डेंगू, हैजा, टाइफाइड और हैपेटाइटिस एक बड़ा खतरा Publish Date : 27/07/2023
डेंगू, हैजा, टाइफाइड और हैपेटाइटिस एक बड़ा खतरा
डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर
मानसून, हर साल जल-जमाव व जल जनित बीमारियों और अन्य कीट मच्छर जनित रोगों के साथ आता है। हालांकि इस वर्ष इसलिए सभी वर्षो की तुलना में ज्यादा चुनौतीपूर्ण लग रहा है, क्योंकि कुछ राज्यों में काफी बारिश हुई है, जिसके कारण काफी जलभराव हो गया है और बाढ़ का पानी घटने पर मौसमी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, अतः इससे सतर्क रहने की जरूरत है।
जल जनित बीमारियां से बचकर रहने की जरूरत होती है क्योंकि बारिश का पानी इकट्ठा रहने से जल जनित बीमारियां लोगों को अपनी चपेट में लेने लगती हैं। आने वाले दिनों में कीचड़ और गंदगी से होने वाली बीमारियों भी परेशानी का एक कारण बन सकती है। अतः ऐसे में जरूरी है कि अतिरिक्त सावधानी बरतकर इन बीमारियों से अपने को बचा कर रखना है।
बढ़ गया है संक्रमण का खतरा
इस मौसम में पेट, त्वचा आदि से संबंधित संक्रमण की आशंका काफी बढ़ जाती है और जरा सी भी लापरवाही से डायरिया, पेचिश, टाइफाइड, कृमि संक्रमण, डेंगू, मलेरिया व त्वचा संक्रमण जीवाणु और फंगस की चपेट में आ सकते हैं। अतः इन सब से बचने के लिए पूरी बांह के कपड़े पहनने होंगे और मच्छरदानी का उपयोग करना होगा। व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें और नियमित रूप से हाथ को धोए और किसी से भी हाथ मिलाने से बचें।
इस समय बच्चे बुजुर्ग और कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों पर अधिक जोखिम है। कुछ कम चर्चित बीमारियां जैसे लेपटो स्पायरोसिस भी बाढ़ के बाद फैलती है। त्वचा संबंधी समस्याओं के साथ-साथ फंगल संक्रमण भी बढ़ जाता है, ऐसा प्रदूषित पानी के सीधे संपर्क के कारण होता है। आमतौर पर भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचना चाहिए, घनी आबादी वाले क्षेत्रों में स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों में वृद्धि हो जाती है।
जलभराव या बाढ़ के 2 सप्ताह बाद स्थिति ज्यादा बिगड़ती है। इस साल पूरे उत्तर भारत में मच्छर से फैलने वाली बीमारियां डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया आदि के फैलने का खतरा है। वर्ष 2022 में देश भर में करीब 2.3 3 लाख डेंगू के मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें सर्वाधिक 19826 मामले उत्तर प्रदेश में और 13972 मामले बिहार में दर्ज किए गए थे। इसलिए हम लोगों को अब सतर्क रहने का समय आ गया है और सतर्कता से ही हम इन जल जनित बीमारियों से बच सकते हैं।
सावधान रहने की है आवश्यकता
बारिश के दौरान और उसके बाद होने वाली बीमारियों में हैजा, हैपेटाइटिस ए और ई अर्थात पीलिया, टाइफाइड, लेप्टों स्पायरोसिस, डेंगू और मलेरिया आदि प्रमुख है। ऐसे वातावरण में सांप के डसने का भी खतरा बढ़ जाता है सांप के काटने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क किया जाना चाहिए।
मलेरिया, टाइफाइड, फाइलेरिया और डेंगू से बचाव है जरूरी
वर्षा काल में जल-जमाव, गंदगी और ठहरे पानी की वजह से होने वाली बीमारियों से बचाव करना भी बेहद जरूरी है। यह बीमारियां मच्छर, मक्खी और अन्य कीटों के माध्यम से फैलती हैं। मच्छरों के बढ़ने से डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया और फाइलेरिया जैसी बीमारियां हो सकती हैं। मक्खियां और उनसे जुड़े बुखार, दस्त, टाइफाइड आदि का कारण बन सकते हैं। इन सभी बीमारियों का प्रसार रोकने के लिए किसी भी चीज में अपने आसपास जलभराव ना होने दें, साथ ही अपने आसपास के पर्यावरण को भी साफ सुथरा रखने पर ध्यान दें।
एलर्जी और अस्थमा का बना रहता है खतरा
बरसात के दिनों में श्वसन, हृदय रोगियों, गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों आदि की परेशानी अधिक बढ़ जाती है। वर्षा काल में बाढ़ से पहले और बाद में धूल के कण तिलचट्टे और संघर्ष का बढ़ना आम बात है, जो अस्थमा और एलर्जी को बढ़ा सकते हैं। अस्थमा के मरीजों को अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है, अस्थमा के साथ-साथ गले में घबराहट खांसी और एलर्जी संबंधी बीमारियां भी हो सकती हैं। इस दौरान वृद्ध लोगों के गिरने से उन्हें चोट लगने की आशंका भी बढ़ जाती है, इसमें हाथ और कलाई की हड्डी का टूटना बहुत आम बात है। भारी बारिश और बाढ़ की यात्रा में भी खलल डाल सकती है जो सीधे मायो कॉर्डियल इंफेक्शन आपातकालीन परिस्थिति जैसी चिकित्सा और आपातकालीन सेवाओं को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए इस दौरान सतर्कता बनाए रखनी चाहिए
इन दिनों क्या रखे सावधानियां
घर के आसपास साफ सफाई रखें
जरूरत हो तो मास्क का प्रयोग करें
ह्रदय रोग, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस के रोगियों को अपने पास पर्याप्त मात्रा में दवाएं रखनी चाहिए और कोई भी खुराक नहीं छोड़नी चाहिए।
बुजुर्गों को गिरने से लगने वाली चोटों से बचाने के लिए उनकी देखभाल करें घर और बाथरूम के फर्श को स्वच्छ और सूखा रखें।
किसी भी आपातकालीन स्थिति में अस्पताल में इलाज कराएं
घर के आस-पास यदि जलभराव है तो उसे सूखा रखने की आवश्यकता है। यदि लंबे समय तक जलभराव है तो उसमें कुछ मट्टी का तेल या डीजल डाल दें जिससे मच्छरों के लारवा ना पनप सकें।
अपने खाने पर रखें विशेष ध्यान
वर्षा काल में खानपान पर ध्यान रखना बहुत जरूरी है, जिससे किसी भी बीमारी की आशंका को कम किया जा सके। हमेशा फिल्टर और शुद्ध किया हुआ पानी पीने का प्रयास करें, उबला हुआ या क्लोरीन इक्रित पानी भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
स्वच्छ गर्म और संतुलित आहार लें: स्ट्रीट फूड, ढाबे या होटल पर खाना खाने से बचें अपनी इम्यूनिटी का विशेष ध्यान रखें, जहां तक संभव हो प्रोटीन का इनटेक बढ़ाने और हरी सब्जियों का सेवन करें साथ ही आयुर्वेदिक महत्व रखने वाले पौधों के एक्सट्रेक्ट का उपयोग करें। समय रहते अपने पास के डॉक्टर को दिखाकर इलाज कराएं और स्वयं इलाज करने से बचें।
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर
मेडिकल ऑफिसर, प्यारे लाल शर्मा, जिला अस्पताल, मेरठ।