वजन को कम करने की कवायद में एक सप्ताह में कितना वजन कम करें Publish Date : 22/11/2024
वजन को कम करने की कवायद में एक सप्ताह में कितना वजन कम करें
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
‘‘मोटापे से पीड़ित लोग हमेशा वजन को कम करने की कोशिश करते रहते हैं। इनमें से कुछ लोग विभिन्न प्रकार के डाइट प्लान को फॉलो करते हैं तो कुछ लोग इसके लिए दवाओं का सहारा भी लेते हैं। लेकिन कम समय में अधिक वजन को कम करना आपकी सेहत पर बुरा प्रभाव भी डाल सकता है। ऐसे में वजन को कम करने का सही तरीका क्या है बता रहे है डॉ0 दिव्यांशु सेंगर-’’
मोटापे की समस्या से पीड़ित लोग इस समस्या से राहत प्राप्त करने के लिए अपना वजन कम करना चाहते हैं, लेकिन तेजी से वजन को करना सेहत के लिए खतरनाक भी हो सकते है। इससे विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां जैसे थकान होन और ऊर्जा के स्तर में कमी होना, हड्डियों का कमजोर होना, रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना, बालों का झड़ना, मसल्स क्रैम्प्स आना, निर्जलीकरण की शिकायत होना, कुपोषण और पित्ताशय में पथरी भी हो सकती है। ििकत्सकों के अनुसार, लोगों को इस प्रकार के समस्त डाइट प्लान्स से बचना चाहिए, जो कुछ ही दिनों में वजन कम करने का दावा करते हैं।
संतुलित आहार लेते रहें
तेजी से वजन कम होने का प्रमुख कारण यह होता है कि आप अपनी खुराक की आधे से भी कम मात्रा को लेते हैं। खाने की इस कम मात्रा के चलते आपका मेटाबॉलिज्म काफी धीमा होकर स्टार्वेशन मोड में चला जाता है। स्टार्वेशन मोड शरीर की ऊर्जा को बचाने के लिए मेटाबॉलिज्म को काफी धीमा कर देता है। इसकी सबसे बड़ी हानि यह होती है दोबार पूर्ण भोजन को ग्रहण करने पर शरीर का वजन पहले से भी अधिक बढ़ जाता है।
मंटाबॉलिज्म के गड़बड़ होने से भी शरीर के वजन को कम करने की क्षमता कुप्रभावित होती है। तेजी से वजन कम करने वाले कई डाइट प्लॉन में 800 ग्राम प्रतिदिन से भी कम कैलोरी यूज की जाती हैं, जो कि हमारे शरीर के अनुसार कतई गलत है। एक वयस्क को प्रतिदिन 1200 से 1300 कैलोरी की आवश्यकता होती है, इसे बेसल मेटाबॉलिक रेट कहते हैं।
प्रतिदिन की दैनिक जीवनचर्या में विभिन्न प्रकार के कार्यों को बिना थके पूर्ण करने के लिए शरीर को ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही मेटाबॉलिज्म को भी सही रखने के लिए एनर्जी की आवश्यकता होती है। ऐसे में दिन में केवल 800 कैलोरी ग्रहण करने से हमारे शरीर को आवश्यक एनर्जी नही मिल पाती है और इससे शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।
मानसिक सेहत पर भी पड़ता है कुप्रभाव
जल्दी वजन कम होने या बढ़ने से हमारी स्किन की इलास्टिसिटी पर भी प्रभाव पड़ता है और हमारी स्किन इस प्रक्रिया में काम करना बंद कर देती है। इससे हमारी स्किन बेजान और बीमार दिखाई देने लगती है। इस स्थिति में पतला शरीर आपको सुखद अहसास करा पाने में समर्थ नही होता है और आप मानसिक चिंताओं से घिर जाते हैं। इसके अलावा आपकी खुराक बिगड़ने और विभिन्न पोषक तत्वों की कमी के चलते विभिन्न प्रकार की मानसिक समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं।
क्रेविंग बढ़ जाती है
अपनी मनपसंद खाने की चीजों से दूरी बनाने के एक समय बाद एक समय ऐसा भी आता है कि आप अपनी पसंद की खाने की चीज को देखते ही आप अपने आपको रोक पाने में असमर्थ होते हैं। ऐस लेप्टिन नामक हॉर्मोन के स्तर में असंतुलन के चलते होता है।
डिहाइड्रेशन की स्थिति
प्रथम दो सप्ताह में वॉटर वेट शीघ्रता से कम होता है, विशेषरूप से जब आप लो-कॉर्बोहाइड्रेट अथवा निल-कॉर्बोहाइड्रेट वाली डाइट फॉलो करते हैं। लेकिन तेजी से वजन कम होने का सबसे बड़ा लॉस यह है कि इससे सिरदर्द, मसल्स क्रैम्प अथवा ऊर्जा का स्तर भी कम हो सकता है। साथ ही अधिक मात्रा में वॉटर लॉस होने से स्थिति गंभीर भी हो सकती है।
पर्याप्त नींद भी आवश्यक
थकान होने के चलते भूख को बढ़ाने वाले हॉर्मोंस अचानक ही सक्रिय हो उठते हैं और इससे अधिक खाने की इच्छा होती है। चिकित्सकों की माने तो कम से कम सात घंटे की अच्छी नींद लेना बहुत आवश्यक है। ऐसे में यदि आप गुड क्वालिटिी की नींद नही ले पा रहें हैं तो अविलंब अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
मांसपेशियां नष्ट होने लगती हैं
भोन में कैलोरी की मात्रा अत्याधिक कम ग्रहण करने से चर्बी के साथ ही मांसपेशियों में क्षति होने के साथ ही हॉर्मोनल चेंजेज जैसी समस्या होने का खतरा काफी बढ़ जाता है, एनर्जी को प्राप्त करने के लिए हमारा शरीर मसल्स को ही विभाजित करने लगता है। ऐसा होने से वजन को कम करना बहुत कठिन हो जाता है, क्योंकि मांसपेशियां अधिक कैलोरी को बर्न करती हैं।
दूसरी ओर व्यायाम करते हुए धीमी गति से वजन को कम करने हमारे शरी को शरीर में उपस्थित वसा को कम करने के लिए पर्याप्त समय मिलता है और इसके साथ ही हमारी मांसपेशियों का द्रव्यमान भी उचित बना रहता है। इसके साथ ही मांसपेशियों की कैलोरी बर्न करने की क्षमता भी बनी रहती है।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।