वायू प्रदूषण के चलते फेफड़ों की आफत      Publish Date : 13/11/2024

                    वायू प्रदूषण के चलते फेफड़ों की आफत

                                                                                                                                        डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

जिले में वायु प्रदूषण का स्तर खते के निशान से ऊपर, प्रातः 3.50 से 4.00 बजे के बीच रही 2.5 पीएम की मात्रा सांस लेने में परेशानी, खाँसी भी बढ़ी

जीवन का आधार वायु यदि जहरीली हो जाए तो ऐसे हम क्या कर सकते हैं। घर हो या पार्क, बाजार हो या फिर अस्पताल का आईसीयू हवा में मिले प्रदूषित कण तो प्रत्येक स्थान पर फेफड़ों की फांस बनते जा रहे हैं। ठंड तो अभी पूरी तरह से आई भी नही है लेकिन सुबह और शाम के समय जिले में धुंध की चादर नजर आने लगी है। पिछले दो तीन दिनों से हवा लगातार घुटती ही जा रही है।

                                                                    

मेरठ के जयभीमनगर और पल्लवपुरम में एक्यूआई का स्तर 310 से कम नही हुआ। प्रातः काल छठ पूजा कर रहे व्रतियों ने गगोल तीर्थ में धुंध और प्रदूषित हवा के बीच ही भगवान भास्कर को अर्ध्य अर्पित किया। दोपहर के बाद हवा अत्यंत खराब की श्रेणी से खराब की श्रेणी में आई परन्तु रात के आठ बजे तक यह एक बार फिर से बेहद खराब की श्रेणी में पहुँच गई। गौरतलब है कि एक्यूआई 300 से अधिक हो तो इसे अत्यंत खराब और 300 से कम हो तो खराब माना जाता है।

सल्फर डाई-ऑकसाइड गाढ़ा कर रही है स्मोगः गढ़ रोड, बिजली बंबा बाइपास और जागृति विहार में पीएम 2.5 की मात्रा गुरूवार की रात में और सुह सवेरे 350 से 400 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर के बीच दर्ज किया गया। जबकि रात 8.00 बजे से रात 12.00 तक विषैली मानी जाने वाली सल्फर डाई-ऑकसाइड की सांद्रता 10 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक दर्ज की गई। यह गैस ही वातावरण में धुंध और स्मोग बनाती है।

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के रसायन विभाग के अध्ययक्ष आर. के. सोनी ने बताया कि यह वाहनों के धुएं, कोयले और लकड़ी आदि के जलने से उत्पन्न होती है, हालांकि इसमें एनओक्स का योगदान भी होता है।

यह आँख, नाक और गले की नलियों को प्रभावित करता है। ऐसे में अस्थमा के मरीज और छोटे बच्चे इससे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। गगोल में बड़ी संख्या में छोटे-छोटे बच्चों के साथ सैंकड़ों परिवार इस जहरीली धुध के साये तात्री व्यतीत करते नजर आए। इसके साथ लगभग ऐसा ही माहौल शही बाकी भागों में भी देखने में आया।

वायू प्रदूषण से बचाव के लिए बरतें आवश्यक सावधानियां

                                                        

  • धूल, धुंआ और ओस के मिश्रण से स्मोग बन रहा है। सुबह और शाम के समय यह स्थिति बनने लगती है।
  • वतावरण में पुदूषण के चलते खाँसी, जुकाम, गले में खराश, दमा और निमोनिया के अटैक के केस अधिक आ रहे हैं।
  • सांस लेने में परेशानी, पेट में दर्द, उल्टी-दस्त और फेफड़ों में संक्रमण के केस अब आने लगे हैं।
  • वतावरण में छायी धुंध के कारण सांस, दिल, बल्ड प्रेशर और शुगर से पीड़ित लोग सुबह के समय टहलने के लिए न जाएं।
  • अस्थम दिल, ब्लड प्रेशर और मधुमेह के मरीज ऐसे मौसम में रिस्क रहते हैं। इन्हेलर एवं अन्य दवाओं का सेवन बताई गई विधि से करें।
  • भीड़ में सांस दिल, ब्क्लड प्रेशर और शुगर के मरीज घर से बाहर निकले तो मास्क का प्रयोग आवश्यक रूप से करें।
  • घरों में या घर के बाहर धूल और धुंआ आदि से बचाव के उपाय करें।
  • सर्दियों में गर्म पानी का सेवन करें और इसके साथ ही अदरक, कालीमिर्च और तुलसी का प्रयोग करें।

पहले से सांस के मरीज अपने चिकित्सक से आपातकालीन दवाओं का सूची बनाकर अपने पास रखें जिससे कि आवश्यकता के समय उनका उपयोग कर सकें।

                                                          

  • वायु प्रदूषण दमा रोग के लिए ट्रिगर का काम करता है।
  • बच्चों में दमा और सांस की नली में सूजन के मामले भी आ रहे हैं।
  • सांस की नली में सूजन आने के कारण सांस लेने में परेशानी हो रही है।
  • आँखों में जलन, खाँसी, जुकाम और छींक आने की समस्या भी बढ़ रही है।
  • चार वर्ष की आयु तक के बच्चे को घर से बाहर ले जाने पर मास्क का प्रयोग करें।
  • मास्क के द्वारा कोरोना महामारी से बचाया है तो यह धूल और धुंआ इत्यादि से बचाएगा।
  • ऐसे में बच्चों को गर्म और स्वच्छ पानी बच्चों को पिलाएं और इसके साथ बच्चों को ठंड़ी चीजों को न खाने दें।
  • बच्चों को मौसम के अनुकूल कपड़े पहनाएं।
  • धूंप निकलने पर ही बच्चों को घुमाने के लिए लेकर जाएं। ऐसा करने से धुंध की समस्या से निजात मिकलेगी।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।