शराब का सेवन करना लिवर के लिए घातक      Publish Date : 01/12/2024

                   शराब का सेवन करना लिवर के लिए घातक

                                                                                                                                         डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

अल्कोहल-संबंधित लिवर रोग- अल्कोहलिक लिवर डिजीज उस स्थिति को कहते हैं जब शरीर में शराब का अधिक मात्रा में सेवन करने से शरीर द्वारा सहन किए जा सकने से अधिक होता है। यह रोग उन लोगों को हो सकता है जो अल्कोहल का अधिक सेवन करते हैं। हालाँकि, कुछ विशेष वर्ग के लोग इससे अधिक प्रभावित होते हैं। इनमें उन लोगों की श्रेणी शामिल है जिनके शरीर में जेनेटिक नुकसान होता है क्योंकि उनका शरीर अल्कोहल को कुशलतापूर्वक पचा नहीं पाता।

                                                                         

शुरुआत में इसका कोई लक्षण नहीं होता और बुखार, पीलिया, थकान तथा लिवर कोमल, पीड़ादायक और संवर्धित हो जाता है, और फिर अधिक गंभीर समस्याएं जैसे पाचन तंत्र में रक्तस्राव तथा मस्तिष्क कार्य का खराब होना शामिल होता है। यदि बहुत अधिक अल्कोहल का सेवन करने वाले लोगों में लिवर रोग के लक्षण हैं, तो डॉक्टर लिवर का मूल्यांकन करने के लिए रक्त परीक्षण करते हैं तथा कभी-कभी लिवर बायोप्सी भी करते हैं। अल्कोहलिक लिवर की स्थिति से बचने के लिए, व्यक्ति को अल्कोहल का सेवन सुरक्षित सीमा के भीतर ही करना चाहिए।

पुरुषों के लिए इसकी सुरक्षित सीमा सप्ताह में 10 यूनिट्स से कम तक कुछ भी हो सकती है। एक यूनिट को एक नियमित एक गिलास के आकार या 30 मिलीलीटर के बराबर माना जा सकता है। जबकि महिलाओं में, यह सुरक्षित सीमा सप्ताह में 8 यूनिट्स से कम होती है। विश्वसनीय सीमा से ऊपर कुछ भी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।

                                                          

अल्कोहल के इस्तेमाल का विकार तीन तरह के लिवर डैमेज का कारण बन सकता है, जो अक्सर आगे दिए गए क्रम में विकसित होते हैं। फैट जमा होना (फैटी लिवर या अल्कोहल से जुड़ा हैपेटिक स्टीटोसिस) यह प्रकार सबसे कम गंभीर प्रकार होता है तथा कभी-कभी इसे ठीक भी किया जा सकता है। बहुत अधिक अल्कोहल का सेवन करने वाले 90 प्रतिशत लोगों में यह विकृति होती है। सूजन (अल्कोहोलिक हैपेटाइटिस) 10 से 35 प्रतिशत लोगों में लिवर में सूजन आ जाती है। अल्कोहल से जुड़ा सिरोसिस लगभग 10 से 20 प्रतिशत लोगों में सिरोसिस विकसित होता है।

सिरोसिस में, बड़ी मात्रा में सामान्य लिवर ऊतकों को स्थाई रूप से स्कार ऊतकों (जिसे फाइब्रोसिस कहा जाता है) से प्रतिस्थापित किया जाता है, जो कोई कार्य नहीं करते। परिणामस्वरूप, लिवर की आंतरिक संरचना बाधित हो जाती है, तथा लिवर अब सामान्य रूप से काम नहीं कर सकता है। अंतत आमतौर पर लिवर संकुचित हो जाता है। लोगों को कुछ लक्षण हो सकते हैं या वैसे लक्षण हो सकते हैं जो अल्कोहोलिक हैपेटाइटिस के कारण होते हैं। सिरोसिस आम तौर पर पहले जैसा नहीं हो सकता।

लिवर सिरोसिस के कारण निम्नलिखित गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं-

                                                   

एसाइटिसः पेट में तरल संचित हो सकता है जिसके कारण सूजन होती है।

हैपेटिक (पोर्टासिस्टेमिक) एन्सेफैलोपैथीः मस्तिष्क कार्य खराब हो सकता है क्योंकि क्षतिग्रस्त लिवर रक्त से विषाक्त अपशिष्ट तत्वों को बाहर निकालने में कम समर्थ होता है। इससे प्रभावित लोग निद्रालु तथा भ्रमित हो सकते हैं।

पोर्टल हाइपरटेंशनः लिवर में रक्त लाने वाली शिराएं संकुचित या अवरूद्ध हो सकती है, जिसके कारण शिरा में ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। पोर्टल हाइपरटेंशन, एसाइटिस का कारण बनता है या उसमें योगदान करता है, पाचन पथ में रक्तस्राव करता है, स्प्लीन संवर्धित (स्प्लेनोमेगाली), तथा कभी-कभी पोर्टासिस्टेमिक एन्सेफैलोपैथी का कारण बनता है।

पाचन तंत्र में रक्तसावः इसोफेगस और पेट में शिराएं संवर्धित हो सकती हैं या पोर्टल हाइपरटेंशन के कारण उनमें रक्तस्राव हो सकता है। लोगों को खून की उलटी आ सकती है या उनको रक्तयुक्त या टार जैसा मल आ सकता है।

लिवर खराब होनाः लिवर उत्तरोत्तर कार्य करने में कम सक्षम हो सकता है, जिसके कारण अनेक जटिलताएं पैदा हो सकती हैं और सामान्य रूप से स्वास्थ्य में गिरावट हो सकती है। लिवर की विफलता के कारण अंतत किडनी की विफलता हो जाती है।

                                                              

रक्तस्राव का विकारः लोगों में आसानी से रक्तस्राव और खरोंच पड़ने लगती है क्योंकि क्षतिग्रस्त लिवर उस तत्व की पर्याप्त मात्रा का सृजन नहीं करता है जिसके कारण क्लॉटिंग (कोग्यूलेट) होता है। साथ ही, अल्कोहल के कारण प्लेटलेट की संख्या और गतिविधि कम हो सकती है, जिससे रक्त की क्लॉटिंग में मदद मिलती है। पोर्टल हाइपरटेंशन के कारण स्प्लीन संवर्धित हो जाती है, जिसके कारण भी प्लेटलेट की संख्या में कमी होती है।

बढ़ी हुई स्प्लीनः पोर्टल हाइपरटेंशन के कारण स्प्लीन संवर्धित हो जाती है (एक दशा जिसे स्प्लेनोमेगाली कहा जाता है)। संवर्धित स्प्लीन सामान्य की तुलना में अधिक सफेद रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट को ट्रैप तथा नष्ट करती है। परिणामस्वरूप, संक्रमणों तथा रक्तस्राव का जोखिम बढ़ जाता है। यह रोग हर अल्कोहल पीने वाले में उत्पन्न नहीं होता है बल्कि उन लोगों में होता है जो लंबे समय तक अत्यधिक शराब का सेवन करते हैं।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।