थायरॉइड जानलेवा भी हो सकता है Publish Date : 12/01/2025
थायरॉइड जानलेवा भी हो सकता है
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
जनवरी को थायरॉइड जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है।
क्या है थायरॉइड,?
हाइपरथॉयरायडिज्म: जब थायराइड हॉर्मोन आवश्यकता से अधिक बनता है तो इस स्थिति को हाइपरथॉयरायडिज्म कहते हैं। इससे प्रभावित होने वाले रोगी के शरीर की कुछ क्रियाओं में तेजी आ जाती है। इसके लक्षणों में चिड़चिड़ापन होना, अधिक मात्रा में पसीना आना, घबराहट होना, दिल की धड़कनों का बढ़ना, वजन कम होना, भूख अधिक लगना और मांसपेशियों में कमजोरी के साथ दर्द का अनुभव होना।
हाइपोथायरायडिज्म: ठीक इसी प्रकार जब थायरॉइड हॉर्मोन आवश्यकता से कम मात्रा में बनता है तो इस स्थिति को मेडिकल की भाषा में हाइपोथायरायडिज्म कहते हैं। इस स्थिति में शरीर की विभिन्न क्रियाएं धीमी गति से होती हैं।
थायरॉइड स्टॉर्मः- यह स्थिति हाइपरथायरायज्मि से पीड़ित लोगों को हो सकती है। यह एक दुर्लभ किन्तु जानलेवा स्थिति होती है।
थायरॉइड, मानव शरीर में स्थित एक छोटी, किन्तु एक शक्तिशाली ग्रन्थि होती है। इस समस्या की अनेदखी करना बहुत हानिकारक सिद्व हो सकता है, क्योंकि यह पूरे शरीर को प्रभावित करती है। इसको स्वस्थ्य रखने के लिए इसके रहस्यों को जानना बहुत आवश्यक है, इस ग्रन्थि में परेशानी होने का सबसे बड़ा कारण खराब जीवनशैली प्रमुख भूमिका निभाती है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), प्रत्येक वर्ष जनवरी माह को थायरॉइड जागरूकता माह के रूप में आयोजित करता है।
WHO के अनुसार, थायरॉइड एक गम्भीर रोग होता जो कि जानलेवा भी हो सकता है, हालांकि आमतौर पर थायरॉइड का उपचार किया जाना सम्भव होता है। थायरॉइड रोग को इसके लक्षणो के आधार पर पहचाना जा सकता है।
थायरॉइड, मानव शरीर में गर्दन के सामने की ओर स्थित तितली के आकार की एक छोटी सी ग्रन्थि होती है, जो शरीर में थायरॉइड हॉर्मोन के उत्पादन में सहयोग करती है। थायरॉइड हॉर्मोन शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित करते हैं, जिनमें दिल की धड़कन, श्वसन क्रिया, वेट, पाचन क्रिया और मूड का खराब होना आदि।
अस्पताल जाने का समय
थायरॉइड स्टॉर्म का एक प्रमुख लक्ष्ण, जो इसे सामान्य हाईपरथायरायडिज्म से अलग करता है, वह है शरीर के तापमान में उल्लेखनीय वृद्वि जो कि 105-106 फॉरेनहाइट तक भी हो सकता है। थायरॉइड स्टॉर्म होना अ सामान्य होता है, परन्तु ऐसा जिस समय होता है तो यह प्रभावित व्यक्ति के लिए जान जाने का खतरा भी बन सकता है। ऐसे में इसके लक्षणों का अनुभव करने वाले रोगी को तुरंत ही अस्पताल लेकर जाना चाहिए।
आयु और आयोडीन की कमी होने के जैसे विभिन्न कारण
एक खराब जीवनशैली और अव्यवस्थित खानपान थायरॉइड होने के प्रमुख कारण माने जाते है। इसके अतिरिक्त लम्बे समय तक स्ट्रेस यानी तनाव, अधिक आयु, आयोडीन की कमी, वायरल इंफ्ेक्शन और आनुवांशिकता के कारण भी हो सकता है।
हालांकि महिलाओं में थायरॉइड की समस्या अधिक देखने को मिलती है। महिलाओं में इसके अन्य कई प्रमुख कारण भी हो सकते हैं। महिलओं में आमतौर पर हार्मोनल असंतुलन, गर्भावस्था के बाद होने वाले शारीरिक बदलाव और अवसाद आदि कारण भी हो सकते हैं।
दुनियाभर में लगभग 27 करोड़ लोग, जबकि भारत में लगभग चार करोड़ लोग थायरॉइड से सम्बन्धित समस्याओं को लेकर परेशान हैं।
एक अन्य सर्वेक्षण के अनुसार 60 वर्ष से अधिक आयु औरर 13 से 19 वर्ष की आयु के लगभग 5 प्रतिशत लोग थायरॉइड की समस्या से पीड़ित हैं। इसका सबसे बड़ा कारण अव्यवस्थित दिनचार्य और पूरी तरह से एक गतिहीन जीवनशैली होता है।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।