कुपोषण की चुनौती Publish Date : 17/12/2024
कुपोषण की चुनौती
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
भारत सरीखे विश्व के अन्य विकासशील देशों में रहने वाली काफी बड़ी आबादी के लिए पोषक आहार जुटाना आज भी किसी चुनौती से कम नहीं है। कुपोषण के प्रभाव को कम करने के लिए सरकारी तौर पर काफी प्रयास किये जा रहे हैं। इनके सकारात्मक परिणाम हाल ही में जारी संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट में देखने को मिले हैं, जिसमें बताया गया है कि देश में कुपोषित आबादी की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है। केंद्र सरकार द्वारा भी 9,000 करोड़ रुपये के तीन वर्षीय बजट के साथ राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरूआत की गयी है। यह देश के 640 जिलों में कार्यान्वित किया जाएगा। इसमें कृषि, स्वास्थ्य व पोषण को आपसी तौर पर जोड़ने की दूरदर्शी सोच भी निहित है। पोषण सुरक्षा के क्षेत्र में खाद्य पर्याप्तता के साथ प्रोटीन, आयरन, आयोडीन, जिंक, विटामिन 'ए' आदि की कमी पर भी ध्यान देने पर बल दिया जा रहा है। इसी प्रकार उपरोक्त पोषण मिशन में संवर्धित खाद्य सामग्रियों, दाल तथा दूध व पोल्ट्री के उत्पादों के उपयोग के जरिये प्रोटीन की कमी को दूर करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस क्रम में बायोफोर्टिफाइड फसलों को देशव्यापी स्तर पर प्रसारित करने की योजना है ताकि जिंक, आयरन तथा विटामिन 'ए' सहित अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपलब्धता कुपोषणग्रस्त आबादी तक सुनिश्चित की जा सके।
खाद्य एवं कृषि संगठन की पहल पर इस बार भी विश्व के 150 से अधिक देशों में 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर आम लोगों को जागरूक करने के लिए कई तरह के कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जा रहा है। इनके जरिये, विशेषतौर पर, विकासशील देशों में कुपोषण मुक्ति पर आधारित नीतियों एवं योजनाओं को बड़े पैमाने पर लागू करने के लिए वहां की सरकार का ध्यान आकृष्ट करने का भी प्रयास किया जाता है।
आपकी अपनी पत्रिका 'खेती' का यह अंक भी 'पोषण विशेषांक' के रूप में प्रकाशित किया गया है। इसमें ऐसे लेखों को शामिल किया गया है, जिनमें ग्रामीण इलाकों में आसानी से उपलब्ध पोषक तत्वों से भरपूर कृषि उत्पादों से संबंधित जानकारियां निहित हैं। इतना ही नहीं, भूले-बिसरे खाद्यान्नों की पोषण उपयोगिता के बारे में भी याद दिलाने की कोशिश इस क्रम में की गई है, जिनका इस्तेमाल आधुनिक जीवन की आपाधापी में कम होता जा रहा है। इस अंक में पोषण वाटिका पर आधारित लेख प्रकाशित किया गया है, जिसमें घर-आंगन में उगाई जाने वाली तमाम उपयोगी सब्जियों एवं फलों की किस्मों का उल्लेख किया गया है। इनके उपयोग से अल्सर, गठिया, प्रोस्टेट कैंसर, एलर्जी सरीखे रोगों से समय रहते बचाव संभव है। इसी प्रकार किनोवा नामक फसल के बारे में बताया गया है, जो कि प्रोटीन, फाइबर, आयरन तथा कैल्शियम से समृद्ध है। यह ऑस्टियोपोरोसिस से बचाने में भी सहायक है।
इनके अतिरिक्त भी अन्य उपयोगी लेख हैं, जिनके माध्यम से कुपोषण की चुनौती का सफलतापूर्वक सामना करने के वैकल्पिक तरीकों पर उपयोगी जानकारियां दी गई हैं। 'खेती' का यह विशेषांक आपको कैसा लगा, इस बारे में अपनी राय से हमें अवश्य अवगत करवाएं।