वायु प्रदूषण और इसके दुष्प्रभाव      Publish Date : 12/11/2024

                          वायु प्रदूषण और इसके दुष्प्रभाव

                                                                                                                                         डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

वायु प्रदूषण अधिक होने के चलते सांस फूलने, खांसी गले में खराश, खाँसी-जुकाम और आंखों में जलन आदि होने की समस्या बढ़ जाती है।

आजकल एयर क्वालिटी इंडेक्स बढ़ने से जहरीली हवा सांस के जरिए, शरीर के अंदर फेफेड़ों तक पहुंच रही है और यह केवल फेफड़ों को ही नहीं बल्कि हृदय तथा मस्तिष्क के साथ अन्य अंगों को भी नुकसान पहुंचा रही है। वायु प्रदूषण न केवल फेफड़े और सांस संबंधी बीमारियों का ही कारण बनता है, बल्कि यह सेहत से जुड़ी अनेक समस्याओं जैसे कि बच्चों का बचपन, गर्भपात की समस्या, हृदय रोग और अवसाद आदि समस्याओं को भी जन्म दे सकता है। हवा में मौजूद सूक्ष्मकण फेफड़ों तक पहुंचकर सांस लेने में कठिनाई पैदा करते हैं, जिससे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।

                                                                   

हवा में मौजूद यह जहरीले तत्व अंगों में रक्त प्रावाह में बाधा, बाहों में सूजन और रक्त के थक्के बनने का कारण भी बन सकते हैं, और दिल के दौरे के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। प्रदूषित हवा में नाइट्रोजन और सल्फर जैसी विषैली गैसे होती हैं, जो आंखों में जलन, खुजली और शरीर पर चकत्ते पैदा कर सकती हैं। लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो सकती है। ऐसे में जो लोग पहले से ही अस्थमा रोग से पीड़ित है, उनके लिए जहरीली हवा में सांस लेना खतरनाक साबित हो सकता है। इससे उनकी सांस की नली में सूजन आ जाती है और सांस लेने में दिक्कत होती है।

वायु प्रदूषण से फेफड़ों में कैंसर होने का भी खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है। वायु प्रदूषण के कारण नाक में भी जलन होने लगती है तो वहीं कुछ लोगों में नाक बंद होने जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। वायु प्रदूषण के कारण गले में खराश या दर्द की समस्या भी हो सकती है क्योंकि ज्यादा समय तक प्रदूषित वायु के संपर्क में रहने से हानिकारक केमिकल गले को संक्रमित कर देते हैं। वायु प्रदूषण से त्वचा पर रेसेज और खुजली आदि की समस्या भी हो सकती है। वातावरण में मौजूद केमिकल हमारे बालों पर भी हानिकारक प्रभाव डालते हैं जिससे बालों में रूखापन आ जाता है और वह अधक संख्या टूटकर गिरने लगते हैं और गंजेपन में बढ़ोत्तरी करते हैं।

कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग अपनी इम्यूनिटी को बढ़ाएं

वायु प्रदूषण से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी की आवश्यकता होती है। प्रदूषण बच्चों और बुजुर्गों को सबसे अधिक प्रभावित करता है, इसलिए घर की सभी खिड़कियों और दरवाजों ठीक से बंद रखना चाहिए। एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करना चाहिए और नियमित रूप से योग प्राणायाम और गहरी सांस लेने वाली एक्सरसाइज करनी चाहिए। सुबह शाम बाहर वॉकिंग या जोगिंग करने से बचना चाहिए। संतुलित आहार का सेवन करने से हमारी इम्युनिटी बढ़ती है? अतः जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर या अस्थमा आदि की शिकायत है वह बाहर निकलने से बचे और अगर घर से बाह जाना जरूरी है तो अपने मुंह पर मास्क लगाकर ही बाहर निकलें।

                                                                      

 योग और प्राणायाम को अपनी दैनिक एक्सरसाइज में शामिल करें लाभ मिलेगा। योग और प्राणायाम करना फेफड़ों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। इसके लिए आप अनुलोम-विलोम और कपालभाति का प्रतिदिन अभ्यास कर सकते हैं। इससे फेफड़ों की कार्य प्रणाली बेहतर बनती है। इसके अलावा आप नियमित रूप से अपनी शारीरिक गतिविधियां जैसे कि वॉकिंग, जॉगिंग और साइकलिंग आदि व्यायाम भी कर सकते हैं। यह गतिविधियां फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाती है और उन्हें अधिक प्रभावी ढंग से कार्य करने में मदद करती है।

जब आप शारीरिक रूप से सक्रिय रहते हैं तो हमारे फेफड़े अधिक ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं जिससे उनकी कार्य क्षमता बढ़ती है। इसके लिए तैराकी करना भी एक अच्छा व्यायाम है जो कि हमारे श्वसन तंत्र को मजबूत बनाता है और फेफड़ों को प्रदूषण से होने वाले नुकसान से भी बचाता है इसलिए आप प्रयास करें कि आपकी इम्यूनिटी बढ़ी रहे।

बचाव के लिए कुछ घरेलू उपाय

                                                            

गले में खराब होने पर गुनगुने पानी में नमक या विटामिन डालकर गरारे करें। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से प्रदूषण का प्रभाव कम होता है। प्रदूषण के सूक्ष्म कण हमारे हाथों और कपड़ों पर चिपक सकते हैं, इसलिए बार-बार हाथों को धोए और कपड़ों भी को रोजाना साफ करें। ताकि प्रदूषण का असर त्वचा और सेहत पर भी पड़ सकता है। खांसी होने पर नमक के पानी से गरारे करें इसमें मौजूद गुण फेफड़े और शवना मार्ग को साफ करते हैं, जिससे खांसी और गले की खराश और जलन आदि समस्याओं में आराम मिलता है।

खट्टे और रसीले फल है लाभकारी

फेफड़ों को प्रदूषण के दुष्प्रभावों से बचने के लिए एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आहार का सेवन करना चाहिए। फल और सब्जियों में पाए जाने वाले विटामिन सी, आई और बीटा कैरोटीन जैसे पोषक तत्व फेफड़ों को क्षति से बचाते हैं। इसके लिए नारंगी, नींबू, मौसमी और पालक ब्रोकली जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां फेफड़ों के लिए फायदेमंद होती हैं। अदरक में शहद मिलाकर खाने से इम्युनिटी बढ़ती है। इससे प्रदूषण का असर फेफड़ों पर काम पड़ता है। इस बढ़ते हुए प्रदूषण के कारण आंखों में जलन और सांसों में घुटन आदि से बचने के लिए अपनी इम्यूनिटी को ठीक रखें, जिससे आपकी सेहत पर वायु प्रदूषण का असर कम दिखाई देगा सांस संबंधी समस्याएं नहीं होगी और आंखों में जलन से भी बचे रहेंगे।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।