न्यूरोलॉजिकल रोगों का खतरा पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक      Publish Date : 26/01/2025

न्यूरोलॉजिकल रोगों का खतरा पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक

                                                                                                                              डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

समस्या के कारण एवं इससे बचाव के उपाय

न्यूरोलॉजिकल समस्याएं आमतौर पर मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और शरीर की तंत्रिकाओं को प्रभावित करती हैं। इसके कारण मरीज को कमजोरी, लकवा मारने और अंगों की संवेदना कम होने सहित विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता हैं। हालांकि, महिलाओं में इस प्रकार की समस्याओं का जोखिम अधिक होता है, आज की हमारी इस पोस्ट में डॉ0 दिव्यांशु सेंगर बता रहे हैं इस समस्या के सम्बन्ध में विस्तार से-

                                                      

आधुनिक लाइफस्टाइल और खान-पान में उत्पन्न गड़बड़ी जैसी समस्या ने विभिन्न प्रकार की बीमारियों के खतरे को बढ़ा दिया है। नतीजतन अब 20 से भी कम उम्र के लोग हाई ब्लड प्रेशर, और डायबिटीज जैसी कई प्रकार की बीमारियों का शिकार होते जा रहे हैं। यही कारण कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को अपनी सेहत का निरंतर ध्यान रखने की सलाह देते हैं।

परन्तु क्या आप यह जानते हैं कि पुरुषों की तुलना में कुछ बीमारियों का खतरा महिलाओं में अधिक हो सकता है? विभिन्न अध्ययनों के माध्यम से पता चलता है कि महिलाओं में जिन स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम पुरुषों से अधिक देखा जाता रहा है, उनमें भी न्यूरोलॉजिकल समस्याएं प्रमुख रूप से शामिल हैं।

महिलाओं में हॉर्मोनल बदलाव एक प्रमुख कारण

डॉ0 सेंगर बताते हैं, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हॉर्मोनल बदलाव होने का जोखिम अधिक होता है और यही हॉर्मोनल उतार-चढ़ाव न्यूरोलॉजिकल स्थितियों को बढ़ाने वाले माने जाते हैं। महिलाओं में शामिल जैसे मासिक धर्म, गर्भावस्था या रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं में एस्ट्रोजन हॉर्मोन के स्तर में कई बार बदलाव आता है।

एस्ट्रोजेन हॉर्मोन महिला के यौन और प्रजनन आदि के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मस्तिष्क, हड्डियों, त्वचा, बाल और अन्य अंगों पर भी इसका प्रभाव होता है। मासिक धर्म और गर्भावस्था के दौरान एस्ट्रोजन असंतुलन के कारण कुछ महिलाओं में माइग्रेन होने का खतरा अधिक होता है।

महिलाओं में अल्जाइमर रोग का खतरा

                                                             

विभिन्न अध्ययनों के माध्यम से ज्ञात होता है कि अल्जाइमर रोग का खतरा भी महिलाओं को अधिक होता है। अल्जाइमर रोग से दुनियाभर में पीड़ित दो-तिहाई मरीज महिलाएं हैं। इसके लिए भी हॉर्मोनल बदलाव एक बहुत बड़ा कारण माना जाता है। एक शोध में पाया गया है कि एस्ट्रोजन हॉर्मोन शरीर को अल्जाइमर रोग के प्रभावों से बचाता है, हालांकि रजोनिवृत्ति के बाद एस्ट्रोजन का स्तर कम होने के कारण महिलाओं में इस विकार का खतरा पुरुषों की अपेक्षा काफी बढ़ जाता है।

न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से कैसे बचें?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि चूंकि अब यह स्पष्ट हो चुका है कि महिलाओं को 50-55 की आयु अर्थात रजोनिवृत्ति के बाद न्यूरोलॉजिकल समस्याएं अधिक हो सकती हैं। इसलिए कम उम्र से ही कुछ बातों का ध्यान रखकर, आप भविष्य में होने वाले जोखिमों को कम करने का प्रयास कर सकती हैं। इसके लिए संतुलित आहार का सेवन सबसे अधिक महत्वपूर्ण हो सकता है। इसमें पत्तेदार सब्जियां, वसायुक्त मछली, मेवे और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर चीजों का सेवन आप अधिक से अधिक करें।

इसके अलावा शारीरिक गतिविधियां और नियमित योग की आदत भी आपके मस्तिष्क में रक्त परिसंचरण को सुधारने और तंत्रिका संबंधी विकारों के जोखिम को कम करने में सहायक होता है, इसके लिए आपको सलाह दी जाती है कि आप रोजाना व्यायाम जरूर करें। स्ट्रेस मैनेजमेंट, अच्छी नींद लेना भी भविष्य में होने वाली इन समस्याओं से बचाव के लिए आवश्यक होते है।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।