त्वचा पर लाल चकत्तें होने से डरें नहीं      Publish Date : 09/02/2025

                   त्वचा पर लाल चकत्तें होने से डरें नहीं

                                                                                                                                         डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

कई बार अक्सर कुछ लोगों की त्वचा पर लाल लाल चकत्ते नजर आने लगते हैं। चिकित्सक कहते हैं कि यह एक ऑटोइम्यून रोग है। लंकिन इसमें घबराने की को जरूरत नही हैं, बल्कि इसके लिए आपको अपनी इम्यूनिटी को मजबूत करने की आश्यकता होती है।

                                                                  

कई बार त्वचा पर होने वाले हल्के रंग के दाने या फिर लाल रंग के धब्बों को हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन ऐसा करना हमारे लिए मुश्किलें भी खड़ी कर सकता है। यह भी हो सकता है कि यह सोरायसिस के शुरुआती लक्षण हों। इनके कई प्रकार हैं, लेकिन इनमें प्लॉक सोरायसिस की समस्या सबसे आम होती है। इसमें शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली ही शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं और ऊतकों पर हमला करने लगती है। यह स्थिति लंबे समय तक भी बनी रह सकती है।

प्लाक सोरॉयसिस वैसे तो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है, लेकिन सामान्य तौर पर यह घुटने, कोहनी, स्कैल्प, हाथों के पंजों और पीठ के निचले हिस्से में अधिक होती है। त्वचा पर चकत्ते का रंग स्किन टोन पर निर्भर करता है। हल्की त्वचा पर ये गुलाबी रंग के होते हैं और गहरी त्वचा पर बैंगनी और पीले रंग के। प्लॉक सोरायसिस की समस्या किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। इसलिए अगर आपको अपनी त्वचा पर लाल रंग के धब्बे नजर आएं तो इससे घबराएं नहीं, बल्कि इस समस्या से निजात पाने के लिए अपनी इम्यूनिटी पॉवर को मजबूत करें।

लक्षणों की पहचानः त्वचा में सूजन आ सकती है और लाल त्वचा के धब्बे सिल्वर, ढीले स्कैल्प से ढके होते हैं। ये दर्दनाक, खुजलीदार भी हो सकते हैं और कभी-कभी इनमें दरार हो सकती है और खून भी आ सकता है। नाखूनों और पैर की उंगलियों का रंग बदल सकता है। सोरायसिस के रोगियों के सिर पर स्कैल्प और धब्बे या पपड़ी बन सकती है। यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, लेकिन यह संक्रामक नहीं होता है। हालांकि इंफ्लेमेटरी रिएक्शन्स पीड़ित के भीतर ही शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है।

                                                         

समस्या के कारणः प्लॉक सोराइसिस के सही कारणों का अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है। कई विशेषज्ञ इसे आनुवांशिक कारणों के रूप में देखते हैं तो कुछ का मानना है कि प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से यह बीमारी हो सकती है। नेशनल सोरायसिस फाउंडेशन (एनपीएफ) की रिपोर्ट कहती है कि सोरायसिस से पीड़ित तीन में से एक व्यक्ति को गठिया भी हो सकता है, जो जोड़ों में और उसके आस-पास सूजन, जकड़न और दर्द का कारण बनता है।

समस्या का निदानः वैसे तो अभी तक सोरायसिस का कोई सटीक और कारगर उपचार नहीं आ सका है, लेकिन चिकित्सकों की सलाह पर इससे राहत के लिए कुछ कारगर कदम उठाए जा सकते हैं। त्वचा पर जहां लाल रंग के चकत्ते हों, वहां आप कोई क्रीम लगा सकती हैं। फोटोथेरैपी का सहारा ले सकती हैं। नमक के पानी और एलोवेरा के साथ स्नान करती हैं। ऐसे में खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है और इसके रोगियों को डेयरी प्रॉडक्ट, मांस आदि के सेवन से आदि से परहेज करना चाहिए और उसे रोज संतुलित आहार लेना चाहिए।

कुछ घरेलू इलाज भी उपलब्धः त्वचा विशेषज्ञों के अनुसार, त्वचा पर मॉइश्चराइजिंग लोशन का नियमित रूप से उपयोग करें। थोड़ी-सी धूप सेहत के लिए अच्छी होती है, क्योंकि इससे शरीर को प्राकृतिक विटामिन डी मिलता है, लेकिन कभी-कभी सनबर्न की स्थिति इस समस्या को और भी अधिक खराब कर सकती है। इसलिए धूप में बाहर जाने से पहले अपनी त्वचा की उचित देखभाल करें। क्रीम, जेल, लोशन, शैंपू और स्प्रे के रूप में विभिन्न उपचार उपलब्ध हैं। त्वचा विशेषज्ञ की देखरेख में इनका उपयोग करें।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।