निमोनिया के नियंत्रण के लिए एंटीबायोटिक दवा Publish Date : 21/11/2024
निमोनिया के नियंत्रण के लिए एंटीबायोटिक दवा
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
वयस्कों में निमोनिया संक्रमण को खत्म करने के लिए भारत ने बनाई पहली एंटीबायोटिक दवाई। सर्दियों के दिनों में वयस्कों तथा बच्चों में निमोनिया की शिकायत बहुत अधिक बढ़ जाती है। केंद्र सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि यह दवा इसलिए भी काफी अहम है क्योंकि निमोनिया के कारण हर साल लाखों की संख्या में बुजुर्ग मरीजों की मौत हो रही है।
अगर वैश्विक स्तर पर बात करें तो निमोनिया से सालाना दुनिया भर में मरने वालों में 30 प्रतिशत हिस्सा भारत का है। भारत में निमोनिया से होने वाली मृत्यु दर 14 से 30 प्रतिशत के बीच है।
लंबे समय के बाद भारत ने समुदाय अधिग्रहित बैक्टीरियल निमोनिया कैब नामक संक्रामक वायरस का तोड़ खोज निकाला है। इसके लिए वैज्ञानिकों ने पहली स्वदेशी एंटीबायोटिक दवा तैयार कर ली है, जिसकी 3 दिन में तीन अलग-अलग खुराक से संक्रमण कम किया जा सकता है। इस दवा के क्लीनिकल परीक्षण परिणाम की समीक्षा के बाद केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की विशेषज्ञ समिति ने वयस्कों में इस्तेमाल किए जाने की सिफारिश की है।
केंद्र के सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह आधिकारिक तौर पर भारत की इस सफलता को सार्वजनिक के कर सकते हैं। इस एंटीबायोटिक दवा को तैयार कर परीक्षण कर लिए गए हैं, जिसे मिकनाफ अर्थात नेफि एंटीबायोटिक थ्रोमाइसिशीन नाम दिया गया है। यह दवा सीएबीपी के रोगियों के लिए दिन में एक बार से तीन दिन तक दी जा सकती है। यह पहला उपचार है जिसमें मल्टी ड्रग प्रतिरोधी संक्रमण वाले मरीज भी शामिल हैं।
इस दवा पर 15 वर्षों में कई नैदानिक परीक्षण किए गए हैं। इनमें अमेरिका और यूरोप में हुए पहले वह दूसरे चरण के परीक्षण भी शामिल हैं। भारत में इस दवा का हाल ही में तीसरा चरण पूरा किया था।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।