भीषण गर्मी और लू से हो रहे लोग परेशान

                    भीषण गर्मी और लू से हो रहे लोग परेशान

                                                                                                                                                                       डॉ0 दिव्यंशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

                                                      

भीषण गर्मी और लू से दहकते प्रदेश में इससे होने वाली मौतों की संख्या को को लेकर दावे प्रति दावे हो सकते हैं, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि जनजीवन पर तापमान का व्यापक असर देखने को मिल रहा है और अस्पतालों में बड़ी संख्या में इसेके शिकार लोग आ रहे हैं। आमतौर पर लू से होने वाली मौतों को अधिकारी अपनी गणना में शामिल नहीं करते, उनका तर्क होता है कि पोस्टमार्टम में इसकी पुष्टि होने के बाद ही यह कहा जा सकता है की मौत लू से हुई या नहीं। यह भी एक बड़ा सत्य है कि बड़ी संख्या में लू के शिकार लोग अस्पताल तक पहुंच ही नहीं पाते और बहुत से लोग अपने मरीजों की मौत के बाद पोस्टमार्टम करना ही नहीं चाहते। भीषण गर्मी और लू से हो रही मौतों को प्रशासन भले ही नकारे लेकिन अस्पतालों में इससे बचाव के सभी उपाय किए जाने चाहिए। विशेष तौर पर लू या हीट वेव के शिकार मरीज के उपचार का तुरंत इलाज किया जाए।

सभी सार्वजनिक स्थानों पर पानी की व्यवस्था भी आवश्यक हो, साथ ही जो जानवर है उनके लिए भी पानी की व्यवस्था की जानी चाहिए। इस बार गर्मी ने रिकॉर्ड तोड़ा है और प्रयागराज में बीते सोमवार को अर्थात 17 जून 2024 को देश में सर्वाधिक 47.6 डिग्री तापमान पहुंच गया तो इसके कर्म पर भी गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए पर्यावरण संतुलन बनाए रखकर ही मौसम का संतुलन भी किया जा सकता है।

                                                                            

प्रयागराज में ही राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने एक अभिनव शुरुआत की प्रेरणा दी है कि हर व्यक्ति अपनी मां के नाम पर एक पेड़ अवश्य लगाए। यह प्रतीकात्मक भले ही है लेकिन इसमें यह संदेश भी निहित है कि विकास के नाम पर जितने वृक्षों की कुर्बानी दी जा रही है उसकी भरपाई आवश्यक रूप से की जाए।

फिलहाल तो गर्मी का सितम जारी है और यदि इस बीच स्कूल, कॉलेज आदि खुलने जा रहे हैं तो उन्हें मौसम में परिवर्तन आने के बाद ही खोला जाना चाहिए। यह भी आवश्यक है कि बाहर भी तभी निकालने की आवश्यकता है, जब कहीं जाना बहुत ही आवश्यक हो, नहीं तो कोशिश करें कि दोपहर के समय घर से बाहर न निकले और अपने आपको इस भयंकर गर्मी से बचा कर रखें।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, हंस हॉस्पिटल मेरठ में मेडिकल ऑफिसर हैं।