जीवनकाल में वृद्धि के लिए स्वस्थ बनाए रखें अपना तन और मन      Publish Date : 24/08/2024

           जीवनकाल में वृद्धि के लिए स्वस्थ बनाए रखें अपना तन और मन

                                                                                                                                                                 डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मां

                                                                                

पिछले कुछ समय से सरकार के द्वारा लोगों में जागरूकता जन स्वास्थ्य का अभियान चला कर स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कार्य किया जा रहा है। इस अभियान के चलते जीवन प्रत्याशा में सुधार हुआ है और खासकर संचारी रोगों में काफी कमी देखी गई है। विकसित देशों में तो इसे नियंत्रित कर लिया गया है। हालांकि भारत में संचारी व गैर संचारी दोनों ही रोगों का स्वास्थ्य पर अभी भी बड़ा बोझ है। पहले संक्रामक बीमारियों से काफी मौत होती थी आज से 10 वर्ष पहले तक प्रति 1000 में 80 बच्चे अपना पहला जन्मदिन नहीं मना पाए थे। हालांकि अब यह आंकड़ा 28 पर आ गया है, जो स्वास्थ्य देखभाल के प्रयासों के कारण ही संभव हो पाया है।

संचारी रोगों में कमी परन्तु गैर संचारी रोगों की चिंता

                                                                        

टीकाकरण जैसे उपायों से संक्रामक बीमारियों को कम करने में मदद तो अवश्य ही मिली है, लेकिन अब खराब जीवन शैली और दूषित खान-पान से गैर संचारी (एमसीडी) रोगों की चुनौती बढ़ रही है। आज भारत को डायबिटीज कैपिटल तक कहा जाने लगा है तो वहीं हाइपरटेंशन, कैंसर और दुर्घटना जैसे मामलों में मौतों में वृद्धि होना एक चिंता का विषय है।

जन्म के समय जीवन प्रत्याशा कैसी हो

यदि कोई बच्चा आज पैदा हुआ है तो वह ऑप्शनल कितने वर्षों तक जीवित रहेगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसे देखभाल और स्वास्थ्य सुविधाएं कैसी उपलब्ध हैं। अगर एक साल से कम आयु के बच्चे की मृत्यु दर में कमी आएगी तो स्वाभाविक तौर पर जीवन प्रत्याशा में वृद्धि होगी, क्योंकि पहले एक साल के अंदर ही कई बच्चों की मृत्यु हो जाती थी। जन्म के शुरुआती वर्षों में स्वास्थ्य अच्छा रहता है तो सामान्यतः स्वाभाविक आयु 60 वर्ष की उम्र के ऊपर ही मानी जाती है।

जीवन काल में वृद्धि

वर्तंमान समय में अनेक बीमारियों को नियंत्रित करने में मदद मिली है, उदाहरण के तौर पर देखें तो पहले एचआईवी संक्रमण में लोग औसतन 10 वर्ष ही जी पाते थे, पर अब ऐसे लोग बिल्कुल सामान्य तरह का जीवन जी रहे हैं। यह रोग पूरी तरह से तो ठीक नहीं हो पाता है पर सतर्कता रखने पर उन्हें कोई गंभीर परेशानी नहीं होती है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी

                                                                      

एंटीबायोटिक का अभिलेख पूर्ण उपयोग नई बीमारियों को जन्म दे रहा है और दवाइयों का असर भी कम हो रहा है, क्योंकि संचारी रोगों को नियंत्रित करने के लिए हमारे पास एंटीबायोटिक, एंटीवायरस, एंटी प्रोटोजोआ या फिर एंटी फंगल आदि ही उपलब्ध होते हैं। यह चार समूह है जिससे संचारी रोगों का प्रबंधन किया जाता है। अब तो यदि हमें वायरल या जुखाम होता है तो हम खुद से ही एंटीबायोटिक लेने लगे हैं। इनसे बैक्टीरिया का रेजिस्टेंस विकसित हो जाता है और गंभीर संक्रमण होने पर ऐसी दशा में दवा का असर नहीं हो पता है।

जागरूकता का अभाव देखा गया

एक समय देश के कई हिस्सों में भुखमरी के कारण मौतें होती थी परन्तु आज खाद्यान्न की सुलभता तो बढ़ी है परन्तु पोषण और संतुलित भोजन को लेकर जागरूकता का प्रायः अभाव आसानी से देखा जा सकता है। ऐसे में हमें संतुलित भोजन के महत्व के प्रति जागरूक होना ही होगा। मोटापा भी एक तरह का कुपोषण ही है और अब बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। मोटापे से मधुमेह और रक्तचाप जैसी समस्याओं का जोखिम लगातार बढ़ता जा रहा है इसलिए जागरूक रहकर हमें अपने स्वास्थ्य को ठीक बनाए रखना होगा।

स्थिरता नुकसानदेह होती है

                                                                 

गैर संचारी बीमारियों का मुख्य करण शिथिलता भरी जीवन शैली और अशुद्ध खान-पान होता है। ऑफिस में घंटों बैठे रहना, शारीरिक सक्रियता नहीं होने से परेशानी बढ़ रही है। लोगों को विटामिन डी की कमी हो रही है। अनेक राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार कुपोषण से महिलाओं में एनीमिया की चिताओं पर चर्चा तो होती ही रहती है। देश की आधी जनसं,या यानी महिलाएं अपनी प्रोडक्टिव उम्र में और 5 वर्ष से कम आयु के दो तिहाई बच्चे आज भी एनीमिया ग्रस्त हैं। इसके लिए गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। यह जीवन प्रत्याशा का बुनियादी सवाल है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है।

इन बातों का रखें ख्याल

अपने जीवन काल को लंबा बनाए रखने के लिए हमें कुछ बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है, क्योंकि आज उपचार सुविधाएं बेहतर हुई है और अस्पतालों का नेटवर्क भी बढ़ा है। अब गांवों तक भी स्वास्थ्य सुविधा पहुंच रही हैं। गर्भवती व बच्चों के टीकाकरण जैसे उपाय जीवनकाल बढ़ाने में सहायक सिद्व हो रहे हैं। हालांकि इसके बाद भी कई समस्याएं पैदा हो रही है और इसके लिए जरूरी है कि आप कुछ बातों पर ध्यान दें, तो आप स्वस्थ रहते हुए अपने जीवन काल को भी बढ़ा सकते हैं।

  • ऐसा पौष्टिक आहार लें जिसमें प्रोटीन भरपूर मात्रा हो।
  • शारीरिक गतिविधियां प्रतिदिन करते रहें।
  • कम से कम 6 से 8 घंटे की अच्छी नींद अवश्य ले।
  • प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए अपने खान-पान पर विशेष ध्यान दें।
  • गैर संचारी रोगों की रोकथाम हेतु जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं जिसमें शारीरिक सक्रियता पर भरपूर जोर दिया जाता है।
  • यदि आप 6 से 8 घंटे की नियमित नींद लेते हैं तो यह आपके अच्छे स्वस्थ और इम्यूनिटी के लिए बेहतर है और यह उपाय गैर संचारी रोगों को रोकने में सहायक सिद्व होते हैं।

एक सही जीवन शैली के माध्यम से बीपी और ब्लड शुगर भी नियंत्रित किया जा सकता है और जीवनकाल बढ़ता है अन्यथा स्ट्रोक व पैरालिसिस की आशंका बढ़ जाती है।

लेखकः डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां जिला अस्पताल मेरठ के मेडिकल ऑफिसर हैं।