गुर्दों की सेहत के लिए कोल्ड ड्रिंक व कृत्रिम जूस का न करें सेवन      Publish Date : 16/03/2025

गुर्दों की सेहत के लिए कोल्ड ड्रिंक व कृत्रिम जूस का न करें सेवन

                                                                                                                 डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

अनियमित जीवन शैली और खराब खानपान मोटापे के मुख्य कारण होते हैं। घर के बाहर का भोजन अधिक करने के साथ ही लोग पिज्ज़ा, बर्गर, मोमोज, डोसा, इडली और मैगी आदि अधिक सेवन करते हैं जो अधिक खतरनाक होते हैं। इसके अलावा सबसे खतरनाक कोल्ड ड्रिंक और कृत्रिम जूस है, जिनका सेवन लोग करते हैं। इनमें मौजूद फ्रुक्टोज से मोटापा बढ़ता है, मोटापे से गुर्दे खराब होते हैं।

                                                 

अतः गुर्दों के बचाव के लिए शराब व धूम्रपान का सेवन न करें, घर का बना भोजन अधिक से अधिक करने की कोशिश करें जो भोजन आप लेते हैं, उसमें भी नमक की मात्रा प्रतिदिन 5 ग्राम से कम हो। इससे अधिक यदि आप नमक का सेवन करेंगे तो आपके लिए यह नुकसानदेह हो सकता है।

प्रायः देखा गया है कि नेफ्रोलॉजिस्ट गुर्दे के लिए शुगर और ब्लड प्रेशर के बाद तीसरा सबसे बड़ा खतरा मोटापे को मान रहे हैं। खराब खान-पान और अनियमित जीवन शैली के चलते लोग बड़ी संख्या में मोटापे के शिकार हो रहे हैं। अत्यधिक मोटापा गुर्दे को सीधे तौर पर प्रभावित कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि शुगर, बीपी नियंत्रित करने के साथ अपना वजन और मोटापा भी नियंत्रित रखें अन्यथा गुर्दे बीमार पड़ जाएंगे।

डॉ0 दिव्यांशु सेंगर ने बताया कि गुर्दे में 10 लाख से अधिक ग्लौमेरुली होती है, जो छोटे फिल्टर के तौर पर काम कर रक्त से अवशिष्ट और तरल पदार्थ को बाहर निकलते हैं। मोटापे के कारण से गुर्दों पर दबाव अधिक बढ़ जाता है, जिससे छात्रवृत्ति ग्लौमेरुली रक्त से अपशिष्ट और तरल पदार्थ को ठीक से निकलने का काम नहीं कर पाते हैं।

समय पर उपचार नहीं होने से गुर्दे फैलियर की स्थिति बन जाती है। खराब खान-पान व खराब जीवन शैली के कारण शुगर, बीपी और मोटापे की वजह से बीमार लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। आजकल डायलिसिस पर सबसे अधिक गुर्दा रोगी अनियंत्रित शुगर के चलते आ रहें हैं। यह संख्या करीब 40 प्रतिशत तक होती है। इसमें दूसरा नंबर अनियंत्रित ब्लड प्रेशर का है और लगभग 20 से 25 प्रतिशत मरीज ब्लड प्रेशर से पड़ित होते हैं लेकिन अब मोटापे की वजह से गुर्दा खराब होने के मामलों में भी अब तेजी से वृद्धि हो रही है। डायलिसिस पर मोटापे के चलते लगभग 8 से 10 प्रतिशत मरीज गुर्दे की खराबी के साथ आ रहे हैं। हालात यह है कि 30 साल से ऊपर के युवाओं में यह समस्या अधिक देखने को मिल रही है।

                                                 

डॉ0 दिव्यांशु सेंगर ने बताया कि बीएमआई बॉडी मास इंडेक्स 18.5 से 23.5 के बीच में होना चाहिए। इससे अधिक होने पर आपको सावधान हो जाना चाहिए। शुगर, बीपी और कोलेस्ट्रॉल की साल भर में एक बार जांच जरूर करवा लेनी चाहिए। यदि यह तीनों ही अनियंत्रित हैं तो किडनी फंक्शन टेस्ट भी करा लेने चाहिए। प्रतिदिन 30 मिनट व्यायाम अवश्य करना चाहिए।

गुर्दे की खराबी के कुछ संकेत है, जिनको पहचान की आवश्यकता होती है जैसे पैरों में बार-बार सूजन होना, भूख न लगना, कम उम्र में सांस फूलना और बीपी का लगातार बढ़ते रहना, जिन लोगों को शुगर, बीपी और पथरी आदि की समस्या रही है उन लोगों को सतर्क रहना चाहिए और समय-समय पर अपनी जांच जरूर कराते रहना चाहिए। गुर्दों के रोग के उपचार के लिए कई तरह की नई दवाइयां उपलब्ध है जिसके चलते उपचार अब पहले से बेहतर हुआ है। अतः यदि समय पर उचित उपचार करा लिया जाता तो इससे मरीज ठीक भी हो जाते हैं।

क्रॉनिक किडनी रोग को अक्सर साइलेंट किलर कहा जाता है। कई व्यक्ति जब तक लक्षण हल्के ही रहते हैं तब उनपर ध्यान नहीं देते है और जब उनका रोग काफी हद तक बढ़ नहीं जाता तो वह इसके प्रति सचेत नहीं हो पाते हैं। वैश्विक स्तर पर लगभग 850 मिलियन लोग किडनी रोगों से प्रभावित है। इन अनुमानों से संकेत मिलता है कि 2040 तक जीवन के नुकसान का पांचवा प्रमुख कारण बन सकता है किडनी रोग।

                                                    

डॉ0 दिव्यांशु सेंगर ने बताया कि किडनी के रिस्क फैक्टर शुगर, बीपी, हृदय रोग, मोटापा और आनुवांशिक कारण किडनी के जोखिम को बढ़ाते हैं। लगातार पानी का सेवन करना किडनी को आवश्यक पदार्थों को प्रभावी ढंग से बाहर निकलने में मदद करता है। नियमित व्यायाम रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है और रक्तचाप को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और प्रोटीन से भरपूर आहार नियमित रूप से लेना चाहिए।

नमक और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को सीमित रखें। दर्द निवारक दवाइयां के अत्यधिक प्रयोग से बचना चाहिए क्योंकि यह किडनी को नुकसान पहुंचा सकती है। धूम्रपान किडनी से रक्त के प्रवाह को कम करता है और उसकी कार्य क्षमता को कम करता है। अत्यधिक शराब पीने से निर्जलीकरण हो सकता है और किडनी का कार्य खराब हो सकता है, इसलिए शराग का अधिक सेवन करने से बचना चाहिए।

गुर्दा खराब होने के लक्षण

                                               

  • चेहरे पर सूजन का आ जाना।
  • पेशाब कम आना शुरू हो जाता है।
  • भूख का कम लगना।
  • पेशाब में खून का आना।
  • कम उम्र में चलते समय सांस का फूलना।
  • अपना गुर्दा स्वस्थ रखने के लिए करें निम्न उपाय
  • शरीर का मोटापा न बढ़ने दे।
  • तला-भुना एवं अत्यधिक मसालेदार खाना कतई न खाएं।
  • धूम्रपान से यथासंभव परहेज करें।
  • कोल्ड ड्रिंक तथा सिंथेटिक पेय पदार्थ से उचित दूरी बनाकर रखें।
  • दिन में अधिक से अधिक पानी पीने का प्रयास करें।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।