डायबिटीज के चलते बढ़ता फैटी लिवर का खतरा      Publish Date : 25/12/2024

                डायबिटीज के चलते बढ़ता फैटी लिवर का खतरा

डायबिटीज और फैटी लिवर में सम्बन्ध

लिवर की सेल्स में वसा (फैट) का जमना ही लिवर फैटी होने का मुख्य कारण होता है। इसके चलते लिवर में सूजन अथवा घाव हो जाने की समस्या भी हो जाती है और इससे लिवर धीरे-धीरे कड़ा होने लगता है। इसके फलस्वरूप आपका लिवर सही तरीके से कार्य करना भी बन्द कर सकता है।

                                                               

ऐसे में यदि किसी व्यक्ति को टाईप-2 डायबिटीज है तो उसके लिवर में वसा अधिक जमा होने की आशंका बढ़ जाती है। इसके साथ ही उस व्यक्ति के ब्ल डमें कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी बढ़ने लगती है जो उसे दिल की बीमारियों के खतरे के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती हैं। विशेषज्ञों की मानें तो डायबिटीज का चेकअप नियमित अंतराल पर करान बहुत ही आवश्यक है। 

विशेष रूप से यदि कोई व्यक्ति टाईप-2 डायबिटीज से जूझ रहा है तो उसे अपने लिवर के प्रति अधिक सजग रहना होगा। ऐसा व्यक्ति पाचन सम्बन्धी शिकायत, पेट में दर्द और पीलिया आदि के होने के तुरंत अपने डॉक्टर से सम्पर्क करें। यदि ऐसा नही किया जाता है तो स्थिति अधिक गम्भीर भी हो सकती है।

नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर का खतरा

आमतौर पर फटी लिवर की समस्या का मुख्य कारण शराब के सेवन करने को माना जाता है। परन्तु लेगों में ओवरवेट, मोटापा और डायबिटीज आदि की समस्या भी फैटी लिवर की समस्या के लिए कम जिम्मेदार नही होती है। कहा जा सकता है कि अगर आप शराब का सेवन नही कर रहें हैं और अपको इनमें से कोई भी एक या उससे अधिक समस्या है तो इससे आपको भी लिवर के फैटी होने की पूरी सम्भावना होती है और यदि इन समस्याओं का सही समय पर उपचार नही कराया गया तो यह सिरोसिस ऑफ लिवर में भी बदल सकता है।

यह लिवर के डैमेज होने की एक अवस्था होती है। किसी व्यक्ति में इस अवस्था के डेवलेप होने के बाद केवल लिवर ट्रांसफर के बाद ही इस बीमारी से बच पाना सम्भव है। यह एक बहुत महंगी प्रक्रिया होने के अलावा लिवर डोनर की तलाश करने की समस्या उससे भी बड़ी होती है। इस रोग से बचने का सीधा सरल और सस्ता उपाय केवल यह है कि आप अपनी लाइफ स्टाइल और खानपान में उचित सुधार करें।

यदि आप डायबिटीज के मरीज हैं तो एक स्वस्थ आहार और स्वस्थ जीवनशैली के साथ ही नियमित व्यायाम के जैसी तमाम चीजों के माध्यम से अपने शर्करा के स्तर को नियमित रखें और लिवर के फैटी होने की समस्या से स्वयं को दूर रखें। हालांकि, कुछ दवाइयाँ और मेडिकल स्थितियों को भी फैटी लिवर की समस्या को जिम्मेदार माना जाता है तो एसे में आवश्यक है कि आप अपने डॉक्टर से सम्पर्क करें।

फैटी लिवर के लक्षण

                                                              

नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर होने के सामान्य तौर पर कोई खास लक्षण नजर नही आते हैं, लेकिन यह तीन स्थितियाँ अनुभव में आ सकती हैं जिससे आको सावधान हो जाना चाहिए-

  • बिना किसी कारण के थकान होना।
  • दाहिने एब्डोमिन के ऊपरी हिस्से में दर्द होना।
  • अचानक वजन में गिरावट आना।

डायबिटीज के मरीज कैसे करे फैटी लिवर से बचाव

  • शराब का सेवन बिलकुल न करें।
  • मोटापे के स्तर को कम करें।
  • विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार ही अपनी खुराक निर्धारित करें।
  • प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम आवष्यक रूप से करें।
  • विशेष रूप से जंक फूड्स से दूरी बनाकर रखें, जंक फूड्स में वसा की मात्रा अधिक होती है और जितनी अधिक वसा आपके आहार में होगी उतनी ही अधिक आपको फैटी लिवर की समस्या होने सम्भावना होती है।
  • अपने आहार में विशेष रूप से फलों को शामिल करें। फलों के एंटीऑक्सीडेंट्स आपको स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकते हैं।
  • ऐसी दवाईयों का सेवन न करें जिनका सेवन करने से लिवर प्रभावित होता है। विशेषज्ञों के अनुसार इस प्रकार की तमाम दवाईयाँ होती हैं जो कि आपके लिवर को नुकसान पहुँचा सकती है।

शराब का सेवन करने से डायबिटिक पेशेंट्स की समस्या बढ़ती हैं

शराब तो अपने आप में हानिकारक है ही परन्तु डायबिटीज रोगियों में इसके अधिक नकारात्मक प्रभाव देखे जा सकते हैं। इसलिए ही कहा जाता है कि डायबिटीज के मरीजों को तो शराब का सेवन बिलकुल भी नही करना चाहिए। शराब का सेवन करने से डायबिटीज के मरीजों को होने वाले सम्भावित नुकसान-

  • शराब में अधिक कैलोरी होती हैं और इसके साथ ली जाने वाली डाइट भी हैवी ही होती है, जिसके चलते डायबिटीजको कंट्रोल करना मुशिकल होता है।
  • डायबिटीज की कुछ दवाईयों के साथ शराब का सेवन करने से साइड इफ्ेक्ट्स भी हो सकते हैं।
  • शराब का उसेवन करने से कभी-कभी कीटोसिस एवं हाईपोग्लॉईसीमिया की समस्या भी हो सकती है।

शराब आपके अग्नाश्य को क्षति पहुँचाती है और इससे पैंक्रिएटाईटिस की समस्या भी हो सकती है, जिससे शरीर में ग्लूकोज का स्तर अनियंत्रित हो जाता है। शराब के कारण लिवर सिरोसिस को जाने पर डायबिटीज की उपचार बहुत कठिनता से हो पाता है।

तंत्रिकाओं पर भी शराब के दुष्प्रभाव पड़ते हैं, जिसके चलते डायसबिटिक न्यूरोपैथी की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

उपरोक्त कारणों के चलते ही डाक्टर्स डायबिटीक पेशेंट्स को नो स्मोकिंग और नो एल्कोहॉल की सलाह देते हैं। इससे उनके ट्रीटमेंट में किसी प्रकार की कोई रूकावट नही आती है और उनका शुगर लेवल भी कंट्रोल रहता है।