
डायबिटीज क्या है और यह कैसे होती है? Publish Date : 01/01/2025
डायबिटीज क्या है और यह कैसे होती है?
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
डायबिटीज मेलेटस (मधुमेह)
वर्तमान समय में डायबिटीज, जो कि मधुमेह और शुगर के नाम से भी जानी जाती है, एक बहुत ही आम और विकराल रूप धारण कर चुकी एक स्वास्थ्य की परेशानी है। अब हालात ऐसे है कि हमारे देश भारत को अब ‘‘वल्डर्स कैपिटल ऑफ शुगर’’ के नाम से भी जाने जाना लगा है। आज के समय में हमारा लाइफ स्टाइल भी कुछ इसी प्रकार का हो चुका है कि इसके चलते डायबिटीज नामक रोग बहुत तेजी के साथ अपनी पकड़ बना रहा है।
अब स्थिति इतनी बदतर हो चली है कि डायबिटीज से केवल उम्रदराज लोग ही नहीं अपितु अब बच्चे और हमारा युवा वर्ग भी इसकी चपेट में आते जा रहे हैं। यह एक ऐसा रोग है जो धीरे-धीरे शरीर को अंदर से पूरी तरह से खोखला बना देता है।
इसके साथ ही इस रोग का अभी तक कोई सटीक उपाय भी नही खोजा जा सका है जिसके चलते यदि यह रोग किसी व्यक्ति को यह रोग एक बार लग जाए तो उस व्यक्ति को जीवन भर इसके साथ ही जीना पड़ता है। वर्तमान में डायबिटीज का कोई सटीक उपाय उपलब्ध नही होने के कारण इस रोग को केवल मैनेज किया जा सकता है न कि क्योर। जब हमारे ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ जाता है और हमारी इंसुलिन सही से कार्य करने में सक्षम नही रहता है तो व्यक्ति डायबिटीज की समस्या से ग्रस्त हो जाता है।
डायबिटीज एक ऐसा रोग है जो कभी भी अकेला नही आता है बल्कि इस रोग से ग्रस्त हो जाने के बाद व्यक्ति को अनेक अन्य स्वास्थ्यगत परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है।
तेजी से परिवर्तित होती हमारी जीवनशैली, तनाव, डिप्रेशन और लगातार चिंतित रहना आदि ने हमारे शरीर में तमाम बीमारियों को जन्म दिया है और इस प्रकार से इस रोग का प्रमुख कारण भी इन्हीं को माना जाता हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में पूरी दुनिया में लगभग 422 मिलियन लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं, जिनमें से करोड़ों लोग भारत के ही हैं। ऐसी ही एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया था कि वर्ष 2015 में लगभग 1.5 मिलियन लोगों की मौत का कारण डायबिटीज ही रहा था।
डायबिटीज, भले ही एक सामान्य बीमारी है परन्तु अगर यह बीमारी किसी को एक बार हो जाए तो यह जीवनभर उसका साथ नही छोड़ती है। एक समय ऐसा भी था कि जब यह बीमारी 50 वर्ष की आयु से ऊपर के लोगों को अपना शिकार बनाती थी, किंतु आज कोई भी आयु वर्ग इस भयानक बीमारी की चपेट में आने नही बचा है। ज्ञात हो कि इस बीमारी से ग्रसित मरीज यदि अपनी जीवनशैली और खानपान की आदतों में कुछ आवश्यक परिवर्तन करे तो वह अपने शुगर के लेवल को नियंत्रित रख सकता है।
क्या है मधुमेह (डायबिटीज)?
जब मानव के शरीर में पैंक्रियाज अर्थात अग्नाश्य में निर्मित होने वाले हॉर्मोन इंसुलिन का स्राव कम हो जाता है और इसके कारण मानव के ब्लड में शुगर का लेवल इसके सामान्य स्तर से अधिक बढ़ने लगता है तो इसी स्थिति को डायबिटीज कहते हैं। इंसुलिन नामक हॉर्मोन का निर्माण पाचक ग्रन्थि में होता है जो भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करने का महत्वपूर्ण कार्य करता है। इस हॉर्मोन की अनुपस्थिति में हमारा शरीर शुगर की मात्रा को कंट्रोल नही कर पाता है।
इस स्थिति में हमारे शरीर को भोजन से ऊर्जा ग्रहण करने में कठिनाई होने लगती है। जब ग्लूकोज का यह बढ़ा हुआ लेवल हमारे शरीर में लगातार बना रहता है तो यह हमारे शरीर के विभिन्न महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुँचाना शुरू कर देता है, जिनमें आखें, मस्तिष्क, हृदय, धमनियां एवं गुर्दे आदि प्रमुख होते हैं।
डायबिटीज के लक्षण
प्रतिदिन भरपूर नींद लेने के बाद भी सुबह को ऐसा लगता है कि आपकी नींद पूरी नही हुई है और आप पूरा दिन सुस्त बने रहते हैं, पूरे दिन थकान का अनुभव करते हैं यह संकेत ही बताते हैं कि आपके ब्लड में शुगर का लेवल लगातार बढ़ रहा है।
मधुमेह के होने पर आपको बार-बार पेशाब आने लगता है, क्योंकि जब आपके ब्लड में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है तो पेशाब के रास्ते ही आपके शरीर से बाहर निकलता है और इसी कारण से डायबिटीज के रोगी को बार-बार पेशाब के आने की समस्या शुरू हो जाती है।
डायबिटीज के रोगी को प्यास भी बार-बार लगना शुरू हो जाती है, क्योंकि शरीर का पानी और शुगर लगातार बाहर निकलता रहता है तो इसके चलते डायबिटीज के रोगी को बार-बार प्यास लगने का अनुभव होता है। अधिकतर लोग इस बात को हल्के में लेते हैं और वह यह समझ ही नही पाते हैं कि उनमें इस भयानक बीमारी की शुरूआत हो चुकी है।
डायबिटीज की बीमारी के आरम्भ में मरीज की आँखों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है। डायबिटीज रोग की शुरूआत होने पर मरीज की दृष्टि कमजोर पड़ने लगती है और उसे धुंधला दिखाई देने लगता है और किसी भी वस्तु को देखने के लिए उसकी आँखों को अधिक जोर लगाना पड़ता है।
डायबिटीज रोग के प्रारम्भ में ही इसके मरीज का वजन भी तेजी के साथ कम होने लगता है। सामान्य रूप से मरीज का वजन अचानक ही बिना किसी विशेष कारण के ही तेजी से कम होने लगता है।
डायबिटीज के मरीज का वजन तो कम होता है परन्तु उसकी भूख बढ़ने लगती है और सामन्य की अपेक्षा कई गुना तक मारीज की भूख बढ़ जाती है। ऐसे में मरीज को दिन में कई बार खाना खाने की इच्छा होती है।
डायबिटीज के मरीज के शरीर में किसी कारण से यदि कोई चोट लग जाए तो चोट का घाव जल्दी से भरता नही है। यदि मरीज के शरीर में कोई छोटी सी खरोंच भी लग जाए तो वह कम समय में एक बड़े घाव में बदल जाती है और उस घाव में संक्रमण के लक्षण भी स्पष्ट तौर पर नजर आने लगते हैं।
डायबिटीज के मरीज के शरीर का कोई संक्रमण आसानी से ठीक नही हो पाता है। ऐसे में यदि किसी व्यक्ति को बार-बार और जल्दी वायरल, खाँसी-जुकाम अथवा को बैक्टीरियल Infection होने लग जाए तो उसे शीघ्रता से अपने चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए क्योंकि उसे डायबिटीज होने का खतरा सम्भव है।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।