
आखिर महिलाएं ही क्यों जल्दी डिप्रेशन की होती हैं शिकार Publish Date : 11/02/2025
आखिर महिलाएं ही क्यों जल्दी डिप्रेशन की होती हैं शिकार
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
जीवन में विभिन्न प्रकार की कठिनाईयां आती रहती हैं। ऐसे में मुश्किलों में दुखी होना भी स्वाभाविक है। लेकिन डिप्रेशन (Depression) अपने आप में एक अलग प्रकार की स्थिति होती है।
यह हमारे मूड (Mood Disorder) में होने वाला एक बदलाव है। डिप्रेशन किसी व्यक्ति की सोच, काम करने के तरीके और उसके अनुभवों को प्रभावित करता है। ऐसे में हमारे स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ0 दिव्यांशु सेंगर बता रहें हैं कि महिलाओं में होने वाले डिप्रेशन के सम्बन्ध में और उससे महिलाएं कैसे निपटें।
डिप्रेशन एक बीमारी है
डिप्रेशन होना एक आम है, लेकिन यह एक गंभीर बीमारी होती है। यह बीमारी जेनेटिक, जैविक, पर्यावरणीय और मानसिक बदलावों के कारण होती है। सभी लोगों को डिप्रेशन का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन यह महिलाओं में आमतौर पर देखी जाने वाली बीमारी है।
डिप्रेशन के लक्षण
दुख डिप्रेशन का एक हिस्सा मात्र है और इसके अन्य लक्षण कुछ इस प्रकार हैं-
1. चिंता या गुस्सा आना।
2. निराशा, बेकारपन या स्वयं को असहाय महसूस करना।
3. पहले जिन चीजों को करने में मजा आता था, उनके प्रति रुचि या आनंद कम हो जाना।
4. थकान, ऊर्जा की कमी या सुस्ती महसूस करना।
5. ध्यान केंद्रित करने, याद रखने या निर्णय लेने में कठिनाई होना।
6. नींद या भूख में बदलाव होना।
7. बिना किसी कारण के शारीरिक दर्द होना।
8. मौत के बारे में सोचना, आत्महत्या या आत्महत्या का प्रयास करना।
ये लक्षण आपके काम, पढ़ाई और नींद आदि को भी प्रभावित कर सकते हैं। अगर आप अपने आप में इन लक्षणों को लगातार महसूस कर रही हैं, तो शीघ्र ही अपने डॉक्टर से सलाह लें। सभी महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण एक जैसे नहीं होते। कुछ में ज्यादा और कुछ में कम लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
महिलाओं में खास तरह के डिप्रेशन
एक महिला के जीवन के कुछ खास समय में कुछ तरह के डिप्रेशन होते हैं। गर्भावस्था, प्रसव के बाद, मासिक धर्म और रजोनिवृत्ति शारीरिक और हार्माेनल बदलावों से जुड़े हैं। यह कुछ महिलाओं में डिप्रेशन का कारण बन सकता है।
1. प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर, प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) का एक गंभीर रूप है, जो मासिक धर्म से पहले के हफ्तों में होता है। इसके लक्षणों में डिप्रेशन, गुस्सा, आत्महत्या के विचार, भूख में बदलाव, पेट फूलना, स्तनों में कोमलता और मांसपेशियों में दर्द होना शामिल होता हैं।
2. गर्भावस्था के दौरान या बाद में प्रसवोत्तर डिप्रेशन हो सकता है। यह ‘‘बेबी ब्लूज’’ से कहीं अधिक गंभीर है, जो कई नई माताओं में होता है। प्रसवोत्तर डिप्रेशन वाली महिलाओं को बहुत अधिक दुख, चिंता और थकान महसूस होती है। इससे उन्हें खुद की देखभाल करने या दूसरों की देखभाल करने जैसे रोजमर्रा के काम करने में मुश्किल हो सकती है।
3. रजोनिवृत्ति के दौरान कुछ महिलाओं को पेरिमेनोपॉज़ल डिप्रेशन हो सकता है। अनियमित मासिक धर्म, नींद की समस्या और मूड में बदलाव रजोनिवृत्ति के दौरान आम हैं। लेकिन इस दौरान अगर गुस्सा, चिंता, दुख या आनंद न मिलना जैसे तीव्र भाव आते हैं, तो यह डिप्रेशन के लक्षण हो सकते हैं।
उपाचार
गंभीर डिप्रेशन का भी इलाज संभव है। आम इलाज में एंटीडिप्रेसेंट दवाएं, टॉक थेरेपी (ऑनलाइन या आमने-सामने) या दवाओं के साथ थेरेपी शामिल है। सभी के लिए एक जैसा इलाज नहीं होता। आपको अपना सबसे अच्छा इलाज ढूंढने के लिए कुछ परीक्षण करवाने पड़ सकते हैं। डॉक्टर आपके लक्षणों को समझकर और सही इलाज से आपकी बीमारी ठीक करने में मदद कर सकते हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।