गहरी नींद अच्छी यादों को सहेजने में सहायता करती है- Publish Date : 25/06/2023
गहरी नींद अच्छी यादों को सहेजने में सहायता करती है-
शोधकता्रओं ने अपने निष्कर्ष में कहा कि हमारा मस्तिष्क सक्रिय रहकर सूचनाओं का परिवर्तन याददाश्त में कर देता है
एक गहरी और अच्छी नींद आपकी अच्छी यादों को सहेजने में काफी सहायक होती है और इससे याददश्त भी अच्छी हो जाती है। यह जानकारी अमेरिका एवं इजराल में किए गए एक नये अध्ययन में सामने आई है।
इस अध्ययन में बताया गया कि गहरी नींद के दौरान एक ऐसा समय आता है जिस समय आपके मस्तिष्क को सुदृढ़ता प्राप्त होती है। इस समय में हमार सुखद सूचनाएं यादों में परिवर्तित होती हैं, जो हमारे दिमाग को मजबूती भी प्रदान करती है।
नींद के दौरान मस्तिष्क में सूचना एकत्र करने वाली के स्थान पर हिप्पोकैम्पस एवं तर्क करने वाला सेरेब्रल कोर्टेक्स अधिक सक्रिय रहते हैं। इस समय हमारे मस्तिष्क के अलग-अलग हिस्सों के न्यूरॉन्स विभिन्न सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं, जिससे हमारी यादाश्त को मजबूती मिलती है।
इस अध्ययन में पहली बार न्यूरॉन्स के आपस में सूचनाओं को साझा करने की बात सामने आयी है।
अल्जाइमर के रोगियो के उपचार में सहायक
क्लोज-ल्लूप सिसटम, एक ऐसा सिस्टम जो हमारे मस्तिष्क के एक भाग से निकलने वाली इलेकिट्रकल प्लस से मस्तिष्क के दूसरे भाग में एकत्र सेचनओं के साथ जोड़ने में सक्षम है, के माध्यम से किए गए इस अध्ययन में यह बात सामने आई कि यह अल्जाइमर और डिमेशियां के जैसी भूलने वाली बीमारियों से पीड़ित रोगियों के लिए भी कारगर हो सकता है।
इससे होने वाले लाभः
ऽ रक्तचॉप अर्थात ब्लड-प्रेशर नियन्त्रित रहता है।
ऽ हमारा इम्यून सिस्टम सबल बन जाता है।
ऽ ध्यान को केन्द्रित करने में सहायता प्रदान करता है।
ऽ हमारे चेहरे की चमक बढ़ जाती है।
होने वाली हानियाँ
ऽ प्रभावित व्यक्ति में वजन बढ़ने की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
ऽ लोगों में मानसिक रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।
ऽ लोगों को ध्यान केन्द्रित करने में भी परेशानी होने लगती है।
ऽ रोगी को बदन दर्द एवं थकावट रहती है।
अच्छी नींद के लिए यह दो काम करें-
1. अपने स्क्रीन के समय को नियन्त्रित करेंः- स्लीप फाउंडेशन के अनुसार, स्मार्ट फोन्स एवं कम्प्यूटर के जैसी विभिन्न प्रकार की इलेक्ट्रानिक डिवाइस कम तरंगदैर्घ्य के प्रकाश का उत्सर्जन करती हैं। इनसे निकलने वाले नीले रंग के प्रकाश शाम के समय नींद लाने वाले हार्मोन मेलाटोनिन को कम करता है जिससे हमारी गहरी नींद के समय में भी कमी आ जाती है।
2. सांस इस प्रकार से लेंः- सबसे पहले सीधे लेटकर अपनी जीभ को तालू से लगांए। इसके बाद अपने होठों को खोलकर सीटी बजाने की भाँति आवाज करते हुए सांस को पूरी तरह से मुँह के रासते से बाहर निकालकर होठों को बन्द कर लें। इसके बाद लगभग 7 सेकण्ड तक सांस को रोकर रखें तथा आठवें सेकेण्ड में संास लेकर उसे पहले की तरह से ही आवाज करते हुए सांस को बाहर निकालें।
यह दूध है या फिर जहर, पचास प्रतिशत से अधिक सैम्पल हुए फेल
यूरिया, डिटर्जेण्ट, साबुन, रिफाइण्ड, आलू तथा केमिकल्स को मिलाकर तैयार किया जा रहा है नकली दूध, मिलावटखोर अधिक मुनाफे के लिए कर रहे हैं दूध की पवित्रता एवं शुद्वता भंगः-
आपके द्वारा शुद्व मानकर जिस दूध का सेवन किया जा रहा है वह जहरीला भी हो सकता है। जी हाँ बिल्कुल सही पढ़ा है आपने, वर्तमान समय में लोगों को दूध के नाम पर यूरिया, डिटरर्जेन्ट एवं शैम्पू आदि के घोल को लोगों को बेचा जा रहा है। मिलावटखोर अधिक मुनाफे के लिए कर रहे हैं दूध की पवित्रता एवं शुद्वता भंगकर इसमें जहरीली मिलावट कर रहे हैं। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रसाधन विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में दूध के 50 प्रतिशत से अधिक नमूनों में मिलावट पाई जा रही है।
प्रतिवर्ष एक बड़ी संख्या में नमूनें होते हैं फेलः- दूध एवं दूध से तैयार किए जाने वाले विभिन्न उत्पाद जेसे मिठाईयाँ, मावा एवं घी आदि के सम्पल प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में हो जाते हैं फेल। विभा्र की वर्ष 2022-23 की एक रिपोर्ट के अनुसार दूध के 80 से अधिक सैम्पल मानकों के विपरीत पाए गए हैं। कुल 217 अधोमानक सैम्पल प्राप्त हुए जिनमें से 12 फेल हुए, 29 पर मुकदमा दर्ज हुआ, 37 सैम्पल असुरक्षित पाए गए। विभाग के द्वारा कुल एक करोड़, 26 लाख, 75 हजार का अर्थदण्ड़ मिलावटखोरों पर लगाया गया है।
वर्ष 2021-22 में कुल 207 नमूनों में से 56 के सैम्पल मानकों के विपरीत, 40 अधोमानक एवं 16 नमूने असुरक्षित पाये गये थे। वर्ष 2020-21 में दूध के 68 नमूनों में मिलावट पाई गई थीं।
दूध मे जहर की मिलावट
विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार मिलावटखोर उत्पादन को बढ़ाने के लिए नकली दूध तैयार कर रहे हैं। इस नकली दूध में ये लोग डिटरर्जेण्ट, झाग बनाने वाले तेल, आलू का पाउडर, रिफाइण्ड तेल, सिन्थेटिक स्टार्च, यूरिया, कार्बोनेट, ईजी, अमोनिया, नाइट्रेट फर्टिलाइजर, शुगर, सिंघाड़े का आटा, वसा और चर्बी आदि की मिलावट करते हैं। इसके साथ ही मेलामाइन एवं हाइड्रोजन परॉक्साईड कैमिकल की मिलावट भी की जाती है।
नकली दूध बनाने का तरीका
मिलावटखोर नकली दूध बनाने के लिए तीन सौ ग्राम ईजी को लेकर उसमें खूब झाग बनाते हैं ओर खूब अच्छे तरीके से णग तैयारा हो जाने के बाद इसमें एक लीटर दूध, पाँच लीटर पानी, एक लीटर रिफाइण्ड ऑयल मिलकार इसे खूब चलाया जाता हे।
अब इस घोल में 15 लीटर पानी और आवश्यकता के अनुसार यूरिया डाल दिया जाता है और मिठास के लिए इसमें पिसी हुइ्र चीनी को मिला दिया जाता है। इस प्रकार से 20 लीटर सिन्थेटिक दूध तैयार हो जाता है।
मिलावटी दूध की पहचान करने के तरीके
ऽ दूध में कुछ बून्दें आयोडीन टिंचर अथवा आयोडीन सॉल्यूशन की डाल दें। इससे यदि दूध का रंग नीला हो जाता है तो यह दूध नकली होने का संकेत है।
ऽ एक चम्मच दूध में आधा चम्मच सोयाबीन अथवा अरहर की दाल का पाउडर डालकर पाँच मिनट के बाद इसमें लाल लिटमस पेपर डालने से लिटमस का रंग आधा घण्टे में नीला हो जाए तो दूध में यूरिया की मिलावट सिद्व करता है।
ऽ सिन्थेटिक दूध का स्वाद कड़वा होता है।
ऽ स्ट्रिप यूरियस की सहायता से दूध में कृत्रिम प्रोटीन की जांच की जा सकती है।
बागपत में अमूल के प्लाँट के लिए भूमि पूजन की तैयारियाँ आरम्भ
बागपत जिले में अमूल कम्पनी का 800 करोड़ रूपये की लागत से स्थापित किया जाने वाले प्लाँट के लिए शीघ्र ही भमि पूजन किया जा सकता है। सूत्रों का इसके सम्बन्ध में कहना है कि दाखिल-खारिज के हो जाने के बाद कम्पनी के द्वारा यहाँ भूमि पूजन की तैयारियाँ आरम्भ कर दी गई हैं।
इस प्लाँट के स्थापित हो जाने के बाद लगभग तीन हजार स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और पशुपालकों को अपने दूध की बिक्री के लिए दिल्ली एवं गाजियाबाद जैसे शहरों के चक्कर लगाने से निजात मिलेगी। अमूल कम्पनी के द्वारा बागपत में 800 करोड़ रूपये का निवेश करने का आवेदन दिया गया था।