अब आर्टिंफिशियल इंटेलीजेंस तकनीकी से होगी एनीमिया की जांच Publish Date : 10/08/2024
अब आर्टिंफिशियल इंटेलीजेंस तकनीकी से होगी एनीमिया की जांच
डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मां
अब एनीमिया की जांच कराने के लिए आपको खून देने की आवश्यकता नहीं, क्योंकि ए आई तकनीकी से एनीमिया की होगी सटीक जांच
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के मुताबिक एक लंबी खोज के बाद भारतीय वैज्ञानिकों ने नान इन्वेंटिव हीमोग्लोबिन स्क्रीनिंग डिवाइस तैयार की है। किसी भी व्यक्ति में हीमोग्लोबिन का स्तर पता लगाने के लिए इस उपकरण का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए मरीज से रक्त नमूना लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि रक्त को लेने के लिए सिरिंज का का प्रयोग किया जाता था। अब सिरिंज से खून लिए बिना ही रक्त की जांच की जा सकेगी।
आईसीएमआर के अनुसार जब भी एनीमिया की जांच की जाती है तो सम्बन्धित व्यक्ति का सिरिंज के जरिए रक्त निकाला जाता है और करीब 3 से 10 मिली तक रक्त लेकर प्रयोगशाला में जांच करते हैं और फिर बचा हुआ रखते चिकित्सकीय अपशिष्ट में फेंक दिया जाता है। इस प्रक्रिया में समय रक्त और बजट तीनों पर काफी खर्च होता हैं। परन्तु अब एनीमिया जाँचने वाली ए आई आधारित स्वदेशी तकनीकी से अब तक मरीजों का 6000 यूनिट से ज्यादा रक्त बेकार होने से बचाया जा चुका है। साथ ही पुराने तरीके की जांच से पैदा होने वाली करीब 16 टन चिकित्सा की अपशिष्ट में भी कमी आई है और करीब 81 करोड रुपए की बचत भी हुई है। इन परिणामों के साथ यह भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में अब तक सबसे बड़ी खोज मानी जा रही है।
एनीमिया से महिलाएं होती है ज्यादा प्रभावित
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 2019-21 के अनुसार एनीमिया की व्यापकता पुरुषों में 15 से 49 वर्ष आयु में 57 प्रतिशत है तो वहीं किशोर, जिनकी आयु 15 से 19 वर्ष के बीच रहती है उनमें यह 31.01 प्रतिशत और किशोर में 59.01 प्रतिशत तक होती है। इनके अलावा 15 से 49 वर्ष तक की आयु के 52.5 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में हीमोग्लोबिन का स्तर कम है, जिन्हें एनीमिया ग्रस्त माना जा सकता है। इसी तरह 6 से 59 माह तक के करीब 57.5 प्रतिशत बच्चे भी एनीमिया की चपेट में है।
आईसीएमआर के अनुसार नों इनवेसिव हीमोग्लोबिन स्क्रीनिंग डिवाइस को जमीनी स्तर पर ले जाने के लिए बाश और ईजेआरएकस कंपनी के साथ समझौता हुआ है। इन्होंने अब तक 24 लाख से ज्यादा लोगों में एनीमिया की जांच की है, जिसके जरिए 6075 यूनिट रक्त की बचत हुई है। इस जाँच में कुल 24,49,210 में 16.28 लाख महिला और 8.20 लाख पुरुष शामिल है। इस प्रक्रिया के जरिए लगभग 40 टन कार्बन उत्सर्जन भी कम होने का दावा किया गया है।
1 दिन में पूरे गांव की जांच हो सकेगी संभव
वैज्ञानिको ने बताया कि एनीमिया की जांच के लिए अब लोगों को किसी सुईं की चुभन या फिर किसी तरह के दर्द को सहन करने की आवश्यकता नहीं है। यह नया उपकरण पूरी तरह से ए आई आधारित है, जो बिना इंटरनेट की सहायता मरीजों की स्क्रीनिंग कर सकता है। यह उपकरण पोर्टेबल होने के साथ ही उपयोग करने में भी आसान है। इसके लिए किसी पैथोलॉजी लैब सहायता की आवश्यकता भी नहीं है। यह पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ एक दिन में पूरे गांव की आबादी को कवर करने में भी सक्षम है। रक्त के दुरुपयोग को रोकने के साथ-साथ यह तुरंत परिणाम देता है और मरीजों की डिजिटल रिपोर्ट जारी करता है।
लेखकः डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ में मेडिकल ऑफिसर है।