकी उम्र 20 से 25 वर्ष होती है।
राजधानी में आयोजित हिप-360 कान्फ्रेंस में आर्थोपोडिक विशेषज्ञों ने हालात पर चिंता जताई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि स्टेरायड और प्रोटीन पाउडर का दुरुपयोग नहीं रोका गया तो यह बीमारी बड़ी समस्या बन सकती है। मैक्स अस्पताल के आर्थोपोडिक्स और ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी विभाग के वरिष्ठ निदेशक डा. एल. तोमर ने कहा कि सामान्यतः बुजुर्गों में यह बीमारी अधिक होती है, लेकिन अब युवाओं में कूल्हा खराब होने के मामले बढ़े हैं। हर सप्ताह ओपीडी में 30 वर्ष से कम उम्र के दो से तीन मरीज कूल्हे के दर्द की शिकायत लेकर पहुंचते हैं।
जांच में अक्सर एवीएन बीमारी की पुष्टि होती है। इस बीमारी में कूल्हे की हड्डी में रक्त संचार प्रभावित होता है, जिससे कूल्हे की हड्डी सूखने लगती है। 70% से अधिक मामलों में बीमारी का कारण एनाबालिक स्टेरायडया प्रोटीन पाउडर का अत्यधिक सेवन होता है।
एवीएन से पीड़ित 30 प्रतिशत मरीजों की उम्र 35 वर्ष से कम
सम्मेलन में डाक्टरों ने एक शोध पत्र प्रस्तुत किया, जिसके अनुसार पिछले तीन वर्षों में दिल्ली के अस्पतालों में एवीएन के 30 प्रतिशत मरीज 35 वर्ष से कम उम्र के थे। उनमें से अधिकांश स्टेरायड इंजेक्शन, स्टेरायड की गोली या प्रोटीन पाउडर का अधिक इस्तेमाल कर रहे थे। सम्मेलन में डा. शरद अग्रवाल ने कहा कि जिम तेजी से बढ़ता व्यवसाय बन गया है, लेकिन उसके लिए उचित दिशा निर्देश और नियम होने चाहिए।
जिम में युवाओं को गुमराह किया जाता है कि स्टेरायड या स्टेरायड युक्त प्रोटीन पाउडर लेने से बाडी बेहतर हो सकती है। सच्चाई है कि इसके इस्तेमाल से हड्डियां धीरे-धीरे खराब होती हैं। इनकी बिक्री का नियमन आवश्यक है
कोरोना के बाद बढ़े मामले
डा. तोमर ने बताया कि कोरोना के बाद मामले बढ़े हैं। कोरोना के दौर में जिन मरीजों को स्टेरायड दवा दी गई थी, उनमें से 23 प्रतिशत एवीएन वीमारी से पीड़ित हुए। हाल ही में महाराष्ट्र के एफडीए ने प्रोटीन पाउडर की जांच कराई थी। कई पाउडर में स्टेरायड पाया गया, लेकिन इसकी जानकारी पैकेट पर नहीं दी गई थी। आर्थोपोडिक सर्जन डा. राजीव जैन ने कहा कि चिकित्सकीय सलाह के बिना इसका इस्तेमाल घातक होता है। यह कूल्हे की हड्डी के ऊपरी हिस्से को कमजोर बना देता है, जिससे दर्द व अकड़न होती है। समय पर इलाज न हो तो कूल्हा प्रत्यारोपण ही विकल्प बचता है।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।