
उपयोगी है त्वचा का दान Publish Date : 12/04/2025
उपयोगी है त्वचा का दान
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
भारत में त्वचा दान के सम्बन्ध में कम ही लोगों को ही जानकारी है। गंभीर रूप से जले या दुर्घटना में चोटिल हुए लोगों के अलावा अन्य कई अन्य दूसरी समस्याओं में भी त्वचा के प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है। ऐसे में 18 साल की आयु हो जाने के बाद कोई भी व्यक्ति त्वचा दान कर सकता है। इसके सम्बन्ध में पूरी जानकारी दे रहे हैं हमारे स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ0 दिव्यांशु सेंगर-
हमारे देश में नेत्रदान के विषय में तो जानकारी बढ़ी है, परन्तु त्वचा के दान के बारे में आज भी बहुत ही कम लोग ही जानते है। नेत्रदान, मृत्यु हो जाने के बाद दो घंटे के भीतर किया जाना जरूरी होता है तथा मृत्यु के 12 घंटे बाद तक प्राप्त किया जा सकता है। मृत शरीर को कोल्ड स्टोरेज आदि में सुरक्षित रखा जाए तो यह अवधि 24 घंटे तक भी बढ़ सकती है।
त्वचा निकालने के बाद सबसे पहले उसे स्किन बैंक में ले जाया जाता है फिर उसकी प्रोसेसिंग व स्क्रीनिंग की जाती है। उसके बाद उसे जरूरतमंद व्यक्ति में त्वचा को प्रत्यारोपित किया जा सकता है। जब यह त्वचा मरीज को लगाई जाती है तो यह एक अस्थायी इंसिग की तरह काम करती है और चार साताह के बाद शरीर इस प्रत्यारोपित की गई त्वचा को अस्वीकार कर देता है।
क्या है त्वचा प्रत्यारोपण
इसे स्किन ग्राफ्टिंग या स्किन ग्राफ्ट सर्जरी के नाम से भी जाना जाता हैं। इसमें डोनर साइट अर्थात दाता के शरीर का वह हिस्सा, जहां से यह त्वबा ली जा रही हो, से त्वचा लेकर दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित कर दी जाती है, जहां इसकी आवश्यकता होती है। प्रत्यारोपित त्वचा स्किन ग्राफ्ट कहलाती है। किसी का थर्ड डिग्री तक जलना, जिसमें मरीज की 50 प्रतिशत से अधिक त्वचा नष्ट हो जाती है., बहुत बड़े घाव और डायबिटिक अल्सर, इन मामलों में त्वचा के लिए यह सभव नहीं होता कि यह सामान्य जैविक प्रक्रिया के माध्यम से जल्द ही सामान्य हो जाए, ऐसे मामलों में भी त्वचा का प्रत्यारोपण करना जरूरी हो जाता है।
इसके अलावा किसी संक्रमण के कारण त्वचा का बहुत नुकसान होना, किसी भाग की त्वचा का नष्ट हो जाना या बहुत बड़े और गहरे जख्म की स्थिति में भी त्वचा प्रत्यारोपण किया जाता है।
इसके अलावा सफेद दाग के उपचार में भी त्वचा प्रत्यारोपण उपयोगी सिद्व होता है। हालांकि त्यचा प्रत्यारोपण के कुछ संभावित खतरे भी होते है, जैसे निशान रह जाना, त्वंचा का बदरंग हो जाना, त्वचा पर सिलवटें पड़ जाना, लगातार दर्द होना, त्वचा की संवेदनशीलता कम हो जाना और प्रत्यारोपित की गई त्वचा का निकल जाना आदि। हालांकि बहुत कुछ चिकित्सक की कुश्लता और मरीज की स्थिति पर भी निर्भर करता है।
कौन कर सकता है त्वचा दान
स्किन एलीग्राफ्ट, अंग प्रत्यारोपण से अलग है, क्योंकि यहां त्यचा अस्थायी सुरक्षा देती है और प्रत्यारोपित अंग की तरह हमेशा नहीं रहती है।
इसलिए त्वचा के प्रत्यारोपण में आमतौर पर ब्लड ग्रुप की जांच और एचएलए मैचिग आदि की आवाश्यकता नहीं होती है, कोई भी व्यक्ति जो 18 साल से अधिक की उम्र का हो. वह त्वचा दान कर सकता है। त्वचा को स्किन बैंक में सुरक्षित रखा जाता है। हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, एचआईवी जैसी संक्रमण से होने वाली बीमारी के अलावा त्वचा का कैंसर, स्वलेरोडर्मा और सेप्टीसिमिया आदि से पीड़ित व्यक्ति भी त्वचा का दान नहीं कर सकते।
कितना उपयोगी है
भारत में व्यावसायिक रूप से जेनीग्राफ्ट (सुअर की त्वचा) उपलब्ध नहीं है। बायोसिबंटिक स्किन सब्स्टिटूट (कृत्रिम त्वचा) अत्यधिक महंगी होने के कारण अधिकतर जले हुए मरीज इसका खर्च नहीं उठा पाते। ऐसे मरीजों के लिए जिनकी त्वचा की गंभीर नुकसान पहुंच चुका है, केवल एलोयापट का ही विकल्प बचता है, जो कि दाता मानव से ली जाती है। यह एक सस्ता और प्रभावकारी तरीका है। जब मरीज के शरीर के अन्य भागों से त्वचा लेना संभव न हो या ऑटोग्राफ्ट के बाद घावों का आकार बढ़ने की संभावना ही, तब त्वचा का एकमात्र विकल्प घाव बंद करके मरीज की जान बचाने में जरूरी भूमिका निभाता है। इससे प्रभावी ढंग से घावों से प्रोटीन व फ्लुइड के स्राव होने वाला नुकसान रुक जाता है। इसे भविष्य के लिए भी सुरक्षित रखा जा सकता हैं। इसके माध्यम से संक्रमण को फैलने से रोकने में भी सहायता प्राप्त होती है।
शरीर के किस भाग की त्वचा ली जाती है।
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प्रमुख रूप से पैरों, दोनों जंघाओं, नितंबों और कमर आदि स्थानों की त्वचा ली जाती है।
त्वचा दान से जुड़े कुछ मिथक
मिथकः बहुत बूढ़े व्यक्ति त्वचा दान नहीं कर सकते।
सत्यताः किसी भी उम्र का कोई भी व्यक्ति ताचा दान कर सकता है। यहां तक कि झुर्रियों का भी त्वचा दान से कुछ लेना-देना नहीं होता है। अतः 80-90 वर्ष की आयुवर्ग के लोग भी त्वचा का दान कर सकते हैं।
मिथकः त्वचा के दान में त्वचा की एक पूरी परत ही ले ली जाती है।
सत्यताः ऐसा नही है इसमें त्वचा की केवल बाहरी परत ही ली जाती है यानी त्वचा का सिर्फ 1/8वां ऊपरी भाग।
मिथकः दान की गई त्वचा का उपयोग करने से पहले ब्लड ग्रुप मिलाना जरूरी होता है।
सत्यताः आखें और त्वचा दान आदि के लिए Blood Group का मिलान कोई जरूरी नहीं होता है।
मिथकः शरीर से त्वचा के निकालने पर खून निकलता है अथवा इससे दाता का शरीर विकृत हो जाता है।
सत्यताः इस प्रक्रिया में न तो किसी भी प्रकार की कोई ब्लीडिंग होती है, और न ही दाता का शरीर विकृत होता है। त्वचा निकलवाने के पश्चात् अंग दान भी किया जा सकता है।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।