तापमान बढ़ने से बढ़ रही डि-हाइड्रेशन की समस्या सभी आयुवर्ग के लोग चपेट में      Publish Date : 10/04/2025

तापमान बढ़ने से बढ़ रही डि-हाइड्रेशन की समस्या सभी आयुवर्ग के लोग चपेट में

                                                                                                          डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

"जिला अस्पताल, मेरठ की ओपीडी में लगभग 20 प्रतिशत तक के मरीजों में डि-हाइड्रेशन के लक्षण पाए जा रहे हैं।"

वातावरण के तापमान में हो रही निरंतर वृद्धि का प्रभाव अब लोगों की सेहत पर भी पड़ रहा है। लोगों में अब डि-हाइड्रेशन की समस्या भी बढ़ने लगी है और बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक हर उम्र के लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। इसके अलावा कई लोग चक्कर आने से गिर भी रहे हैं। पानी का सेवन कम करना, इस समस्या का मुख्य कारण बताया जा रहा है।

चिकित्सकों का कहना है कि कम पानी पीने के कारण लोगों में डि-हाइड्रेशन की समस्या आ रही है। आमतौर पर यह समस्या मई माह में देखी जाती थी, लेकिन इस बार अप्रैल के महीने में ही इसके मामले सामने आने लगे हैं।

जिला अस्पताल मेरठ की ओपीडी में 20 प्रतिशत तक मरीजों में डि-हाइड्रेशन की समस्या पाई जा रही है। इन मरीजों में प्यास अधिक लगना, मुंह सूखना, ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव, पेशाब कम आना, सिरदर्द, कमजोरी महसूस होना और चक्कर आना आकद के जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त कुछ मरीजों में डायरिया, बुखार, एलर्जी और संक्रामक रोगों के भी लक्षण पाए जा रहे हैं। इसके बारे में चिकित्सकों का कहना है कि डि-हाइड्रेशन के होने पर ब्लड प्रेशर की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है, जिससे मरीज चक्कर खाकर गिर भी सकता हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें इलेक्ट्रोलाइट देने की सलाह दी जाती है।

बचाव के उपाय

                                                  

  • पानी का सेवन पर्याप्त मात्रा में करें।

  • इलेक्ट्रोलाइट, नारियल का पानी, फल और नींबू पानी का सेवन नियमित अंतराल पर करते रहें।

  • डि-हाइड्रेशन के लक्षण दिखने पर पर्याप्त आराम करें।

  • इस दौरान ताजे फलों का सेवन आवश्यक रूप से करें।

किडनी की परेशानी से ग्रसित मरीज अधिक परेशान

जिला अस्पताल मेरठ के डॉ0 दिव्यांशु सेंगर ने बताया कि किडनी की बीमारी से जूझ रहे कई मरीज अब डि-हाइड्रेशन की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। सबसे अधिक प्रभावित वह लोग हो रहे हैं. जो किडनी के अलावा ब्लड शुगर और अन्य बीमारियों से भी ग्रसित हैं। इनमें से अधिकतर मरीज 50 वर्ष या उससे अधिक आयुवर्ग से सम्बन्धित हैं। ऐसी स्थिति में मरीजों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।