विश्व हैजा दिवस 23 सितंबर पर विशेष Publish Date : 23/09/2024
विश्व हैजा दिवस 23 सितंबर पर विशेष
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
दूषित भोजन और पानी से रखें स्वयं को बचाकर
हैजा फैलने का मुख्य कारण दूषित भोजन और पानी होता है। यह गंदे हाथों और नाखून के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है। आजकल बच्चों में यह बीमारी देखने को मिल रही है। इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रत्येक वर्ष 23 सितंबर को विश्व हैजा दिवस मनाया जाता है। इस बीमारी की वजह से गंभीर दस्तों की समस्या भी हो सकती है, जिससे डिहाईड्रेशन की स्थिति पैदा हो जाती है और समय पर इलाज न मिले तो यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है।
कोरोना महामारी के बाद से हैजा के रिव्यू की संख्या में काफी कमी देखी गई है इसकी वजह यह है कि कोरोना महामारी के बाद से लोगों में हाथों की सफाई को लेकर जागरूकता बढ़ी है और शायद लोग अब बिना हाथ साफ किए खाना खाना पसंद नहीं करते और ना ही फास्ट फूड और न ही घर का बना भोजन। इसी का परिणाम है कि अब लोग हैजा की बीमारी से कम ग्रस्त हो रहे हैं।
प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल मेरठ के मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर ने बताया कि हैजा पहले लोगों में ज्यादा दूषित पानी पीने से होता था। अब लोग जागृत हुए हैं और वह दूषित भोजन और पानी का सेवन करने से बच रहे हैं तथा अपने बच्चों को भी बचा कर रखते हैं।
हैजा अधिकांशतः सितंबर के माह के बीच ज्यादा होता आया है क्योंकि इन दिनों मक्खी अधिक होती हैं और मक्खी गंदगी लेकर एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंच जाती हैं। इससे खान-पान दूषित हो जाता है। अभी तक भी जो लोग सतर्क नहीं है और दूषित खाना भोजन के रूप में ले लेते हैं उनको हैजा हो जाता है।
आखिर हैजा क्यों होता है
- दूषित पानी से या दूषित पानी से बनी हुई बर्फ का इस्तेमाल करने से।
- सड़क पर बेचे जाने वाले दूषित खाद्य पदार्थों का सेवन करने से।
- मानव अपशिष्ट युक्त पानी से उगाई सब्जियों को बिना धूले ही खाने से।
- खुले में बेचे जाने वाले फलों तथा अन्य खाद्य सामग्रियों का सेवन करने से।
क्या होते हैं हैजा के लक्षण
- हैजा से ग्रसित मैरिज में उल्टी दस्त और पैर में ऐंठन होती है।
- हैजा से ग्रसित व्यक्ति के हृदय गति का अचानक बढ़ जाने से।
- ब्लड प्रेशर कम हो जाने से।
- ज्यादा प्यास लगना बार-बार जी घबराना।
क्या है उपचार और बचाव के उपाय
- घर में हमेशा ओ आर एस घोल रखें। समस्या होने पर दिन में तीन या चार बार पानी में मिलाकर इसका सेवन करें।
- इंट्रावेनस फ्लूइडस और डिहाइड्रेशन के होने पर डॉक्टर से मिले।
- तरल पदार्थ को नसों के जरिए शरीर में पहुंचने की प्रक्रिया अपनाई जाती है।
- खाने पीने की आदतों में समुचित बदलाव करें।
- खीरा, नारियल का पानी, नींबू, छाछ, अदरक पुदीने का जूस, और हल्दी मेथी के बीज आदि का सेवन कर सकते हैं।
- हैजा हो जाने पर तरल और ताजे भौजन का ही सेवन करें।
- हैवी तथा मसालेदार सब्जियों और भोजन का सेवन करने से दूर रहे।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।