
30 वर्ष की आयु के बाद बढ़ता बीमारियों का खतरा Publish Date : 18/04/2025
30 वर्ष की आयु के बाद बढ़ता बीमारियों का खतरा
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
यह अपने आप में एक सनातन सत्य है कि उम्र तो बढ़नी ही है और उम्र बढ़ेगी तो रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी कम होगी, शरीर कमजोर होगा, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ने लगेगा। चिकित्सक कहते हैं कि इसके लिए समय-समय पर स्वास्थ्य की जांच कराते रहना बहुत जरूरी है।
आजकल भाग-दौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास अपने लिए भी समय नहीं है।
महिलाएं घर और परिवार की जिम्मेदारियों के कारण अपनी सेहत को नजरअंदाज करती हैं. तो पुरुष ऑफिस के कामकाज और अन्य जिम्मेदारियों के चलते सेहत को लेकर लापरवाही बरतते हैं। लेकिन यदि आपकी उम्र 30 साल के आसपास या उससे अधिक है तो आपको, अपनी कुछ जांचे अवश्य करा लेनी चाहिए।
मधुमेहः भले ही आपमें मधुमेह के लक्षण न दिख रहे हों या परिवार में पहले किसी की कभी मधुमेह की समस्या न हुई हो, तो भी आपको 30 साल के बाद फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट, रैंडम प्लाज्मा ग्लुकोज टेस्ट, पोस्टप्रैडियल ब्लड शुगर टेस्ट, एचबीए, सी आदि जैसी जांचे कराते रहना चाहिए।
रक्तचापः उच्य रक्तचाप नियंत्रित न होने पर हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा हो सकता है। इसके लिए आप अपने घर पर ही ब्लड प्रेशर मॉनिटर लाकर अपनी जांच स्वयं ही कर सकते हैं।
हड्डियों के लिएः ऑस्टियोपोरोसिस होने पर हड्डियां कमजोर होने लगती है और फैक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए आप डुअल-एनर्जी, एक्स-रे, एब्जॉपटियोमेट्री स्कैन, कराते रहें। इससे हड्डियों में कमजोरी, विटामिन डी की कमी और बोन डेंसिटी का पता लग सकता है।
थायरॉइडः थायरॉइड ग्रंथि में गड़बड़ी की के चलते अंडर एक्टिव थायरॉइड या हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है। यह ग्रथि हार्मोन ही-3, टी-4 और टीएसएच का लास करती है, जो शरीर के चयापचय को नियंत्रित करने का काम करती है। इनमें से कोई भी परिवर्तन शरीर में गंभीर परिवर्तन उत्पन्न कर सकता है।
कंप्लीट ब्लड काउंटः इस जांच की मदद से रक्त में मौजूद रेड ब्लड सेल्स, काइट ब्लड सेल्स, हीमोग्लोबिन, प्लेटलेट्स आदि की संख्या पता चलती है। स्वस्थ रहने के लिए इनका संतुलित मात्रा में होना बहुत जरूरी है।
लिवर और किडनी लिवर फंक्शन टेस्टः लिवर और किडनी लिवर फंक्शन टेस्ट के माध्यम से यह पता लगता है कि आपका लिवर सही तरीके से काम कर रहा है या नहीं। अगर आप मधुमेह, उच्च रक्तचाप या दिल की बीमारी से ग्रसित हैं तो किडनी फंक्शन टेस्ट जरूर कराएं।
विटामिन बी-12 और आंखों की जांचः शरीर में विटामिन बी-12 की कमी खतरनाक साबित हो सकती है। इसकी कमी से नसों में दर्द रहना, सुन्नपन, थकान, सिर दर्द और चिड़चिड़ापन जैसी दिक्कते हो सकती है। नियमित रूप से आंखों की जांच कराने से मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और मैक्यूलर डिजनरेशन जैसी उम्र से संबंधित समस्याओं की सही समय पर पहचान कर उनका इलाज किया जा सकता है।
जीवनशैली और आहार का रखें विशेष ध्यान
उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियों और हडिडयों में कमजोरी आने लगती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर होने लगती है। इसके अलावा वजन बढ़ना, मधुमेह होने का जोखिम, हृदय संबंधी समस्याएं, तनाव, अवसाद और हडिडयों से संबंधित समस्याएं हो सकती है। इनसे बचने के लिए जीवनशैली और आहार पर पर्याप्त ध्यान देने की जरूरत है। प्रतिदिन व्यायाम योग और मेडिटेशन करते रहें। इसके अलावा चिकित्सक के परामर्श के अनुसार हर छह महीने या एक बार में पूरा हेल्थ चेकअप जरूर कराएं।
दिल की धड़कन
लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराकर आप दिल के रोग और स्ट्रोक के विकास के जोखिम को कम कर सकते हैं। इस जांच में टोटल कोलेस्ट्रॉल, एचडीएल, एलडीएल, वीएलडीएल और ट्राइग्लिसराइड आदि के स्तर का पता चल जाता है।
कैंसर का ध्यान
हर साल बेस्ट स्क्रोंनिग कराने से महिलाओं में शुरुआती स्टेज पर ही स्तन में गांठ बनने से रोकने में मदद मिलती है। महिलाएं साल में एक चार पैप स्मीवर और मैमोग्राम करा सकती हैं। पुरुष प्रोस्टेट से जुड़ी समस्याओं के लिार डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन और प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन करा सकते हैं। लंग कैंसर के लिए एक्स-रे, कोलोरेक्टल कैंसर के लिए सालाना मल की जांच जरूरी है।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।