प्री-डायबिटीजः सम्भल जाने के संकेत Publish Date : 18/06/2023
प्री-डायबिटीजः सम्भल जाने के संकेत
मधुमेह, शुगर अर्थात डायबिटीज के मामले में भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है, और आने वाले समय में यह संख्या कितनी बढ़ सकती है, इसका अन्दाजा केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि देश के करीब 14 प्रतिशत लोग प्री-डायबिटीज की स्थिति में हैं और विडम्बना तो यह है कि इनमें से भी 80 प्रतिशत लोग ऐसे हैं कि वे जानते ही नही हें कि वे डायबिटीज के मुहाने पर खड़े हैं।
डायबिटीज की इस स्टेज पर सावधानी बरतने से डायबिटीज से पूरी तरह से बचा जा सकता है, परन्तु यह कैसे सम्भव होगा इस बात की जानकारी हम अपनी इस ब्लॉग पोस्ट में शेयर कर रहे हैं।
इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2012 तक भारत में डायबिटीज से ग्रस्त लगभग7.7 करोड़ मरीज थे और वर्ष 2030 तक देश में डायबिटीज से ग्रस्त लोगों की संख्या 10 तक पहुँच सकती है।
इस सबके बावजूद भी सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि देश प्री-डायबिटीज के शिकार ऐसे लागों की एक बड़ी संख्या है, जो कि यह जानते ही नही हैं कि वे जल्द ही डायबिटीज के घेरे में आने वाले हैं।
नेशनल आयोग डायबिटीज के द्वारा किए गए सर्वे के आंकड़ों की बात करें तो वह स्पष्ट करते हैं कि भारत में 14 प्रतिशत लोग प्री-डायबिटीज के मुहाने पर खड़े हैं। केवल इतना ही नही, वर्ष 2045 तक इस प्रकार के मामलों में 51 प्रतिशत तक की वृद्वि का होना भी सम्भव है।
डयबिटीज के सम्बन्ध में आमतौर पर धारणा यह है कि जिन लोगों को यह बीमारी होनी है यह उन्हें जरूर होगी। परन्तु विशेषज्ञ इस बात को पूरी तरह से सत्य नही मानते हैं। नेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) के अनुसार प्री-डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है, जिसे रिवर्स भी किया जा सकता है।
आखिर क्या है प्री-डायबिटीज स्टेज
प्री-डायबिटीज, टाईप-2 डायबिटीज के विकसित होने से पूर्व की स्थिति को कहा जाता है, जिसे ग्लूकोज इंटाल्रेन्स अथवा बार्डरलाईन डायबिटीज भी कहते हैं। प्री-डायबिटीज की स्थिति में प्रभावित व्यक्ति के ब्लड शुगर का लेवल सामान्य से अधिक होता है, परन्तु वह इतना अधिक भी नही होता है कि उसे टाईप-2 डायबिटीज कहा जा सके।
इस स्थिति में शरीर में इंसुलिन तो पर्याप्त मात्रा में तो बनता है, परन्तु रक्त के प्रवाह से यह शुगर को निकालने में पूरी तरह से सक्षम नही होता है। प्री-डायबिटीज की स्थिति के तहत इंसुलिन रेजिस्टेंस के चलते हमारे रक्त में शुगर का लेवल बढ़ जाता है।
जो लोग प्री-डायबिटीज की स्थिति में हैं, उनमें डायबिटीज विकसित हो जाए ऐसा आवश्यक नही हैं। लेकिन ऐसे लोगों में डायबिटीज के विकसित होने की आशंका, सामान्य लोगों की अपेक्षा 5 से 15 प्रतिशत तक अधिक रहती है। इसके साथ ही यदि प्री-डायबिटिक लोग आवश्यक कदम नही उठाते हैं तो आने वाले 5 से 7 वर्ष के अन्दर वे पूरी तरह से डायबिटीज के शिकार हो सकते हैं।
क्योंकि इस स्टेज पर भी ह्दय रोग एवं नसो को नुकसान पहुँचना आरम्भ हो सकता है अतः इसके लिए जरूरी उपयों को अपनाने से इसके डायबिटीज में परिवर्तित होने की आशंका को 70 से 90 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
प्री-डायबिटीज टेस्ट्सः- प्री-डायबिटीज स्तर की पुष्टि करने के लिए निम्न टेस्ट कराए जाते हैं-
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- सीबीसी अर्थात कम्पलीट ब्लड काउंट टेस्ट।
- एफबीसी अर्थात फॉस्टिंग ब्लड शुगर।
- पीसीबीएस अर्थात पोस्टकार्डियल ब्लड शुगर।
- लिपिड प्रोफाइल।
- एलएफटी अर्थात लीवर फंक्शन टेस्ट।
- विटामिन डी-3 एव बी-12 टेस्ट।
किसी भी प्रकार की आशंका के होने पर इन टेस्ट्स को कराना विभिन्न प्रकार से लाभदायक रहता है।
ब्लड शुगर में वृद्वि करने वाले कारक
हमारे रक्त में शर्करा का स्तर कभी भी अनियन्त्रित हो सकता है, परन्तु कुछ विशेष कारक जैसे वजन का बढ़ना, असक्रिय जीवनशैली, उच्च रक्तचाप एवं कोलेस्ट्रॉल का अधिक होना आदि विशेष रूप से इस पर बुरा प्रभाव डालते हैं। विशेष रूप से जिनके परिवार में डायबिटीज का इतिहास रहा है या पुरूषों में कमर का घेरा 40 और महिलाओं में कमर का घेरा 35 से अधिक है, उन्हें अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।
लक्षण, जो देते हैं खतरे का संकेत
अमेकिन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार, एफबीए1सी के स्तर का 5.7-6.4 के मध्य होना प्री-डायबिटीज का संकेत देता है, जिसके कारण सम्बन्धित व्यक्ति में निम्न लक्षण दिखाई देना आरम्भ हो जाते हैं-
- वजन का अचानक कम होना या बढ़ना।
- बार-बार पेशाब का आना।
- भूख एवं प्यास अधिक लगना।
- शरीर में थकान एवं कमजोरी का अनुभव करना।
- हाथों एवं पैरों में सुन्नपन एवं झुनझुनी का होना।
- आँखों से धुँधला दिखाई देना।
- प्रभावित व्यक्ति के गले, बगल जनन अंगों के आसपास की त्वचा पर काले रंग के धब्बों का पड़ जाना।
प्री-डायबिटीज रिवर्सिबल क्या है-
अधिकतर विशेषज्ञों का मानना है कि प्री-डायबिटीज को एक अनुशंसित जीवनशैली एवं अपनी खानपान की आदतों में परिवर्तन कर इन्हें रिवर्स भी किया जा सकता है। इसके लिए कुछ बातों का पालन करने से ही रक्त में शुगर का नियन्त्रण होने लगता है।
- दिन में तीन बार भोजन करने के स्थान पर 5 से 6 बार हल्का भोजन करे, इससे आपका कैलोरी काउंट नही बढ़ेगा।
- सलाद का सेवन भोजन से पूर्व करें, ऐसा करने से डायजेटिव एन्जाईम्स सक्रिय होते हैं।
- भोजन कर लेने के पश्चात् कुछ देर हल्के कदमों से टहलें। रात्री का भोजन सोने से दो घण्टे पूर्व लें एवं नींद पूरी लें। नींद की कमी से इंसुलिन रेजिस्टेंस का खतरा हो सकता है।
- यदि आपका वजन अधिक है तो उस जल्द से जल्द कम करके हैल्दी रेंज में लाने का प्रयत्न करें, क्योंकि ऐसा देखा गया है डायबिटीज से पीडित 10 लोगेां का वजन सामान्य से अधिक होता हैं प्रतिदिन कम से कम आधा घण्टा अपने अनुकूल व्यायाम अवश्य करें। इससे वजन एवं शुगर दोनों को ही नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी।
- जूस का सेवन करने के स्थान पर साबुत फलों का ही सेवन करे किन्तु केला, आम, अंगूर एवं चीकू आदि फलों से परहेज करें अथवा इनका सेवन कम मात्रा में करें। इसके साथ ही चीनी, कैफीन, वसायुक्त दूध, अधिक कार्बोहाईड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचें तथा धूम्रपान एवं शराब आदि से दूरी बनाए रखें।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार चीनी नया तम्बाकू है। जिस प्रकार तम्बाकू कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक है, ठीक उसी प्रकार से चीनी भी डायबिटीज के प्रमुख कारणें में से एक है।
प्री-डायबिटीज या इम्पेयर्ड ग्लूकोज टालरेंस टेस्ट
नॉन डायबिटिकः 110 मिग्रा. (खाली पेट), 140 मिग्रा. खाना खाने के दो घण्टे बाद।
प्री-डायबिटिकः 110-125 मिग्रा. (खाली पेट), 140-199 मिग्रा. खाना खने के दो घण्टे बाद।
डायबिटिकः 126+ मिग्रा. खाली पेट एवं 200 मिग्रा. खाना खाने के दो घण्टे बाद।
इतना बढ़ जाता खतरा
- यदि आपके दादा-दादी, नाना-नानी या माता-पिता को डायबिटीज है, तो आपमें इसके होने की आशंका 60-70 प्रतिशत तक अधिक होती है।
- यदि आपके माता एवं पिता दोनों को डायबिटीज है तो आपमें डायबिटीज का खतरा 49 प्रतिशत तक अधिक होता है।
- जबकि यदि माता और पिता दोनों में से किसी एक को डायबिटीज है तो आपको भी डायबिटीज के होने की आशंका 26-29 प्रतिशत तक होती है।
यदि आपके परिवार में डायबिटीज का इतिहास है तो 20 वर्ष की आयु के बाद सालभर में एक बार आवश्यक जांचें अवश्य कराते रहना चाहिए।
प्रस्तुतिः मुकेश शर्मा