
माइंड को हैल्दी रखने के तरीके Publish Date : 24/01/2025
माइंड को हैल्दी रखने के तरीके
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
हम सब यह अच्छी तरह से जानते हैं कि हमारी आदतें हमारे स्वास्थ्य को बहुत प्रभावित करती हैं। इनमें सं कुछ आदतें ऐसी होती हैं, जो हमारे स्वास्थ्य को कुप्रभावित करती हैं तो कुछ आदते ऐसी होती हैं कि जो हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहयोग पदान करती हैं। इन आदतों के माध्यम से हम अपने आपको बेहतर, सक्रिय और ऊजावान अनुभव करते हैं। अच्छी आदतों से आपके मानसिक और व्यवहारिक स्वास्थ्य में सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है तो आपके स्वाभाव में लचीलापन और संतुलन भी आता है।
इसी के सम्बन्ध में हमारे इस लेख में कुछ ऐसी ही आदतें दी जा रही हैं जिनका पालन करने से आप अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।
अपने शरीर की सक्रियता को बनाए रखें:- अपने मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए जो आप सबसे अच्छा कार्य कर सकते हैं, वह अपने शरीर को सक्रिय बनाए रखना, क्योंकि वर्कआउट के एकदम बाद लोग अपने आपमें कुछ अच्छा महसूस करते हैं। लगातार वर्कआउट करने से आपकी याददाश्त और संज्ञानात्मक में भी काफी सुधार आता है। हालांकि, इसका परिणाम तब अच्छा मिलता है, जब आप नियमित रूप से वर्कआउट करते हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि शरीर के सक्रिय रहने से आपके मस्तिष्क में अतिरिक्त रक्त संचार और रसायनों का उत्सर्जन होता है। शरीर के सक्रिय रहने से न्यूरांस के बीच नए कनेक्शन्स बनते हैं और डिप्रेशन और डिमेशिया आदि की सम्भावाएं भी कम हो जाती हैं। क्योंकि एक स्वस्थ मस्तिष्क ही समस्याओं का बेहतर प्रतिरोध कर सकता है।
नए दोस्त बनाएं:- अपने आपको अलग-थलग महसूस करना अथवा अकेलापन भी आपके मानसिक स्वास्थ्य को हानि पहुँचता है। इस दिशा में लगातार शोध किए जा रहे हैं कि किस प्रकार से अकेलेपन और अल्जाइमर की समस्या के बीच अंतर्सबन्ध विकसित होते जा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अकेलेपन के चलते हमारा शरी अधिक तनाव का अनुभव करता है, जिससे सूजन की समस्याएं भी बढ़ जाती हैं।
लगातार तनाव और सूजन के बने रहने से ब्रेन की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं और डिमेशिया का कारण बनती हैं। अतः अकेलेपन से बचने के लिए दोस्तों और स्वजनों से नजदीकियाँ बढ़ाने की आवश्यकता होती है तथा इसमें एक फोन कॉल से हमें लाभ प्राप्त होता है।
नींद की क्वालिटी में सुधार करें:- यदि आपकी रातों की नींद का स्तर अच्छा नही है तो आपके ऊपर तनाव का प्रभाव भी अधिक होता है। लम्बी अवधि तक नींद की दवाओं का सेवन करने के स्थान पर इन्सोम्निया के लिए कॉग्निटिव बिहैवियरल थैरेपी अधिक प्रभावी होती है।
अपने अंदर के आलोचक को शांत बनाए रखें:- यदि आप ऐसा महसूस कर रहें हैं कि आप अपने लक्ष्य तक नही पहुँच पाएंगे, तो मान लीजिए कि अ बवह समय आ गया है कि आप इमानदारी से यह स्वीकार करें कि आपको जो कुछ भी प्राप्त है, आपके लिए वही पर्याप्त है।
अटकने से बचकर रहें:- कई बार हममें से कई लोग किसी कार्य अथवा किसी रिश्ते में बुरी तरह से फंसा हुआ अनुभव करते हैं, जबकि एक छोटा सा प्रयास करने के बाद एक नए सिरे से जीवन की शुरूआत की जा सकती है।
अपने मस्तिष्क को चुनौति दें:- हालांकि, अभी यह बहस जारी है कि क्या क्रॉस वर्ड पजल्स या ब्रेन ट्रेनिंग जैसे गेम दिमाग को स्मार्ट बनाते हुए उिमेंशिया के जोखिम को भी कम कर सकते हैं। यह बात अलग है कि बोर्ड गेम खेलने, पुस्तक या अन्यूज पेपर पढ़ने अथवा किसी नई भाषा को सीखने से आपकी संज्ञानात्मक क्षमता में वृद्वि होती है।
एंग्जाइटी का समाधान निकालें:- आप अपनी चिंताओं का मैनेमेंट किस प्रकार से करते हैं यह आपकी आदतों पर निर्भर करता है। शोधों के माध्यम से स्पष्ट हो चुका है कि समस्याओं का सामना करके आप उनका हल भी निकाल सकते हैं। हालांकि आप यह काम एक्सपोजर थैरेपी के रूप में किसी थैरेपिस्ट की सहायता अथवा स्वयं अपने आप भी कर सकते हैं। इसके लिए आप स्वयं से प्रश्न भी कर सकते हैं कि यदि आप किसी बात के लिए चिंता कर रहे हैं तो क्या वह बात आपके लिए उतनी ही महत्वपूर्ण है अथवा नही।
अपने फिजिकल स्वास्थ्य का भी पूरा ध्यान रखें:- हमारा मस्तिष्क और शरीर दोनेां ही एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। इसके लिए विशेषज्ञ कुछ क्विज के माध्यम से डिमेंशिया, डिप्रेशन और स्ट्रोक के जोखिम को भोपने का प्रयास करते हैं। इस बात से स्पष्ट होता है कि जितना आपका शरीर स्वस्थ रहेगा, उतना ही आपका दिमाग भी स्वस्थ ही रहेगा। कहा भी गया है कि एक स्वस्थ शरीर में ही एक स्वस्थ दिमाग का वास होता है।
अपने आपको शांत बनाएं रखें:- क्रोध मस्तिष्क को काफी गम्भीर क्षति पहुँचता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि क्रोध में बिना सोचे समझे प्रतिक्रिया देने अथवा कोई अनावश्यक कार्य कर बैठने की आदत बचकर रहना ही अच्छा होता है।
भूलना भी सीखें:- किसी को क्षमा करना एक भावनात्मक प्रक्रिया होती है। क्षमा करने से हमारे अंदर नकारात्मकता का स्तर कम हो जाता है।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।