बदलते मौसम के साथ ही डेंगू बुखार का खतरा बढ़ता है      Publish Date : 18/10/2024

            बदलते मौसम के साथ ही डेंगू बुखार का खतरा बढ़ता है

                                                                                                                                               डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

इस समय  मौसम में तेजी से बदलाव आ रहा है और तापमान भी अब गिरने लगा है। मौसम में बदलाव आने के साथ ही अब मच्छरों की संख्या भी बढ़ने लगी है, इसके कारण डेंगू बुखार और वायरल आदि का संक्रामक रोगों का खतरा भी बढ़ रहा है।

                                                      

डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर ने बताया कि डेंगू के लक्षण समझ आते ही इसकी जांच अवश्य कर लेनी चाहिए। पहले ही दिन से डेंगू की पुष्टि की जा सकती है। 7 दिन तक डेंगू बुखार का असर रहता है, डेंगू बुखार के कारण अत्यधिक उल्टी, खाना पीना बंद होने पर ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है। ध्यान रखें कि डेंगू बुखार में दर्द निवारक दवाए लेने से बचें।

डेंगू का मच्छर सुबह शाम के समय ही काटता है। कपड़ों से शरीर को ढक कर रखेंगे तो आप इस बुखार के संक्रमण से बचे रह सकते हैं। डेंगू के मरीज के खून की जांच की जाती है। इसमें हीमोग्लोबिन या हेमेटोक्रिट का बढ़ना खतरे की निशानी मानी जाती है। यह डिहाइड्रेशन और ब्लड प्रेशर कम होने के लक्षण है।

डेंगू से बचने के लिए मच्छर भगाने के पूरे इंतजाम करने चाहिए। इसके लिए घरों के आसपास पानी भरा हुआ नहीं रहना चाहिए, क्योंकि जमा हुए पानी में डेंगू का मच्छर पनपता है।

तेज बुखार, सिर दर्द होने पर डेंगू की जांच अवश्य कर लेनी चाहिए। इसके लिए अपने आप से दवाईयों का सेवन करने से बचना चाहिए। किसी भी फिजिशियन से जांच करने को बाद ही अपना ट्रीटमेंट प्रारंभ करवाना चाहिए।

ऐसी फैलता है डेंगू

                                                                

  • ठहरे हुए साफ पानी में डेंगू का लारवा पनपता है।
  • डेंगू कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्ति अधिक इससे प्रभावित होते हैं।
  • डेंगू फैलाने वाले मच्छर दिन में सुबह और शाम के समय काटते हैं।

डेंगू की पहचान और इसके सामान्य लक्षण क्या है

  • तेज ठंड लगकर बुखार का आना।
  • सर और आंखों में दर्द होना।
  • भूख कम लगना और जी मिचलाना।
  • उल्टी और दस्त आना तथा पूरे शरीर पर लाल धब्बे पड़ जाना।
  • डेंगू की गंभीर स्थिति में आंख नाक से खून आना।
  • शरीर और जोड़ों में दर्द होना।

डेंगू बुखार से कैसे करें बचाव

                                                             

  • पानी के सभी बर्तनों को खुला ना रखें।
  • घर की रसोई और बाथरूम को सुखा कर रखें।
  • घर के अंदर व बाहर पानी जमा न होने दें।
  • कूलर का पानी सुबह और शाम दोनों समय ही बदलते रहे।
  • घर की खिड़कियों और दरवाजों पर जाली लगाकर रखें।
  • शरीर पर मच्छर दूर रखने वाली क्रीम का प्रयोग करें।
  • शरीर पूरी तरह से ढकने वाले कपड़े पहनकर ही घर से बाहर निकले।
  • जो लोग खुले आंगन में सोते हैं वह सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य करें।
  • मच्छर मारने वाली दवा का छिड़काव घर के आसपास करते रहें।

वायरल और डेंगू बुखार में क्या है अंतर

डेंगू और वायरल बुखार दोनों की शुरुआती लक्षण लगभग एक जैसे ही होते हैं। हालांकि इसके सही इलाज के लिए इनके अंतर को जानना भी जरूरी होता है। डेंगू और वायरल बुखार दोनों ही संक्रमण से होने वाली बीमारी है और इन दोनों के शुरुआती लक्षण भी काफी मिलते-जुलते होते हैं। जिसमें बीमारी का अंतर सही समय पर पता नहीं चल पाता है और बाद में स्थिति गंभीर होने लगती है।

लेकिन कुछ लक्षणों की पहचान करके इन दोनों में अंतर को पहचाना जा सकता है, जिससे सही इलाज में मदद मिल सकती है।

                                                              

ठन दोनों ही बीमारियों में तेज बुखार आता है और इसके अलावा सर दर्द, बदन दर्द, खांसी, गले में खराश, थकान और उल्टी ादि की समस्या भी हो सकती है। डेगू होने पर त्वचा में लाल रंग के कुछ निशान भी नजर आ सकते हैं, जो प्लेटलेट के कम होने से होते हैं। डेंगू होने पर जोड़ो और मांसपेशियों में अत्यधिक दर्द होता है। इस बुखार में आंखों के पीछे दर्द होता है और नाक या मसूड़े से हल्का खून भी आ सकता है।

डेंगू होने पर त्वचा पर जगह-जगह लाल चकत्ते और छोटे-छोटे लाल धब्बे भी निकल सकते हैं, इसलिए अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। वायरल बुखार के ज्यादातर मरीजों में 5 से 7 दिनों में खांसी, जुकाम और बुखार ठीक हो जाता है और अगर मरीज में डेंगू के लक्षण दिख रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। उल्टी दस्त होने पर तरल पदार्थ पीने की आवश्यकता पड़ती है। मरीज के खाने में दाल, सूप, सब्जियां और फल को शामिल करना चाहिए और डॉक्टर की सलाह से ही उपचार करना चाहिए।

लेखकः डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर, मेडिकल ऑफिसर प्यारेलाल शर्मा जिला हॉस्पिटल मेरठ।