अच्छी सेहत के लिए कोलेस्ट्रॉल को कैसे करें नियंत्रित

                                      अच्छी सेहत के लिए कोलेस्ट्रॉल को कैसे करें नियंत्रित

                                                                                                                                                                       डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मां

आजकल भागम भाग भरी जिंदगी में देश में लोग अपने स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान नहीं दे पा रहे हैं जिस कारण उनकी सेहत लगातार गिरती जा रही है जीवन शैली से संबंधित अनेक समस्याओं की जड़ है हमारे शरीर का संतुलित कोलेस्ट्रॉल इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। असंतुलित कोलेस्ट्रॉल की समस्या मुख्य रूप से अनुवांशिक होती है लगभग 70% कोलेस्ट्रॉल शरीर में बनता है शेष 30% के पीछे खान-पान व जीवन शैली की भूमिका होती है।

                                                                               

इसका निर्माण लीवर में होता है और इसके पीछे जेनेटिक कारण अधिक जिम्मेदार होते हैं। अनुवांशिक कर्म को बदल तो नहीं सकते, लेकिन यदि जीवन शैली व्यवस्थित रखें तो बेहतर प्रबंधन अवश्य कर सकते हैं। कोलेस्ट्रॉल संतुलन में स्थान जलवायु और नक्सलीय कर्ण की भी विशेष भूमिका होती है।

अपने लिपिड प्रोफाइल की जांच करते रहे

यदि रिस्क फैक्टर यानी स्वास्थ्य से जुड़ा कोई जोखिम जैसे ब्लड प्रेशर डायबिटीज हृदय संबंधी या कोई अनुवांशिक समस्या है तो कोलेस्ट्रॉल की नियमित अंतराल पर जांच अवश्य कारण 18 वर्ष की आयु के बाद सभी वयस्कों को कोलेस्ट्रॉल की जांच एक बार अवश्य कर लेनी चाहिए।

सामान्य जब किसी बीमारी की जांच के लिए लोग जाते हैं तो लिपिड प्रोफाइल की जांच की जाती है ऐसे में जिन्हें स्वास्थ्य समस्या है उन्हें पहले ही जांच कर लेनी चाहिए।

कब कराये अपने ब्लड की जांच

अगर आप स्वस्थ महसूस कर रहे हैं और जांच रिपोर्ट भी समान है तो अगले दो-तीन साल तक जांच करने की आवश्यकता नहीं है हां यदि रिपोर्ट सामान्य नहीं है या किसी दवा का सेवन कर रहे हैं। तो इसका प्रभाव जानने के लिए 3 महीने में जांच कर लेनी चाहिए कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित हो जाता है तो साल में एक बार जांच कर सकते हैं।

शरीर में कोलेस्ट्रॉल संतुलन के लक्षण

                                                                         

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर आमतौर पर खास समस्या नहीं होती जेनेटिक कर्म से कुछ लोगों का कोलेस्ट्रॉल लडल 200 से 250 तक पहुंच जाता है। अत्यधिक बढ़ाने पर त्वचा पर कुछ लक्षण जैसे कोहनी हाथों के किनारो और कंधों पर सफेद धब्बे नोड्यूल्स के रूप में दिखाते हैं।

खाने में कितना ले फैट

शरीर को जितनी ऊर्जा की आवश्यकता है उसके 10 से कम फैट होना चाहिए और 7% से भी काम कोलेस्ट्रॉल होना चाहिए। तले भुने खाद जंक फूड पिज़्ज़ा बर्गर पास्ता में फैट होता है इसे कम करें ट्रांस फैट से बिल्कुल बच कर रहेगे।

वनस्पति तेल के प्रयोग में सावधानी

भोजन में तेल का प्रयोग कम से कम करें सरसों कनोला और ओलिव ऑयल का प्रयोग बेहतर है। तेलों को बदल बदल कर सेवन करना चाहिए, क्योंकि इसमें कुछ जरूरी फैटी एसिड्स होते हैं जो कोशिकाओं व शरीर के विकास में उपयोगी है। पारंपरिक भारतीय भोजन इस मामले में गुणकारी है।

दूध का सेवन कितना फायदेमंद

                                                              

फुल क्रीम दूध के बजाय टूट दूध बेहतर है। पनीर हुआ अन्य डेयरी उत्पाद का सेवन कम करें। फलों व सब्जियों का सेवन बढ़ाएं बादाम अखरोट में अनसैचुरेटेड फत होते हैं, इनका सेवन लाभकारी है अगर नॉनवेज है तो मछली का सेवन करना बेहतर है।

कब बढ़ता है बीमारियों का जोखिम

कोलेस्ट्रॉल मूलता रक्त वाहिकाओं की बीमारी है। रक्त वाहिकाओं में इसके जमा होने से नसों में ब्लॉकेज हो जाता है। इसे कल प्रक्रिया कहा जाता है जिससे नसों में शुक्राणु आने लगती है। रक्त वाहिकाएं मस्तिष्क हृदय किडनी हाथों पैरों समेत पूरे शरीर में है। इन सभी अंगों में समस्या हो सकती है अधिक समस्या हृदय और मस्तिष्क से जुड़ी होती है। इससे हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है।

कोलेस्ट्रॉल को कैसे करें नियंत्रित

                                                         

नियमित जांच एवं संतुलित जीवन शैली को अनिवार्य रूप से अपने,

जिन्हें हृदय रोग या अन्य समस्या है, उन्हें अधिक सतर्क रहना चाहिए

स्वस्थ है तो भी खानपान शाहिद रखें उच्च बस वाले भोजन से परहेज करें।

घी मक्खन और उन वनस्पति तेलों के सेवन में सतर्कता बढ़ते

                                                                 

कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने वाले सैचुरेटेड फैट और कोलेस्ट्रॉल के सीधे कारक जैसे अंडों और नॉनवेज आदि का सेवन सीमित करें।

सैचुरेटेड फैट वेज ओर नों वेज दोनों तरह के खाद में होता है। सैचुरेटेड फैट भी शरीर में जाकर कोलेस्ट्रॉल में परिवर्तित होता है।

कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में श्रम की बड़ी भूमिका होती है, इससे अतिरिक्त फैट बंद होता है।

प्रतिदिन लगभग 40 मिनट और हफ्ते में 5 से 6 दिन ब्रिस्ट वॉक स्विमिंग साइकलिंग रनिंग आदि आवश्यक है।

कोई भी एरोबिक एक्सरसाइ फायदेमंद है इससे कोलेस्ट्रॉल ब्लड प्रेशर शुगर आदि नियंत्रित होता है।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, हंस हॉस्पिटल मेरठ में मेडिकल ऑफिसर हैं।