गर्मी के दिनों में आंख में धुंधलापन दिखाई देता है तो कहीं आई स्ट्रोक तो नहीं      Publish Date : 23/06/2024

   गर्मी के दिनों में आंख में धुंधलापन दिखाई देता है तो कहीं आई स्ट्रोक तो नहीं

                                                                                                                                                              डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

इन दिनों गर्मी अपनी चरम सीमा पर है तेज गर्मी और लूप में स्ट्रोक की संभावनाएं अधिक बढ़ जाती हैं, आई स्ट्रोक किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है और पीड़ित व्यक्ति को अचानक एक आंख से कम दिखने प्रारंभ हो जाता है। अगर कोई सुबह सोकर उठता है और उसे एक आंख के आगे अंधेरा सा लगता है या वह आंशिक रूप से देख पता है तो उसे किसी प्रकार का दर्द नहीं हो रहा है तो यह आई स्ट्रॉक हो सकता है। इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से सलाह ले।

                                                                          

डॉक्टर कहते हैं कि तेज गर्मी में आई स्टॉक की आशंका बहुत अधिक बढ़ जाती है, स्ट्रॉक को रेटिनल आर्टरी ऑक्लूजन भी कहा जाता है। यह तब होता है जब रेटिना तक खून और ऑक्सीजन ले जाने वाली धमनियों में से किसी एक में अचानक रुकावट आ जाती है। ऐसे में आपकी आंखों में मौजूद रेटिना की नसें और आर्टिरीज सुचारू रूप से काम करना बंद कर देती हैं। इस हालत में आंखों को पर्याप्त मात्रा में रक्त और ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है, जिसकी वजह से थक्का बनने या फिर आर्टिरीज के सिकुड़ने की आशंका बढ़ जाती है।

रेटिना, आंख का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है यह मस्तिष्क को दृश्य समझने में काफी मदद करती है। जब रेटिना की रक्त आपूर्ति बाधित हो जाती है तो आंख में धुंधलापन छा जाता है और आंख की रोशनी प्रभावित होने लगती है। आंखों के सामने काले घेरे से घूमते हुए से नजर आते हैं और दृष्टि में हुआ यह परिवर्तन बिना किसी दर्द के होता है। आई स्ट्रॉक किसी भी उम्र में हो सकता है। लेकिन जिन लोगों का हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल, कोरोनरी आर्टिरीज डिजीज, डायबिटीज और ग्लूकोमा जैसी बीमारी है और अगर किसी की उम्र 60 वर्ष से अधिक है तो आई स्टोर का खतरा बढ़ जाता है और पहले भी आई स्ट्रॉक हुआ तो इसके दोबारा होने की भी संभावना बनी रहती है। इसके अलावा तेज गर्मी और लू के कारण आंखों में निर्जलीकरण और रक्त में गाढ़ापन बढ़ सकता है, जिससे आंखों की रक्त वाहिकाओं में थक्का बनने का या फिर आर्टिरीज में सिकुड़न होने की आशंका बढ़ जाती है। इस स्थिति के उपचार के लिए नेत्र रोग विशेषज्ञ समस्या की गंभीरता के अनुसार रक्त को पतला करने वाली दवाईयां रिसाव वाली रक्त वाहिकाओं को बंद करने के लिए लेजर थेरेपी कुछ मामलों में पैरासेंटेसिस दबाव को दूर करने के लिए आंख में इंजेक्शन लगाना है पर बारीक ऑक्सीजन थेरेपी या सर्जरी की मदद भी लेते हैं।

कैसे करें इस जोखिम को कम

आंखों की नियमित जांच करते रहें।

अपनी रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखें।

रक्तचाप कोलेस्ट्रॉल और आंखों के दबाव के स्तर को नियंत्रित रखें।

दिन के समय बाहर जाने पर आंखों पर पराबैंगनी किरणों से रक्षा करने वाली धूप का चश्मे का उपयोग करें।

भरपूर मात्रा में पानी पीने से आपकी आंखों में नमी बनी रहती है और निर्जलीकरण की समस्या से बचाव होता है।

कोशिश करें कि दिन में आंखों को पानी से धोते रहे

                                                                  

आई स्ट्रोक होने के बाद धुंधला दिखाई दे सकता है और समस्या के गंभीर होने पर अंधापन भी हो सकता है। आंखों की धमनियां हृदय से रक्त को रेटिना तक ले जाती हैं, लेकिन जब रक्त का बहाव रुक जाता है तो कोशिकाएं करने लगती हैं। याद रखें कि आई स्ट्रोक एक आपातकालीन स्थिति है, इसलिए आपको समय रहते ही इसका इलाज कर लेना चाहिए। यदि आप तुरंत इलाज नहीं करते हैं तो आप अपनी दृष्टि को स्थाई रूप से भी खो सकते हैं। अगर किसी को उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, उच्च कोलेस्ट्रॉल, धूम्रपान की लत, खून के जमने का इतिहास, गुर्दे और जिगर की बीमारी है तो उसे इसमें विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है। तेज गर्मी के दिनों में इसका खतरा और बढ़ जाता है, इसलिए सावधान और सतर्क बने रहे समस्या होने पर किसी भी आई स्पेशलिस्ट से संपर्क कर समस्या निदान करा सकते हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।