परिवार में ग्लूकोमा की हिस्ट्री है तो सतर्क रहें, जांच करवाएं      Publish Date : 06/04/2025

परिवार में ग्लूकोमा की हिस्ट्री है तो सतर्क रहें, जांच करवाएं

                                                                                                                        डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

ग्लूकोमा को काला मोतियाबिंद या साइलेंट साइट स्नैचर (दृष्टि की गुपचुप चोरी करने वाला) भी कहा जाता है। मोतियाबिंद के बाद विश्वभर में अंधेपन का दूसरा सबसे बड़ा कारण काला मोतिया यानी ग्लूकोमा ही है और ग्लूकोमा आनुवांशिक बीमारी भी है। वर्ल्ड ग्लूकोमा एसोसिएशन के अनुसार भारत में 40 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 01 करोड़ से अधिक रोगी काला मोतिया की बीमारी से पीड़ित हैं। ऐसे में अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञ से जानते है इस भयंकर रोग के लक्षण एवं उपचार के बारे में-

क्या होता है ग्लूकोमा

                                                       

एक साफ तरल पदार्थ जिसे अक्नेयस ह्रयूमर कहते हैं आंख के अन्दर बहता रहता है, जो लैन्स, आयरिस और कॉर्निया को पोषण प्रदान करता है। इसके बहाव को संचालन करने वाले नाजुक जाल में कोई खराबी आ जाए (ओपन एंगल ग्लूकोमा) या बिल्कुल बन्द हो जाए (क्लोज्ड एंगल ग्लूकोमा), तो इस तरल पदार्थ का आंखों से निकास प्रभावित होता है और आंख का प्रेशर बढ़ने लगता है। आंख के इस दबाव के बढ़ने से ही ग्लूकोमा होता है।

आई ड्रॉप्स से भी हो सकता है नियंत्रित

ओपन एंगल ग्लूकोमा को आई ड्रॉप्स से भी नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि इस दौरान यदि मरीज की दृष्टि उसका उपचार शुरू करने से पहले ही चली गई तो उसे किसी भी स्थिति में वापस नहीं पाया जा सकता। इसलिए समय रहते ही बीमारी का पता लगाना एवं इसका उपचार कराना आवश्यक है। क्लोज्ड एंगल ग्लूकोमा का लेजर तकनीक से उपचार या सर्जरी की जाती है। रोग की गंभीरता को कम करने के लिए समय पर जांच अवश्य करानी चाहिए।

बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक है जोखिम

                                                       

छोटे बच्चों से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक किसी को भी ग्लूकोमा हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि आंखों की नियमित जांच (आंखों के दबाव, आंख की नस की जांच) करवानी चाहिए। कुछ स्थितियां ऐसी हैं, जिनके कारण कुछ लोगों के लिए काला मोतिया के होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है, जैसे कि-

  • यदि आपकी आयु 45 वर्ष से अधिक है और अपनी आंख की नियमित जांच नहीं करवाते।
  • आपके परिवार में किसी को ग्लूकोमा हो चुका है। आंखों में चोट लगने की हिस्ट्री है अथवा आंखों के पर्दे का ऑपरेशन हो चुका है। यदि आप स्टेरॉइड्स आई ड्रॉप्स का उपयोग लम्बे समय तक बिना चिकित्सक के परामर्श से कर रहे हैं तो ग्लूकोमा होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • वहीं मायोपिया (लघुदृष्टि), डायबिटीज व ब्लड प्रेशर, थायरॉइड के रोगियों को ग्लूकोमा रोग होने की आंशका भी अधिक बढ़ जाती है।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।