गुस्से और चिड़चिड़ेपन की वजह बन रही भीषण गर्मी

               गुस्से और चिड़चिड़ेपन की वजह बन रही भीषण गर्मी

                                                                                                                                                                         डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

उत्तर भारत में कई इलाकों का तापमान 48 डिग्री तक पहुंच गया है। भीषण गर्मी लोगों के शारीरिक अंगों के साथ-साथ उनके मूड पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, लंबे समय तक ज्यादा गर्मी में रहने की वजह से लोगों में चिड़चिड़ेपन और अत्यधिक क्रोध जैसे भाव उत्पन्न होने लगते हैं।

ठीक से ना सोच पाना भी लक्षण दिल्ली के मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास) के प्रोफेसर डॉ. ओम प्रकाश ने बताया कि बढ़ते तापमान से मानसिक स्वास्थ्य के खराब होना का खतरा बढ़ जाता है। चिड़चिड़ापन, आक्रामक व्यवहार और कभी-कभी ठीक से नहीं सोच पाना इसके शुरुआती लक्षण होते हैं। वहीं, कुछ लोगों में अत्यधिक गर्मी से भ्रम और भटकाव की स्थिति भी पैदा हो सकती है।                             

                                                                             

हृदय पर दबाव

यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, उच्च रक्तचाप से पहले ही दिल पर दबाव पड़ता है। मोटापा होना भी खतरे की बड़ी वजह है, इससे शरीर अधिक गर्मी बरकरार रखता है। इंग्लैंड के रोहैम्पटन विश्वविद्यालय ने शोध में पाया कि यदि तापमान 35 डिग्री से अधिक हो जाता है तो लोग जोर- जोर से सांस लेने लगते हैं और उनके हृदय की गति बढ़ जाती है।

दिमाग पर प्रभाव

जर्नल लाइब्रेरी साइंस ऑफ मेडिसीन के अनुसार, मनुष्य का शरीर अधिकतम 42.3 डिग्री सेल्सियस तापमान झेल सकता है। यदि कोई व्यक्ति थोड़ी देर के लिए इससे अधिक तापमान के संपर्क में रहता है तो दिमाग को काफी नुकसान पहुंचता है।

किडनी को नुकसान

अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज के अनुसार, जिन लोगों को किडनी रोग है उन्हें तो खतरा होता ही है, लेकिन जो इस बीमारी के होने के बाद भी अनजान रहते हैं और ऐसी स्थिति में गर्मी के संपर्क में आते हैं तो उनके लिए यह खतरनाक हो सकता है। अत्यधिक गर्मी से किडनी फेल तक भी हो सकती है।

                                                                             

तेज धूप और गर्मी से शरीर में सोडियम, पोटेशियम और क्लोराइट का संतुलन बिगड़ने लगता है। इसका असर दिमाग पर पड़ता है। जिससे व्यक्ति में चिड़चिड़ापन बढ़ता है। ऐसे में शरीर में पानी की कमी न होने दें। प्रति दो से तीन घंटों में नीबू पानी, लस्सी और शिकंजी जैसे पेय पदार्थ लेते रहें।

लेखकः डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, हंस हॉस्पिटल मेरठ में मेडिकल ऑफिसर हैं।