भारत के सोलह लाख बच्चे टीका लगने से वंचित      Publish Date : 06/08/2024

                    भारत के सोलह लाख बच्चे टीका लगने से वंचित

                                                                                                                                                                           डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मां

                                                                                 

भारत में वर्ष 2023 में करीब 16 लाख बच्चों को टीके की एक भी खुराक नहीं मिली। इस क्रम में भारत का स्थान दूसरा है जबकि पहले स्थान पर नाइजीरिया है, जहां 21 लाख बच्चों को इसी अवधि के दौरान टीके की एक भी खुराक नहीं मिली। इस मामले में भारत की रैंकिंग में हालांकि 2021 की तुलना में सुधार हुआ है, जब देश में वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक 27.3 लाख बच्चों को टीके की एक भी खुराक नहीं मिली थी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूनिसेफ द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2023 में नाइजीरिया में शून्य खुराक वाले बच्चों की संख्या सबसे अधिक 21 लाख थी। भारत के बाद अन्य देश इथियोपिया, कांगो, सूडान और इंडोनेशिया आदि शामिल है। इस श्रेणी में शीर्ष 20 देशों में चीन 18वें स्थान पर है, जबकि पाकिस्तान 10वें स्थान पर है। टीकाकरण एजेंडा 2030  (आईए 2030) के संदर्भ में 2021 खुराक वाले बच्चों की संख्या के आधार पर बीस देशों की सूची तैयार की गई है।

दक्षिण एशिया क्षेत्र (रोसा) के लिए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार, शून्य खुराक वाले बच्चों की संख्या के आधार पर रैक किए गए देशों में, 2021-2023 में भारत 1,592,000 शून्य खुराक वाले बच्चों के साथ आठ देशों में से पहले स्थान पर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंगलवार को दक्षिण- पूर्व एशिया क्षेत्र के देशों से सभी स्तरों पर प्रयासों को और मजबूत करने का आह्वान किया, जिसमें उप-राष्ट्रीय स्तर पर अनुकूलित दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए, ताकि टीकाकरण से वंचित और कम टीकाकरण वाले बच्चों की पहचान की जा सके और उनका टीकाकरण किया जा सके।

                                                                         

दक्षिण पूर्व एशिया के लिये डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक साइमा वाजेद ने कहा, ‘टीकाकरण से वंचित और कम टीकाकरण वाले बच्चों की बढ़ती संख्या के कारण तत्काल और त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है। हमें यह पता लगाने की आवश्यकता है कि ये बच्चे कहां और क्यों छूट गए है और जल्द से जल्द उन तक पहुंचने को प्राथमिकता देनी चाहिए। किसी भी बच्चे को, ऐसी किसी भी जानलेवा या घातक बीमारी की चपेट में नहीं आना चाहिए जब उनसे बचने के लिए सुरक्षित और प्रभावी टीके मौजूद है।’ उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र 2030 के टीकाकरण ढह एजेंडे को प्राप्त करने की दिशा में पीछे है।

भारत 2023 में खसरा रोधी टीके (एमसीवी1) की सै पहली खुराक न लगवाने वाले बच्चों की संख्या तीसरी सबसे बड़ी संख्या थी। यह आंकड़ा लगभग 16 लाख था। एमसीवी-1 प्राप्त करने वाले बच्चों का प्रतिशत, ‘‘राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के आधार पर आमतौर पर नौ या 12 महीने में’’, घटकर मात्र 93 प्रतिशत ही रह गया।

‘‘यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ के आकड़ों के अनुसार नाइजीरिया में शून्य खुराक वाले बच्चों की संख्या सबसे अधिक।’’

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, हंस हॉस्पिटल मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।