कम उम्र में सर्वाइकल दर्द: तनाव और माइग्रेन से संबंध Publish Date : 17/12/2024
कम उम्र में सर्वाइकल दर्द: तनाव और माइग्रेन से संबंध
डॉ0 दिव्यांशु सेगर एवं मुकेश शर्मा
वर्तमान समय की इस तेज गति से भागती और दौड़ती जिन्दगी में कम उम्र में भी सर्वाइकल दर्द की समस्या तेजी से बढ़ रही है। पहले यह समस्या उम्र बढ़ने के साथ ही देखी जाती थी, लेकिन अब तो इससे युवा भी इससे प्रभावित हो रहे हैं।
प्यारे लाल शर्मा, जिला अस्पताल मरेठ के मेडिकल आफिसर डॉ0 दिव्यांशु सेंगर के अनुसार इसका सबसे बड़ा कारण है- तनाव और माइग्रेन। तनाव के कारण मांसपेशियां कस जाती हैं, जो गर्दन और कंधे के क्षेत्र में दर्द को बढ़ा देती हैं। खासकर, जब माइग्रेन और तनाव दोनों एक साथ होते हैं, तो यह सर्वाइकल दर्द को और भी अधिक गंभीर बना देता है।
(1) तनाव और माइग्रेन का सर्वाइकल दर्द से संबंधः- सर्वाइकल दर्द मुख्य रूप से गर्दन और कंधे के क्षेत्र में होता है। यह दर्द अक्सर मांसपेशियों की कसावट, नसों पर दबाव या लंबे समय तक गलत पोजिशन में बैठने के कारण होता है। लेकिन आजकल युवाओं में सर्वाइकल दर्द का सबसे बड़ा कारण तनाव और माइग्रेन देखने को मिल रहा है। माइग्रेन और तनाव के कारण जब मांसपेशियों पर अधिक दबाव पड़ता है, तो यह गर्दन और कंधे में तेज दर्द, अकड़न और भारीपन का कारण बनता है। कई बार इस दर्द के कारण सिर दर्द भी हो सकता है, जिसे ‘टेंशन हेडेक’ कहा जाता है।
(2) तनाव और चिंता से दर्द कैसे बढ़ता है?:- तनाव और चिंता के कारण शरीर की मांसपेशियां संकुचित हो जाती हैं। यह समस्या खासकर उन लोगों में अधिक होती है जो दिनभर कंप्यूटर या मोबाइल के सामने बैठकर अपना काम करते हैं। जब हम चिंता या तनाव में होते हैं, तो हमारी इमांसपेशियों में लगातार तनाव बना रहता है, जिससे धीरे-धीरे दर्द शुरू हो जाता है। यह दर्द गर्दन के ऊपरी हिस्से से शुरू होकर कंधे तक फैलता है और कभी-कभी पीठ तक भी जा सकता है।
सर्वाइकल दर्द और तनाव से निपटने के उपायः-
(।) ध्यान और योग तनाव को कम करने का एक प्रभावी उपाय हैं। रोजाना सिर्फ 15-20 मिनट ध्यान करने से मानसिक शांति मिलती है और तनाव का स्तर भी कम हो जाता है। योग में गर्दन और कंधों को मजबूत बनाने के लिए कुछ विशेष आसन होते हैं, जैसे कि भुजंगासन, सर्वांगासन, और मत्स्यासन। यह आसन मांसपेशियों को खींचते हैं और उन्हें मजबूती प्रदान करते हैं।
(2) जो लोग ऑफिस में लंबे समय तक काम करते हैं, उन्हें हर 30-40 मिनट में ब्रेक लेना चाहिए। स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करने से मांसपेशियों का तनाव कम होता है और दर्द की संभावना भी कम होती है। बैक और गर्दन की स्ट्रेचिंग रोजाना करना बेहद जरूरी है। इससे मांसपेशियों में लचीलापन आता है और तनाव भी कम होता है।
(3) तनाव कम करने के लिए कुछ खास तकनीकें जैसे कि डीप ब्रीदिंग, मेडिटेशन, और प्रोग्रेसिव मसल रिलैक्सेशन आदि का अभ्यास करें। डीप ब्रीदिंग से मस्तिष्क में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ता है और इससे मानसिक शांति प्राप्त होती है। गहरी सांस लें, और धीरे-धीरे इसे छोड़ें।
(4) रोजाना कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि जैसे चलना, जॉगिंग, और साइक्लिंग जैसी गतिविधियाँ करना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य हेतु लाभकारी होता है एवं तनाव दूर होता है। व्यायाम से एंडॉरफिन का स्तर बढ़ता है. जो प्राकृतिक रूप से दर्द को कम करता है और आपके मूड को भी बेहतर बनाता है।
(5) सही आहार लेना भी सर्वाइकल दर्द और तनाव के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विटामिन D, B12, और ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त आहार मांसपेशियों को मजबूत बनाने और तनाव को कम करने में मदद करते हैं। पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं क्योंकि शरीर में पानी की कमी भी तनाव और दर्द को बढ़ाती है।
(6) तनाव और दर्द से बचने के लिए 7-8 घंटे की पर्याप्त नींद लेना बहुत ही जरूरी है। सही पोजिशन में सोये ताकि गर्दन व पीठ पर अतिरिक्त दबाव न पड़े।
(7) तनाव से जुड़ी अन्य समस्याएं जो सर्वाइकल दर्द को बढ़ाती हैं- डॉ0 सेंगर ने भारतीय जनमानस को जागरूक करते हुए कहा की तनाव के कारण न केवल सर्वाइकल दर्द बल्कि अन्य कई समस्यएं भी उत्पन्न हो सकती हैं, जो इस दर्द को और भी अधिक बढ़ा सकती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:-
(1) तनावग्रस्त सिरददर्ः लंबे समय तक तनाव में रहने से सिरदर्द हो सकता है, जो आपकी गर्दन के दर्द के साथ भी जुड़ सकता है।
(2) अनिद्रा, तनाव और चिंता से नींद में व्यवधान पड़ सकता है, जिससे आपकी मांसपेशियों को आराम नहीं मिलता और इससे दर्द बढ़ सकता है।
(3) डिप्रेशनः लंबे समय तक तनावग्रस्त रहने से आपके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे सर्वाइकल दर्द की गंभीरता भी बढ़ सकती है।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।