मंकी पॉक्स एक महामारी के रूप में Publish Date : 21/09/2024
मंकी पॉक्स एक महामारी के रूप में
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
पूरी दुनिया में होने वाला संक्रमण हम सभी के लिए एक चिंता का विषय है। ठीक ऐसा ही हमस सभी ने कोविड-19 के सम्बन्ध में अच्छी तरह से देखा भी है। किसी भी संक्रमण को उसके स्रोत स्थल पर ही नियंत्रित करना ही एक सबसे अच्छा उपाय है। अब एमपॉक्स के जारी इस गम्भीर संस्करण के हो रहे प्रसार की नजदीकी निगरानी करना बहुत ही आवश्यक हो गया है। विशेषरूप यह देखते हुए कि विभिन्न देशों के पास उचित एवं व्यापक जांच की क्षमता भी बेहद सीमित अथवा उपलब्ध ही नही है।
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) के द्वारा कांगो गणराज्य में संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों और इनके और भी फैलने की आशंका के बाद एमपॉक्स को वैश्विक चिंता को ध्यान में रखते हुए इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य इमरजेंसी घोषित कर दिया गया है। एमपॉक्स के प्रति अब इस संक्रामक रोग के प्रसार की रोकथाम और इससे निपटने के टीके एवं व्यापक जोच की आवश्यकता को देखा जा रहा है। हालांकि अभी तक डब्ल्यू.एच.ओ. के द्वारा मंकी पॉक्स को महामारी घोषित नही किया गया है।
चिकित्सकों के अनुसार, मंकी पॉक्स चेचक से मिलता जुलता एक वायरल संक्रमण होता है, जिसके आरम्भिक लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, लिम्फ नोड्स की सूजन मांसपेशियों में दर्द का अनुभव होता है। संक्रमण बढ़ने के साथ ही इससे प्रभवित व्यक्ति के चेहरे, हाथ-पैर आदि पर एक विशेष प्रकार के दाने निकल आते हैं।
इधर कुछ अफ्रीकी देशों में मंकी पॉक्स के प्रसार के चलते अफ्रीका रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केन्द्रों के द्वारा हाल ही में इसे महरद्वीपीय सुरक्षा के मद्देनजर स्वास्थ्य इमरजेंसी घोषित कर दिया गया है। वर्ष 2017 में स्थापित इस संगठन के द्वारा पहली बार ऐसी चंतावनी जारी की गई है। मध्य अफ्रीका के कांगो लोकतांत्रिक गणराल्ज्य की स्थिति तो पिछले वर्ष से ही गम्भीर बनी हुई है।
मंकी पॉक्स के 2 क्लेड हैं पश्चिमी अफ्रीका से उत्पन्न क्लेड-II अपेक्षाकृत कम गंभीर है और इसकी मृत्यू दर भी केवल एक प्रतिशत ही है। जबकि मध्य अफ्रीका से उत्पन्न क्लेड-I में मृत्यु दर 10 प्रतिशत तक रही है और इसकी तुलना सार्स-कोव-2 के ओमिक्रॉन वैरिएंट की मृत्यु दर 0.7 के साथ की जा सकती है। यही वायरस कोविड का कारण बना था।
मंकी पॉकस मध्य और पश्चिमी अफ्रीका के कुछ भागों में अक्सर फैलने वाला एक संक्रमण है, यह वायरस यहां के जानवरों में पाया जाता है जो मनाव में भी फैल सकता है। वर्ष 2017 से इसका प्रकोप शुरू हुआ जो मनुष्य से मनुष्य में फैल रहा है। इसका एक प्रमुख कारण चेचक से सम्बन्धित इस वायरा के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना है। हालांकि चेचक के विरूद्व व्यापक पैमाने पर किए गये वैश्विक टीकाकरण के चलते लगभग 40 वर्ष पहले ही यह समाप्त हो चुका था, इसी कारण अब लोगों में मंकी पॉक्स के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता का अभाव उत्पन्न हो गया है।
अब डब्ल्यूएचओ की घोषणा के अनुसार, यह संक्रमण क्लेड-I से संबंधित है। इस क्लेड में न केवल इसकी मृत्यु दर अधिक है, बल्कि इसमें नए म्यूटेशन (उत्परिवर्तन) भी होते रहते हैं, जो लोगों के बीच इसके प्रसार को बढ़ाते हैं। यह बदलाव, और एमपॉक्स के प्रति वैश्विक प्रतिरक्षा की कमी दुनिया के लोगों को वायरस के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है। कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में परीक्षण क्षमता भी कम है, अधिकांश मामलों की प्रयोगशाला जांच द्वारा पुष्टि नहीं की जाती है।
अब यह वायरस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैल रहा है। पिछले एक महीने में, वायरस कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के साथ सीमा साझा करने वाले देशों-रवांडा और बुरुंडी में भी फैल चुका है। जबकि अब यह केन्या और युगांडा जैसे अन्य पूर्वी अफ्रीकी देशों में भी फैल रहा है। इनमें से किसी भी देश में पहले एमपॉक्स के मामले नहीं थे। एक-दूसरे से जुड़ी हुई गतिशील दुनिया में संक्रमण के मामले अन्य महाद्वीपों तक भी फैल सकते हैं, जैसा कि वर्ष 2018 में एमपॉक्स नाइजीरिया से ब्रिटेन तक और अन्य देशों तक भी फैल गया था।
क्योंकि एमपॉक्स वायरस और चेचक वायरस एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं (यह दोनों ऑर्थाेपॉक्सवायरस हैं), इसलिए चेचक के टीके एमपॉक्स के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं। इन टीकों का उपयोग वर्ष 2022 क्लेड-Ib महामारी को नियंत्रित करने के लिए किया गया था। हालांकि दुनिया के अधिकांश लोगों को कभी भी यह टीका नहीं लगाया गया है, और उनमें एमपॉक्स के प्रति कोई प्रतिरक्षा उपलब्ध नहीं है। नया टीका (जिसे कुछ देशों में जिनेओस और अन्य में इम्वाम्यून या इम्वानेक्स कहा जाता है) इसके विरूद्व प्रभावी है। हालांकि, इसकी आपूर्ति सीमित है और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में यह टीका दुर्लभ है।
डब्ल्यूएचओ द्वारा एमपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय चिंता की दृष्टि से सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने से उन जगहों पर टीके पहुंचाने में मदद मिलेगी, जहां उनकी जरूरत है। अफ्रीका रोग नियंत्रण केंद्र ने पहले ही वैक्सीन की 2,00,000 खुराक के लिए बातचीत शुरू कर दी है, जो कांगो में इस महामारी को नियंत्रित करने के लिए जरूरी है।
दुनिया में कहीं भी कोई गंभीर रूप से होने वाला संक्रमण हम सभी के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि यह यात्रा के माध्यम से वैश्विक स्तर पर भी फैल सकता है, जैसा कि हमने कोविड महामारी के मामले में देखा था। इसे स्रोत स्थल पर ही नियंत्रित करना सबसे अच्छा उपाय होता है। डब्ल्यूएचओ की नवीनतम घोषणा आवश्यक संसाधन जुटाने में मदद करेगी।
एमपॉक्स के इस गंभीर संस्करण के प्रसार की निगरानी भी आवश्यक है, खासकर यह देखते हुए कि कई देशों में व्यापक जांच की क्षमता भी उपलब्ध नहीं है। इसलिए इस पर निगरानी रखने के लिए ‘‘संदिग्ध मामलों’’ पर करीबी नजर रखनी होगी। बीमारी के रुझानों-दाने और बुखार की निगरानी के लिए कमजोर स्वास्थ्य प्रणालियों या मामलों की देरी से रिपोर्टिंग वाले देशों में एआई का इस्तेमाल प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में किया जा सकता है।
एक मुश्किल यह भी है कि एमपॉक्स से पीड़ित 20-30 फीसदी लोगों को एक साथ चिकनपॉक्स भी हो सकता है, जो दाने का कारण भी बनता है। इसलिए चिकनपॉक्स का प्रारंभिक निदान (जिसकी जांच करना बेहद आसान है) एमपॉक्स को खारिज नहीं करता है। प्रभावी संचार और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों और गलत सूचनाओं से निपटना भी महत्वपूर्ण है। हमने देखा ही कि कोविड महामारी के दौरान यह कितना महत्वपूर्ण रहा था। इस तरह की वैश्विक आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रोटोकॉल का पालन करने का प्रयास सर्वश्रेष्ठ उपाय है।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।