ढलती उम्र में कमजोर होती पाचन क्रिया Publish Date : 29/11/2024
ढलती उम्र में कमजोर होती पाचन क्रिया
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
वृद्धावस्था में पाचन संबंधी समस्या का होना एक बहुत ही आम है। आहार नली, आमाशय, यकृत, गाल ब्लैडर, पैन्क्रियाज तथा आंतें, ऐसे अंग हैं जिनमें उम्र के साथ कई सूक्ष्म और स्थूल परिवर्तन आते हैं, जिससे उनके कार्य करने क्षमता भी प्रभावित होती है। अतः उम्र के इस पड़ाव पर बेहतर स्वास्थ्य के लिए कुछ बातों का ध्यान आवश्यक बहुत आवश्यक है।
भोजन आनंद एवं संतुष्टिदायक है, परंतु कुछ कारणों के चलते यह कष्टकारी भी हो सकता है। विकृत पाचन के कारण खासकर, बुजुर्गों को कई समस्याएं होती है, जैसे दांतों के नहीं होने, मसूड़ों में सूजन या संक्रमण, भोजन निगलने में कठिनाई होने और आहार नली की मांसपेशियों के कमजोर होने से पाचन क्रिया में दिक्कत होती है।
आमाशय में अम्ल अधिक बनने, अल्सर या आमाशय की आंतरिक परत में सूजन वृद्धों की बहुत ही आम समस्या है। इनके चलते भूख की कमी, पेट में अफारा, कब्ज और बवासीर भी वृद्धावस्था में पाचन तंत्र के अस्वस्थ होने के मुख्य लक्षण होते हैं।
समस्या का कारण और निदान: आयुर्वेद के मनीषियों का कहना है कि किसी भी तरह के पाचन विकार के मुख्यतः दो ही कारण होते हैं- गलत जीवन शैली और अनुचित आहार। उम्रदराज लोगों को इस बात का ध्यान रखना चहिए कि उनका भोजन भारी, देर से पचने वाला और अत्यधिक मसालों से युक्त न होकर उनकी वह स्वयं उनकी प्रकृति के अनुकूल हो।
काल और संयोग विरुद्ध भोजन तथा चिंता एवं शोकयुक्त अवस्था में किया गया भोजन भी कई बार सही तरीके से नहीं पच पाता है। आयु के अनुसार कम चलना-फिरना, पाचक अग्नि का मंद हो जाना और शारीरिक ऊर्जा की कमी जैसे कारण वृद्धावस्था में पाचन विकारों को जन्म देते हैं।
आहार अनुकूलता: किसी भी तरह के आहार की अनुकूलता किसी भीं व्यक्ति विशेष की प्रकृति पर निर्भर करती है, फिर भी वृद्ध लोगों को कुछ विशेष सावधानियां रखने की आवश्यकता होती है। चूंकि पाचन क्रिया मुंह से ही शुरू हो जाती है, इसलिए सबसे पहले दांतों और मसूड़ों की सफाई और उचित देखभाल करने की जरूरत है। मुंह में हो रहा संक्रमण सही पाचन क्रिया के लिए खतरा बनता है। दांतों की कमजोरी होने से भोजन को चबाने में दिक्कत होती है।
भोजन में सतर्कता: पेट और आंतों में होने वाली पाचन क्रिया को सुचारु बनाने के लिए विभिन्न कारण सहायक होते हैं। बुजुर्ग लोगों का भोजन थोड़ा स्निग्ध, हल्का गरम और जल्दी पचने वाला होना चाहिए। ऐसे में बुजुर्ग लोगों को भारी और तले हुए भोजन तथा भूख से अधिक खाने से बचना चाहिए। हरी सब्जियां, दालें, चोकरयुक्त आटा, रेशेदार भोजन व फल इत्यादि का सेवन वृद्धों में प्रायः होने वाली कब्ज की समस्या के निवारण में सहायक होता है।
उपयोगी बातों पर दें ध्यान-
बुजुर्गों को अफारा अथवा पेट में ऐंठन की तकलीफ आम होती है। बुजुर्ग लोगों को भारतीय रसोई में पाए जाने वाले पाचक पदार्थों का सेवन करना चाहिए। हींग, जीरा, अजवाइन, पुदीना और सेंधा नमक आदि के गुणों से सर्वसाधारण परिचित हैं।
यह पेट में अधिक गैस बनने से रोकते हैं और भोजन के पचने में अत्यंत सहायक होते हैं। वृद्धजनों को देर रात भोजन करने की प्रवृत्ति भी तत्काल ही छोड़ देनी चाहिए। बुजुर्ग लोगों का रात का भोजन दोपहर के भोजन से हल्का होना चाहिए।
वरिष्ठ लोगों को कब्ज निवारक औषधियों के अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से भी बचना चाहिए, क्योंकि इसकी आदत लग जाए तो फिर यह जल्दी नहीं छूटती। बुजुर्गों को भोजन के प्रति हमेशा सजग और अनुशासित रहना चाहिए, क्योंकि एक सम्यक पाचन प्रणाली ही उन्हें स्वस्थ रखने में सहायक हो सकती है।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।