उचित डाइट प्लान बनाकर अपना मोटापा कम करें      Publish Date : 08/01/2025

            उचित  डाइट प्लान बनाकर अपना मोटापा कम करें

                                                                                                                                                डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

हमें ओबेसिटी को कन्ट्रोल करने के लिए अपनी दैनिक क्रियाओं के विभिन्न बिन्दुओं पर गमीरता पूर्वक विचार करना चाहिए। इसके लिए आहार में व्यापक बदलाव, लाईफ स्टाइल में सुधार, व्यायाम व शारीरिक गतिविधियां, औषधियों का प्रयोग, सर्जरी और ऐसे ही कुछ अन्य उपाय।

आहारः- मोटापे के शिकार लोगों को अपने अनुसार एक हैल्दी डाइट प्लान बनाना बहुत आवश्यक होता है। भूखे तो बिलकुल नही रहना चाहिए, परन्तु यदि इच्छा तो है लेकिन भूख नही है कदापि नही खाना चाहिए। इसके साथ नीचे दिए गए टिप्स को अपनाएं तो उन्हें इसका लाभ अवश्य मिलेगा।

1. भूख न हो तो बिलकुल न खाएं। ऐसे लोगों को अपने भोजन में रेशेदार सब्जियाँ और फल अवश्य शामिल करने चाहिए। इनमें ककड़ी, टमाटर, पातगोभी, लौकी और खीरा के अलावा इसी प्रकार की अन्य बहुत सी सब्जियाँ और फल ले सकते हैं। इसके साथ भरपेट भोजन करें, परन्तु ओवरइटिंग से बचकर रहें।

2. चीनी नमक और तेल आदि को बहुत मात्रा में यूज करें। हाई कैलोरी फूड्स के स्थान पर लो कैलोरी फूड्स का सेवन करें। टॉफी, आइसक्रीम, केक, पेस्ट्री, कुकीज, बर्गर, पिज्जा, कोल्डड्रिंक्स और अल्कोहल आदि में हाई कैलोरी होती हैं। अतः इनका सेवन करना बिलकुल बन्द कर दें, क्योंकि इनमें शुगर एवं ट्रांसफेट काफी अधिक मात्रा में उपलब्ध होता है।

3. खाली पेट तेजी से वजन कम करने से जब दोबार से खाना शुरू करते हैं तो वजन फिर से बढ़ जाता है अतः धीरे-धीरे खाने की मात्रा को कम करें।

4. जंक फूड़, फॉस्ट फूड्स के स्थान पर भुने चने, धानी (जो जौं को सेंकने से बनती है), मूँगदाल और परवल आदि का नाश्ते अथवा बीच में भूख लगती है तो उपयोग करें, क्योंकि यह सब कम कैलोरी वाले पदार्थ होते हैं।

5. फैट के लिए तिल, मूँगफली, बादाम, काजू और अखरोट आदि को अपने भोजन में शामिल करें। इसके साथ ही तिल, मूँगफली, नारियल और जैतून के तेल का उपयोग भोजन के पकाने में करें अथवा गाय का देशी घी उपयोग करें और रिफाइंड ऑयल तो बिलकुल ही बन्द कर दें।

6. दो आहार काल के मध्य कम से कम साढ़े तीन से चार घंटे का अंतर अवश्य ही रखें।

7. देर रात को खाना नही खाएं, अधिक से अधिक 8-9 बजे के बीच भोजन अवश्य कर लें। रात का खाना हल्का, उबला हुआ, सेमी सॉलिड का सेवन करें। यदि अधिक रात को खाना खाना भी पड़ता है तो खाने के स्थान पर केवल सूप का ही सेवन करें।

रात्री के भोजन के समय सलाद और बॉइल्ड वेजीटेबल लें और खाना खाने उपरांत एकदम सोने से बचें। खाना खाने एवं सोने के बीच कम से कम दो से ढाई घंटे का अंतर जरूर रखें। बिना किसी डाइटिशियन की सलाह के अपनी इच्छा से डाइट कम न करें अन्यथा पोषण की कमी के चलते कुपोषण का शिकार भी हो सकते हैं।

मोटापे से उत्पन्न परेशानियां

1. वेरीकोज वेन्सः-

हमारी माँसपेशियों में जमा वसा का प्रेशर हमारी वेन्स पर बुरा प्रभाव छोड़ता है। ट्वीस्टेडएन्लार्ज वेन्स में ब्लड का प्रेशर बढ़ जाता है। इससे बॉडी के लोवर पार्ट्स जैसे पांव और जांघ आदि की नसे फूल जाती हैं और यह दर्द भी करती हैं।

2. फैटी लिवर डिजेजः-

लिवर में फैट के जमा होने से सूजन आने लगती है जो लिवर को खराब करती है। इससे कभी-कभी फाइब्रस टिश्यू भी बढ़ जाते हैं जो कि आगे चलकर लिवर सिरोसिस या लिवर केंसर में बदल जाता है।

3. हार्नियाः-

मोटापे से ग्रस्त लोगों के पेट पर जमा हुई चर्बी का दबाव पड़ने से वह ईरायुइनल हार्निया के शिकार भी हो सकते हैं। इस रोग में छोटी आंत और ईरायुइनलकैनल में उतर जाती हैं।

4. क्रॉनिक रीनल फेल्योरः-

शरीर में धीरे-धीरे और निरंतर बढ़ते हुए विषाक्त (टॉक्सिंस) तत्व हमारे यूरिन को अधिक कन्सन्ट्रेट बना देते हैं। इलेक्ट्रोलाइट्स डिस्टर्ब तथा किडनी की कार्यक्षमता भी धीर-धीरे कम होकर समाप्त होने लगती है।

5. लिम्फीडिया

पैरों के लोवर लिम्ब में विशेष रूप से फ्लुइड रिटेन्शन में सूजन के जैसी दिखाई देने लगती है और इन्फेक्टेड ऐरिया में अवर्कट्रील्ढ इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।

इसके अतिरिक्त सिरदर्द, कार्पल मसल्स सिंड्रोम, डिमेंशिया, अस्थ्मा, हाइपो वेंटिलेशन सिंड्रोम, मेराल्लिया पेरेयेटिका, न्यूरोलॉजिकल स्ट्रॉक और ऑस्टियो आर्थ्राइटिस कार्बनल आदि अनेको परेशानियां मोटापे के शिकार लोगों में होने लगती है। इसलिए समय रहते ही मोटापे को नियंत्रित करना बेहतर होता है।

हैल्दी दिनचर्या

अपनी लाइफ स्टाइल को हैल्दी बनाए रखें। सुबह को सूर्योदय से पूर्व ही उठें। शौचादि नियमित कर्म से तय समय पर निवृत हो। बैड-टी का उपयोग न करें बल्कि उसके स्थान पर गर्म पानी में शहद मिलाकर सेवन करें। समय पर भोजन और नींइ लें। अनावश्यक ही रात्री जागगरण न करें और सुबह देर तक शयन न करें। पूरा दिन लेटकर या बैठकर ही व्यतीत न करें। लगभग प्रत्येक घंटे कुछ न कुछ शारीरिक गतिविधि करते रहें। बैठे-बैठे या खड़े-खड़े ही हल्की फुल्की एक्सरसाइज करें।

अपने कार्य स्वयं ही उठकर पूरा करने का प्रयास करें। दिन में बैठने का काम अधिक है तो थोड़े-थोड़े अंतराल पर कोई न कोई गतिविधि अवश्य करते रहें। मोबाइल पर बात करते समय चहलकदमी करते रहें। आहार का चयन मौसम के अनुरूप ही करें। लिफ्ट के स्थान पर सीढ़ियों का प्रयोग करें।

अधिक ऊँचाई पर घर या ऑफिस है तो 1 या दो मंजिल सीढ़ियों से ही चढ़ना और उतरना रखें। तनाव मुक्त जीवन जिएं। परिवार के साथ अच्छा समय व्यतीत करे और शारीरिक वेगों को बिना किसी वजह के रोकने का प्रयास न करें। ब्रह्यचर्य का पालन करें और मानसिक वेगों को यथासंभव रोकें।  

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।