व्यायाम करने से होती है शरीर की सूजन कम Publish Date : 13/07/2023
व्यायाम करने से होती है शरीर की सूजन कम
नियमित रूप से व्यायामक करने से हमारे शरीर को विभिन्न प्रकार की सूजन एवं दर्द से राहत प्राप्त होती है, यह बात विभिन्न शोध परिणामों के निष्कर्ष में बताई जा चुकी है। परन्तु एक नए शोध में व्यायाम के माध्यम से सूजन के कम होने के कारणों को बेहतर ढंग से समझाया गया है।
अध्ययन के परिणाम में बताया गया है कि व्यायामक रने के दौरान हमारे शरीर में श्वेत रक्त कणिकाओं का उत्पादन बढ़ जाता है। हमारे शरीर में बनने वाली श्वेत रक्त कणिकाओं के प्रमुख कार्य बाहरी संक्रमणों से लड़ना, क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की रिपेयर करना और घावों के भरने में सहायता करना आदि हैं।
बर्क यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, मध्यम परिश्रम वाले व्यायाम हमारी बोन मैरो में मैक्रोफेनेस का स्तर कम कर देते हैं। इस प्रकार हम जिस प्रकार के व्यायाम करते हैं, वह हमारे शरीर के उस भाग की कोशिकाओं की सांस लेने की प्रक्रिया में बदलाव कर देता है। इससे हमारे शरीर के उस हिस्से में ऑक्सीजन की पहुँच बढ़ने के साथ ही ऊर्जा के उत्पादन में वृद्वि होती है जिससे डीएनए में उनकी पहुँच पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
हमारे शरीर में सूजन का होना शरीर की विभिन्न स्थितियों के प्रति अपनी प्रतिक्रिया के प्रदर्शन के रूप में सामने आती है। यह हमारे शरीर में संक्रमण एवं तनाव पैदा करने वाले कारकों से लड़ने का एक संकेत भी होता है। वहीं सूजन का बहुत अधिक होना, एक लम्बे समय तक रहना, कई अन्य रोगों की ओर भी ईशारा करता है।
पूर्व में किए गए विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, प्रतिदिन 20 मिनट तक व्यायाम करना, जैसे कि तेज चाल से चलन, ऐरोबिक एक्सरसाईज प्रकार के व्यायाम हमारे शरीर में सूजन रोधी प्रभावों को उत्पन्न करते हैं।
बढ़ती उम्र में हड्डियों की कमजोरी यानि ऑस्टियोपोरोसिस
ऑस्टियोपोरोसिस, बढ़ती उम्र के साथ जब हमारी हड्डियाँ एक हद से ज्यादा कमजोर हो जाती है तो उस स्थिति को कहते हैं। ऑस्टियोपोरोसिस हड्ड़ियों से सम्बन्धित एक अति गम्भीर समस्या होती है, जिसका यदि समय पर उचित उपचार न किया जाए तो यह रोग सम्बन्धित व्यक्ति को विकलाँग तक बना सकता है।
राष्ट्रीय ख्याति प्राप्व्त वरिष्ठ हड्ड़ी रोग, जोड़ एवं प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ0 शैलेन्द्र सिंह बताते हैं, कि यह रोग अधिकतर प्रभावित व्यक्ति की रीढ़ की हड्ड़ी और कूल्हों की हड्डियों को प्रभावित करता हैए और कई मामलों में यह जानलेवा भी सिद्व हो सकता है।
ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण:
ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण इस प्रकार से हैं .
1. पीठ में दर्द का होना।
2. शरीर का झुका हुआ प्रतीत होना।
3. बहुत कमजोरी महसूस करना और जल्द ही थक जाना।
4. पीठ में किसी प्रकार के उभार (लिस्टिसिस) आदि के फ्रैक्चर होने के कारण हो सकता है।
5. समय के साथ ही ऊँचाई में कमी आना, आदि लक्ष्ण दिखाई देते हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस के विभिन्न जोखिम एवं उसके कारक
हड्ड़ी रोग, जोड़ एवं प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ0 शैलेन्द्र सिंह के अनुसारए ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम कारक निम्नलिखित प्रकार के होते हैं:-
1. बढ़ती हुई उम्र
2. रोगी का पारिवारिक इतिहास
3. रोगी के शरीर का ढ़ाँचा
4. सैक्स हार्मोन्स
5. थायराइड की समस्या
6. अन्य ग्रन्थियाँ
7. कैल्शियम की कम मात्रा
8. खाने के विकार
9. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी
10. अधिक मात्रा में स्टेरॉयड्स का सेवन
अंत में डॉ0 शैलेन्द्र सिंह ने भारतीय जनमानस को सचेत करते हुए कहा कि ऑस्टियोपोरोसिस की बीमरी के दौरान प्रभावित व्यक्ति को शीघ्रता से अपने चिकित्सक से सम्पर्क करने उनके निर्देशानुसार आचरण एवं उनके द्वारा दी गई दवाओं का सेवन कर स्वास्थ्य लाभ लेना चाहिए।
यौन सुख में कमी, योनि में संवेदनशीलता की कमी अथवा ढीली योनि के अनुभव का उपचार अब सम्भव
योनि या फिर वेजाईना स्त्री के शरीर का वह भाग होता है, जो कि एक विशेष प्रकार की मांसपेशियों द्वारा बना हुआ होता है और यह बहुता लचीला भी होता है। यह अधिक फैलने के उपरांत भी पुनः अपने वास्तविक आकार में वापस आ जाता है। परन्तु इसके सापेक्ष योनि का ढीला होना एक ऐसी स्थिति होती है, जिसके दौरान योनि की मांसपेशियों में ढीलापन आ जाता है।
आपकी आयु में वृद्वि होने के साथ-साथ आपके शरीर में कुछ बदलाव आते हैं, जो आपके जीवन को गम्भीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। बढ़ती हुई उम्र के कारण महिलाओं को रजोनिवृत्ति के जैसी गम्भीर स्थिति का सामना करना पड़ता है। ऐसे ही बढ़ती हुई उम्र और प्रसव के बाद महिलाओं का जीवन गम्भीर रूप से प्रभावित होता है।
योनि में ढीलापन आने के कारण:
1. महिला की उम्र के बढ़ने के कारण।
2. एक से अधिक प्रसव होने के कारण।
3. किसी प्रकार का कोई गहर जख्म अथवा घाव।
4. विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं।
5. रजोविृत्ति के कारण।
6. एस्ट्रोजन महिलाओं का एक खास हार्मोन के स्तर का कम होना।
ढीली योनि के लक्षण:
1. योनि में सूखापन होना।
2. योनि के ऊतकों का पतला पड़ जाना।
3. योनि के अन्दर कम खिंचाव की स्थिति का होना।
4. महिला को सम्भोग के समय दर्द का अनुभव होना।
5. मूत्र का आकस्मिक रिसाव अर्थात मूत्र असंयम की स्थिति का होना।
6. निरंतर पेशाब करने की इच्छा का बने रहना।
7. स्त्री के श्रोणि क्षेत्र में दर्द का अनुभव करना।
8. योनि में खुजली एवं दुर्गन्ध का होना।
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञा बताती हैं कि वर्तमान में योनि के ढीलेपन का उपचार लेजर और वेजिनोप्लॉस्टी नामक दोनों ही विधियों के माध्यम से सम्भव है। इसमें लेजर प्रक्रिया एक दर्द रहित नॉन सर्जिकल प्रक्रिया होती है, जिसके माध्यम से योनि की प्राकृतिक कसावट वापस आ जाती है। तो वहीं दूसरी ओर वेजाईनोप्लॉस्टी एक प्रकार की सर्जरी की प्रक्रिया होती है, जिसके माध्यम से योनि से सम्बन्धित समस्याओं का निवारण किया जाता है। अतः यदि आप सही समय पर सर्वश्रेष्ठ कॉस्मेटिक स्त्री रोग विशेषज्ञा से परामर्श करती हैं तो आपकी योनि की सम्बन्धित परेशानियों का निदान करना सम्भव है।
प्रस्तुतिः डॉ0 दिव्याशु सेगर, मेडिकल ऑफिसर, प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल, मेरठ।