चिकन पॉक्स के बारे मिथ और सच्चाई      Publish Date : 09/05/2025

      चिकन पॉक्स के बारे मिथ और सच्चाई

                                                                                                                   डॉ0 दिव्यान्शु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

इन दिनों चिकन पॉक्स का संक्रमण सबसे अधिक होता है। यह एक ऐसी बीमारी है, जो हमें आतंकित करती है, क्योंकि इसे लेकर हमारे समाज में अनेक मिथ प्रचलित हैं। लेकिन अगर सावधानी बरती जाए तो इस बीमारी के प्रकोप से बचा जा सकता है।

लक्षण पहचानने में देर न करें

                                     

डॉक्टरों का मानना है कि चिकन पॉक्स को समझने में मरीज देरी कर देते हैं, जिससे अक्सर इलाज मुश्किल हो जाता है। इसलिए सबसे पहले चिकन पॉक्स के लक्षण जानने जरूरी हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि सबसे खास लक्षण है शरीर में पानी युक्त लाल दानों का उभरना। इसके बाद मरीज को जुखाम व बुखार की शिकायत शुरू हो जाती है।

इन्हें जल्दी हो सकता है संक्रमण

गर्भावस्था के समय महिला को चिकन पॉक्स होने पर नवजात शिशु में संक्रमण का खतरा 70 फीसदी बढ़ जाता है। कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को भी यह वायरस आसानी से शिकार बना लेता है, इसलिए गर्भ ठहरने के 14 हफ्ते के बाद दी गई पावर बूस्टर डोज को वैरिसैला वायर इसके बचाव के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

सावधानियां जरूर बरतें

एक बार आपको ये लक्षण दिख जाएं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। दूसरे लोगों को इससे सुरक्षित रखने का प्रयास भी करें। याद रखें कि हवा और खांसी के माध्यम से संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के शरीर तक पहुंच जाता है। बच्चों को विशेष रूप से चिकन पॉक्स के रोगी से दूर रखें। चिकन पॉक्स के रोगी घर से कम से कम निकलें। इससे एक परिवार का संक्रमण दूसरे परिवार तक पहुंचने से रुकेगा। रोगी के आसपास अच्छे से सफाई रखें, जिससे संक्रमण बढ़ने न पाए।

दोबारा चिकन पॉक्स, दोगुनी सावधानी

जिन लोगों को दोबारा चिकन पॉक्स हो रहा है, उन्हें सचेत रहने की अधिक आवश्यकता होती है। प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल मेरठ, के डॉ0 दिव्यांशु सेंगर बताते हैं कि चिकन पॉक्स एक बार हो तो अधिक गंभीर नहीं है, जबकि यदि दस साल की उम्र के बीच बच्चे को दो बार से अधिक बार हो तो ल्यूकीमिया बीमारी हो सकती है। यह खून से संबंधित बीमारी है, जिससे रक्त में पाई जाने वाली लाल रक्त कणिकाएं तेजी से क्षतिग्रस्त होती हैं।

साफ-सफाई का खास खयाल

कई लोगों को भ्रम है कि चिकन पॉक्स के रोगी को नहलाना नहीं चाहिए, जबकि सच यह है कि चिकन पॉक्स के मरीज को अतिरिक्त साफ-सफाई की आवश्यकता होती है। इस सम्बन्ध में डॉ0 सेंगर सलाह देते हैं कि मरीज को रोज नीम के पानी से नहलाना चाहिए तथा उसे साफ कपड़े पहनाने चाहिए। उसके बर्तन वगैरह भी अलग रखने चाहिए, ताकि उसका संक्रमण दूसरों तक न पहुंचे।

कब घातक होता है चिकन पॉक्स

यों तो चिकन पॉक्स पूरी तरह से इलाज वाली बीमारी है और सही इलाज मिलने पर जल्दी ठीक भी हो जाती है। संक्रमण भी एक हफ्ते से दो हफ्ते के बीच में खत्म हो जाता है। लेकिन अगर सावधानियां न बरती जाएं तो दो से तीन हफ्ते तक संक्रमण शरीर में बढ़ता रहता है। अगर ये नियंत्रित न हो तो दिमाग और लिवर तक इसका असर पहुंच जाएगा। इसके बाद दूसरी बीमारियां आपको अपनी गिरफ्त में लेने लगती हैं। यह भी हो सकता है कि इनमें पीलिया और हाइड्रोसेफेलिक्स जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है, जिसका अक्सर लोगों ने नाम भी नहीं सुना होता। हाइड्रोसेफेलिक्स में दिमाग में पानी भर जाता है।

टीकाकरण ही एकमात्र बचाव

                                                  

चिकन पॉक्स से बचाव के लिए सीएक्सवी वैक्सीनेशन एकमात्र विकल्प है। गर्भवती महिला को डोज दी जाती है, जिससे बच्चा सुरक्षित रहे। अगर गर्भवती महिला को दवा नहीं दी गई है तो जन्म के 14 हफ्ते के भीतर बच्चे को चिकन पॉक्स की तीन डोज दी जानी चाहिए। निजी नर्सिंग होम में यह टीका 1350 रुपए में उपलब्ध है।

कुछ मिथ और सच्चई

मिथः गहरे रंग की चीजें खाने से गहरे दाग पड़ते हैं!

सचः गहरे दाग से बचना चाहते हैं तो केवल एक सूत्र याद रखें कि दागों पर बार-बार नाखून न लगे।

मिथः चिकन पॉक्स ठीक होने के चार या पांच महीने तक नॉनवेज नहीं खाना चाहिए, वरना शरीर में खुजली हो जाती है।

सचः मेडिकल साइंस नॉनवेज खाने से कतई नहीं रोकती। यहां तक कि अगर आप सी फूड खाएं तो भी कोई नुकसान नहीं होता।

मिथः चिकन पॉक्स के दौरान बाल नहीं धुलने चाहिए और नहाना भी नहीं चाहिए वरना शरीर में हवा घुल जाती है और बुढ़ापे में कई समस्याओं का सामना पड़ता है।

सचः आप रोज नहा सकते हैं। बाल भी घुल सकते हैं। केवल इतना ध्यान रखिए कि दाग वाले स्थान पर गीले तौलिए से न पोछें, वरना संक्रमण हो सकता है।

मिथः अगर एक बार चिकन पॉक्स हो गया तो दोबारा नहीं हो सकता।

सचः ऐसा नहीं है। कई लोगों को ये दोबारा होता है। इसलिए किसी गलत फहमी में न रहें। सावधानी बरतें।

मिथः खुजली वाले स्थान पर कुछ लगाना नहीं चाहिए।

सचः डॉक्टर ऐसा कोई परहेज नहीं बताते।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।