शरीर के लिए एक जरूरी विटामिन बी-12      Publish Date : 19/03/2025

            शरीर के लिए एक जरूरी विटामिन बी-12

                                                                                                          डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

इस जरूरी विटामिन की कमी, जिसके चलते दिमाग पर पड़ सकता है बुरा प्रभाव, ऑफिस में काम करने वाले आधे से अधिक कर्मचारियों में होती है इसकी कमी। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 65 करोड़ से अधिक लोगों में विटामिन बी-12 की कमी है। हाल ही में एक अध्ययन ज्ञात हुआ है कि भारत में बड़ी खामोशी के साथ एक गंभीर स्वास्थ्य संकट दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है। सर्वेक्षण में पाया गया है कि वर्तमान में 57 प्रतिशत से अधिक कार्पोरेट पुरुष विटामिन बी-12 की कमी से पीड़ित हैं।

                                             

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हमें नियमित रूप से कई प्रकार के पोषक तत्वों से भरपूर आहार की आवश्यकता होती है। परन्तु क्या आप प्रतिदिन पौष्टिकता से भरपूर आहार का सेवन कर रहे हैं? यह सवाल इसलिए अधिक महत्वूर्ण हो जाता है क्योंकि भारतीय आबादी में विटामिन्स की कमी के जो डेटा सामने आए हैं, वह काफी डराने वाले हैं।

आंकड़ों की मानें तो ज्ञात होता है कि इस समय भारत में लगभग 65 करोड़ से अधिक लोगों में विटामिन बी-12 की कमी है, जिसका मुख्य कारण जनसांख्यिकी, आहार और कई अन्य कारक भी हो सकते हैं। इन कारकों में धूम्रपान, शराब और एंटासिड का उपयोग भी विटामिन बी-12 की कमी के कारण बन सकते हैं।

इसी से संबंधित एक हालिया अध्ययन की रिपोर्ट बताती है कि देश में बड़ी संख्या कॉरपोरेट कर्मचारी भी शरीर के लिए जरूरी इस विटामिन की कमी से जूझ रहे हैं। विटामिन बी-12 की कमी से एनीमिया और तंत्रिका संबंधी समस्याओं सहित विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।

कार्पोरेट वर्कर्स में देखी जा रही है विटामिन बी-12 की कमी

डिजिटल हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म मेडीबडी ने हाल ही में एक अध्ययन में बताया कि भारत में खामोशी के साथ एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बढ़ता जा रहा है। सर्वेक्षण में पाया गया है कि 57 प्रतिशत से अधिक कार्पोरेट पुरुष विटामिन बी-12 की कमी से पीड़ित हैं। अध्ययन में 4,400 से अधिक प्रतिभागियों (3,338 पुरुष और 1,059 महिलाएं) के डेटा विश्लेषण में पाया गया है कि शरीर को काम करते रहने के लिए जरूरी इस विटामिन की कमी तेजी से बढ़ती जा रही है।

महिला कर्मचारी भी इससे अछूती नहीं हैं, आधे से अधिक महिला वर्कर्स भी इस विटामिन की कमी से जूझ रही हैं, जिसके कारण उनके दैनिक कामकाज के भी प्रभावित होने का खतरा बना रहता है।

क्यों कम होता जा रहा है ये जरूरी विटामिन?

                                            

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि व्यस्त शेड्यूल, अनियमित खान-पान और तनाव के उच्च स्तर के कारण, कार्पोरेट पेशेवर अक्सर जरूरी पोषण को अनदेखा कर देते हैं, जब तक कि इनके दुष्प्रभावों के लक्षण दिखने शुरू नहीं हो जाते। पुरुषों और महिलाओं में विटामिन बी-12 की कमी बढ़ने के पीछे अपर्याप्त आहार को मुख्य कारण पाया गया है।

कार्पोरेट में काम करने वाले लोगों की दिनचर्या और रहन-सहन भी काफी प्रभावित रहता है। जीवनशैली में बदलाव, जिसमें अत्यधिक प्रोसेस्ड और जंक फूड्स का सेवन, शराब-धूम्रपान और अत्यधिक कैफीन का लगातार सेवन भी शरीर में विटामिन बी-12 के अवशोषण को बाधित कर देता है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि दौड़-भाग और बढ़ते कंपटीशन के चलते कर्मचारियों में तनाव का स्तर भी काफी अधिक देखा जा रहा है जो कोर्टिसोल हॉर्मोन के उत्पादन को बढ़ा देती है। कोर्टिसोल के उच्च स्तर को शरीर के लिए कई प्रकार से हानिकारक माना जाता रहा है, इसका एक साइड इफेक्ट जाता है, जो शरीर में विटामिन बी-12 को कम कर देती है। कोर्टिसोल हॉर्मोन विटामिन बी-12 के अवशोषण और मेटाबॉलिज्म पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, जिससे इसकी कमी होने का खतरा काफी बढ़ जाता है।

विटामिन बी-12 की कमी के नुकसान

                                              

विटामिन बी-12 स्वस्थ रक्त और तंत्रिका कोशिकाओं, डीएनए संश्लेषण को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। यह मस्तिष्क के कार्य, ऊर्जा उत्पादन और संभावित रूप से संज्ञानात्मक गिरावट और आंखों की बीमारियों को रोकने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विटामिन बी-12 की कमी के कारण थकान, एनीमिया, सुन्नता और झुनझुनी जैसी तंत्रिका संबंधी समस्याएं होना आम है। समय के साथ ये संज्ञानात्मक क्षमता और मनोदशा को भी प्रभावित करने वाली हो सकती है।

मांस-मुर्गी, मछली, अंडे जैसे मांसाहार में इस विटामिन की अधिकता होती है। आप डेयरी उत्पाद, साबुत अनाज और नट्स-सीड्स भी इसकी पूर्ति कर सकते हैं। इसकी कमी से बचने के लिए आहार में विटामिन बी-12 वाली चीजों को शामिल करना जरूर सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

57 प्रतिशत महिलाओं में देखी जाती है यह गंभीर समस्या

                                                  

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (NFHS-5) के अनुसार, भारत में 15-49 वर्ष की आयु की 57 प्रतिशत महिलाओं में एनीमिया का खतरा रहता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं का एनीमिया का शिकार होना अधिक आम है।

इसके साथ ही महिलाओं की सेहत पर ध्यान देना भी बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में कई प्रकार की बीमारियों, पोषक तत्वों की कमी और स्वास्थ्य जटिलताओं का जोखिम अधिक रहता है।

महिलाएं अपनी दिनचर्या, हॉर्मोनल बदलाव और शरीर की संरचना के कारण कुछ बीमारियों को लेकर विशेषरूप से संवेदनशील होती हैं। लिंग आधारित इन समस्याओं के बारे में जानना और कम उम्र से ही इसको लेकर बचाव के उपाय करते रहना बहुत आवश्यक हो जाता है।

वहीं भारत में एनीमिया एक आम समस्या है, खासकर प्रजनन आयु की महिलाओं में। एनीमिया के कारण कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है। यही कारण है कि कम उम्र से ही सभी महिलाओं को इसके बारे में जानना और बचाव के लिए उपाय शुरू कर देना बहुत जरूरी है।

57 प्रतिशत महिलाओं में एनीमिया का खतरा

                                          

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (NFHS-5) के अनुसार, भारत में 15-49 वर्ष की आयु की 57 पतिशत महिलाओं में एनीमिया का खतरा रहता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में एनीमिया अधिक आम है। ग्रामीण और अशिक्षित महिलाओं में यह समस्या और अधिक देखी जाती है। मासिक धर्म और गर्भावस्था के दौरान आयरन की कमी, अपर्याप्त पोषण इसके प्रमुख कारण है।

एनीमिया तब होता है जब शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम हो जाता है। हीमोग्लोबिन एक प्रोटीन है जो लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाता है और यह शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है। आयरन की कमी महिलाओं में एनीमिया का सबसे बड़ा कारण है।

गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है एनीमिया

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, फोलिक एसिड और विटामिन बी-12 की कमी के कारण भी एनीमिया होने का जोखिम काफी हद तक बढ़ जाता है।

इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर को शिशु के विकास के लिए अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। यदि इस दौरान आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी-12 की पूर्ति न की जाए, तो एनीमिया हो सकता है। एनीमिया की स्थिति प्रजनन क्षमता में कमी, गर्भावस्था में समय से पहले प्रसव, नवजात शिशु का वजन कम होने और मानसिक और शारीरिक विकास में बाधा जैसी परेशानियों को बढ़ा सकती है।

एनीमिया से बचाव के लिए क्या करें?

                                            

एनीमिया से बचाव के लिए कम उम्र से ही आहार में सुधार करना जरूरी है। इसके लिए संतुलित आहार का सेवन करें।

  • आयरन युक्त चीजें हरी पत्तेदार सब्जियां (पालक, मेथी), चुकंदर, अनार जरूर खाएं।
  • प्रोटीन युक्त आहार जैसे दालें, सोया, दूध, अंडे का सेवन करें।
  • फोलिक एसिड और विटामिन बी-12 के लिए हरी सब्जियां, दालें, मांस, दूध को आहार में शामिल कर सकती हैं।
  • विटामिन-सी वाली चीजें जैसे नींबू, संतरा, आंवला को आहार में शामिल करें। विटामिन-सी आयरन के अवशोषण में मदद करता है।

स्तन कैंसर के मामले दुनियाभर में तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। महिलाओं में होने वाला यह कैंसर का रूप सबसे आम है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, हर साल लगभग 20 लाख महिलाएं स्तन कैंसर का शिकार पाई जा रही हैं।

इसके अलावा महिलाओं में आर्थराइटिस की समस्या भी रजोनिवृत्ति के बाद अधिक देखी जाती है। मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन हॉर्मोन का स्तर कम होने लगता है और इसकी कमी हड्डियों की सेहत को गंभीर रूप से प्रभावित करने वाली हो सकती है।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।