बारिश के कारण बढ़ रही है बीमारियां कैसे बचे

बारिश के कारण बढ़ रही है बीमारियां इसे कैसे बचे

डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर

पिछले महीने तापमान लगभग 45 से 50 डिग्री सेंटीग्रेड कई प्रदेशों में पहुंच गया था, जिसके कारण लोग परेशान थे। लेकिन अब बारिश प्रारंभ हो गई है जिससे तापमान में गिरावट आई है लेकिन तापमान और बारिश के कारण निरंतर तापमान में उतार चढ़ाव हो रहा है। यह उतार चढ़ाव वायरल बुखार के लिए आदर्श समय है। जल जमाव व नमी से मच्छरों के पनपने से डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड और चिकनगुनिया का भी खतरा मंडरा रहा है। उमस के कारण त्वचा में खुजली एवं एलर्जी की समस्या होती है।

दूषित पानी से पेट के संक्रमण का भी खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा आंखों का लाल होना, खुजली की शिकायतें इस मौसम में आम हो जाती है। ऐसे में बेहतर होगा कि हम पर्याप्त सजगता बरत कर इन बीमारियों से अपने को बचा कर रखें।

अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं

प्रतिरोधक क्षमता का संबंध केवल अच्छे खान-पांच से नहीं होता है इसे संपूर्णता में समझने की आवश्यकता होती है। इसमें पूरी जीवन शैली एवं प्राथमिकताएं शामिल होती हैं। समुचित खान- पान एवं कसरत के साथ योग को भी शामिल करते हैं तो प्रतिरोधक क्षमता बेहतर बनी रहती है।

इससे आप संक्रमित होने पर दूसरों की अपेक्षा जल्दी ठीक हो सकते हैं। इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं रखने के लिए संतुलित खानपान के साथ-साथ योग और कसरत भी करते रहें।

मच्छरों के लिए दवाइयां            

मच्छरों से बचाव के लिए जल जमाव नही होने देना चाहिए। घरों के आसपास यदि आपको पानी भरा हुआ दिखाई देता है तो उसमें मच्छर मारने वाली दवाई डाल दें। जिससे वहां पर अधिक मच्छर न पनप सकें। घरों में यदि इंदौर प्लांट लगे हुए हो तो बीच-बीच में उन्हें धूप में रखें, जिससे गमले में मच्छर न बन सके। क्योंकि घर के अंदर रखे हुए गमले में यदि मच्छर पनपते हैं तो वह भी संक्रमण का कारण बन सकते हैं।

गर्भवती महिला को हेपेटाइटिस से बचाए

विषाक्त भोजन से हेपेटाइटिस का खतरा रहता है। गर्भवती महिलाओं को यदि हेपेटाइटिस बी का संक्रमण होता है तो यह बच्चे के लिए भी जोखिम भरा हो सकता है। यदि आपको हेपेटाइटिस के लक्षण दिखाई देते हैं तो उनकी जांच कारण तथा चिकित्सक से सलाह ले।

इन बातों का रखें विशेष ध्यान

  • मौसम में बदलाव से बच्चों बुजुर्गों को बुखार तथा संक्रमण का अधिक खतरा रहता है।
  • घर में यदि बुजुर्गों तथा बच्चों में संक्रमण है तो उनमें बुखार का खतरा अधिक रहता है।
  • त्वचा से जुड़ी परेशानी हो तो अपने से कोई भी मलहम या दबा ना खरीदे पहले चिकित्सक से राय ले, संभव है तो दवा जो आपने ली है वह समस्या से अलग हो सकती है। इसलिए चिकित्सक के परामर्श के बाद ही किसी भी दवा को खाएं और मलहम प्रयोग करें।
  • जिन लोगों को धूल से एलर्जी है बरसात में उन्हें पोलन एनर्जी का जोखिम बढ़ जाता है।
  • अस्थमा के मरीज हैं तो नमी वाले घरों या जहां दीवारों पर फंगस लगा हो उसे कमरे में ना रहे, इससे एलर्जी की समस्या अधिक बढ़ सकती है।

इन बातों को ना भूले

  • घर में कारपेट मेट एवं पर्दों को बदलते रहे। कपड़ों और फर्नीचर को समय-समय पर धूप दिखाते रहें।
  • कोशिश करें ताजी हवा में रहे, खिड़कियों को लगातार बंद न रखें। धूप अंदर आने दें ताकि सीलन न रहे।
  • घर से बाहर निकलते समय पूरी बांह के कपड़े पहने।
  • खाना गर्म एवं ताजा होना चाहिए।
  • संक्रमण तथा बुखार आने पर चिकित्सक को दिखाएं।
  • भूख न लगने की शिकायत बनी रहे खाने के प्रति अरूचि हो जाए।
  • बुखार में मरीज बड़बड़ाता हो, बुखार लगातार बना रहे।
  • गर्भवती महिला यदि संक्रमित हो जाए।
  • छोटे बच्चे या बुजुर्ग व्यक्ति को वायरल संक्रमण या डायरिया हो।
  • शरीर में कमजोरी महसूस हो रही हो और चक्कर से महसूस होते हो।
  • खाना खाने के बाद उल्टी आने तथा जी मिचलाता हो।

लेखक: डॉ0 दिव्याशु सेंगर, हंस हॉस्पिटल मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।