चिंताः क्या मंकी पॉक्स महामारी में बदल सकता है?      Publish Date : 26/08/2024

                  चिंताः क्या मंकी पॉक्स महामारी में बदल सकता है?

                                                                                                                                                      डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मां

‘‘वैसे तो दुनिया का प्रत्येक गंभीर संक्रमण हम सभी के लिए चिंता का विषय होता है, जैसा कि कोविड के मामले में हमने देखा भी है। संक्रमण को इसके स्रोत स्थल पर ही नियंत्रित करना सबसे अच्छा उपाय है। एमपॉक्स के इस गंभीर संस्करण के प्रसार की निगरानी भी आवश्यक है, खासकर यह देखते हुए कि कई देशों में व्यापक जांच की क्षमता भी उपलब्ध नहीं है।’’

                                                                    

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में संक्रमण के बढ़ते मामलों और इसके आगे फैलने की आशंका के बाद एमपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय चिंता की दृष्टि से सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है। इससे इसके प्रति समन्वित अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया तथा इस संक्रामक रोग के प्रसार की रोकथाम के लिए टीके और इसकी जांच जैसे उपायों की आवश्यकता तत्काल उत्पन्न हो गई है। हालांकि डब्ल्यूएचओ ने एमपॉक्स को महामारी घोषित नहीं किया है, बल्कि उसने यह कदम इसे महामारी बनने से रोकने के लिए उठाए हैं।

एमपॉक्स, जिसे मंकी पॉक्स के नाम से भी जाना जाता है, चेचक से मिलता-जुलता ही एक वायरल संक्रमण है। इसके शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, लिम्फ नोड्स की सूजन और मांसपेशियों में दर्द होना शामिल हैं। इसके बाद चेहरे, हाथों और पैरों पर एक खास तरह के दाने निकल आते हैं। कुछ अफ्रीकी देशों में एमपॉक्स के फैलने के कारण अफ्रीका रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्रों ने हाल ही में एमपॉक्स को महाद्वीपीय सुरक्षा के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया।

वर्ष 2017 में अपनी स्थापना के बाद से पहली बार इस संगठन ने ऐसी चेतावनी जारी की है। जैव सुरक्षा की प्रोफेसर मध्य अफ्रीका के कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थिति एक वर्ष से अधिक समय से चिंताजनक बनी हुई है। एमपॉक्स के दो प्रकार या क्लेड हैं। पश्चिमी अफ्रीका में उत्पन्न होने वाला क्लेड II कम गंभीर है। इस संक्रमण में मृत्यु दर एक फीसदी तक है यानी इससे लगभग 100 में से एक व्यक्ति की मृत्यु की आशंका होती है। लेकिन मध्य अफ्रीका में उत्पन्न क्लेड I की मृत्यु दर 10 फीसदी तक है यानी दस में से एक की मृत्यु। इसकी तुलना सार्स-कोव-2 के ओमिक्रॉन वैरिएंट के 0.7 फीसदी मृत्यु दर से की जा सकती है, जो कोविड का कारण बनने वाला वायरस है। कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में अधिक घातक क्लेड I एमपॉक्स को भारी संक्रमण के रूप में देखा जा रहा है।

                                                              

एमपॉक्स मध्य और पश्चिमी अफ्रीका के कुछ हिस्सों में अक्सर फैलता रहता है, जहां यह वायरस जानवरों में पाया जाता है और फिर यह मनुष्यों में भी फैल सकता है। वर्ष 2017 से इसका प्रकोप लगातार बढ़ रहा है, और यह मनुष्य से मनुष्य में फैल रहा है। इसका एक कारण यह भी है कि एमपॉक्स वायरस के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम है, जो चेचक के वायरस से संबंधित है। चेचक के खिलाफ बड़े पैमाने पर टीकाकरण 40 साल से भी पहले वैश्विक स्तर पर बंद हो गया था, जिसके चलते आज लोगों में एमपॉक्स के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम हो गईं है।

इस सप्ताह डब्ल्यूएचओ ने जो घोषणा की है, वह क्लेड I से संबंधित है, न केवल इसकी मृत्यु दर अधिक है, बल्कि इसमें नए म्यूटेशन (उत्परिवर्तन) भी होते रहते हैं, जो लोगों के बीच प्रसार को बढ़ाते हैं। यह बदलाव, और एमपॉक्स के प्रति वैश्विक रोग प्रतिरक्षा की कमी दुनिया के लोगों को वायरस के प्रति संवेदनशील बनाती है। कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में परीक्षण क्षमता कम है, अधिकांश मामलों की प्रयोगशाला जांच द्वारा पुष्टि नहीं की जाती है।

अब यह वायरस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैल रहा है। पिछले महीने में, वायरस कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के साथ सीमा साझा करने वाले अन्य देशों-रवांडा और बुरुंडी में फैल गया है। यह केन्या और युगांडा जैसे अन्य पूर्वी अफ्रीकी देशों में भी फैल गया है। इनमें से किसी भी देश में पहले एमपॉक्स के मामले नहीं थे। एक-दूसरे से जुड़ी हुई गतिशील दुनिया में संक्रमण के मामले अन्य महाद्वीपों तक फैल सकते हैं, जैसा कि वर्षं 2018 में एमपॉक्स नाइजीरिया से ब्रिटेन और अन्य देशों तक फैल गया था।

                                                                 

चूंकि एमपॉक्स वायरस और चेचक वायरस एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं (यह दोनों ऑर्थाेपॉक्सवायरस हैं), चेचक के टीके एमपॉक्स के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं। इन टीकों का उपयोग 2022 क्लेड प्प्इ महामारी को नियंत्रित करने के लिए किया गया था। लेकिन दुनिया के अधिकांश लोगों को कभी भी टीका नहीं लगाया गया है, और उनमें एमपॉक्स के प्रति कोई प्रतिरक्षा भी नहीं है। नया टीका (जिसे कुछ देशों में जिनेओस और अन्य में इम्वाम्यून या इम्वानेक्स कहा जाता है) प्रभावी है। हालांकि, इसकी आपूर्ति सीमित है और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में यह टीका दुर्लभ है।

डब्ल्यूएचओ द्वारा एमपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय चिंता की दृष्टि से सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने से उन जगहों पर टीके पहुंचाने में मदद मिलेगी, जहां उनकी जरूरत है। अफ्रीका रोग नियंत्रण केंद्र ने पहले ही वैक्सीन की 2,00,000 खुराक के लिए बातचीत शुरू कर दी है, जो कांगो में महामारी को नियंत्रित करने के लिए जरूरी है।

दुनिया में कहीं भी कोई गंभीर संक्रमण हम सभी के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि यह यात्रा के माध्यम से वैश्विक स्तर पर भी फैल सकता है, जैसा कि हमने कोविड महामारी के मामले में देखा गया था। इसे स्रोत स्थल पर ही नियंत्रित करना सबसे अच्छा उपाय है। डब्ल्यूएचओ की नवीनतम घोषणा आवश्यक संसाधन जुटाने में मदद करेगी।

                                                           

एमपॉक्स के इस गंभीर संस्करण के प्रसार की निगरानी भी आवश्यक है, खासकर यह देखते हुए कि कई देशों में व्यापक जांच की क्षमता भी उपलब्ध नहीं है। इसलिए इस पर निगरानी रखने के लिए ‘संदिग्ध मामलों’ पर नजर रखना होगा। बीमारी के रुझानों-दाने और बुखार की निगरानी के लिए कमजोर स्वास्थ्य प्रणालियों या मामलों की देरी से रिपोर्टिंग वाले देशों में एआई का इस्तेमाल प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में किया जा सकता है।

एक मुश्किल यह भी है कि एमपॉक्स से पीड़ित 20-30 फीसदी लोगों को एक साथ चिकनपॉक्स भी हो सकता है, जो दाने का कारण भी बन सकता है। इसलिए चिकनपॉक्स का प्रारंभिक निदान (जिसकी जांच करना अपेक्षाकृत आसान है) एमपॉक्स को खारिज नहीं करता है। प्रभावी संचार और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों और गलत सूचनाओं से निपटना भी महत्वपूर्ण है। हमने देखा ही कि कोविड महामारी के दौरान यह कितना महत्वपूर्ण था। इस तरह की वैश्विक आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रोटोकॉल का पालन करने का प्रयास करना ही सर्वश्रेष्ठ उपाय है।

लेखकः डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला अस्पताल मेरठ में मेकडिकल ऑफिसर हैं।