जलवायु परिवर्तन के कारण स्ट्रोक और माइग्रेन से ग्रस्त लोगों को खतरा अधिक

जलवायु परिवर्तन के कारण स्ट्रोक और माइग्रेन से ग्रस्त लोगों को खतरा अधिक

                                                                                                                                                                         डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

जलवायु परिवर्तन और लगातार तापमान में हो रही वृद्धि के कारण लोगों के जीवन पर भी किसी न किसी रूप में इसका प्रभाव पड़ रहा है। इनमें ऐसे लोग भी शामिल हैं जो मानसिक और तंत्रिका संबंधी विकारों जैसे स्ट्रोक, माइग्रेन और मिर्गी जैसी बीमारियों से पहले से ही पीड़ित है, उनके लिए यह जलवायु परिवर्तन काफी घातक साबित हो रहा है।

                                                                                

न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर संजय सिसोदिया के नेतृत्व में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) के शोधकर्ताओं के अध्ययन में यह बात सामने आई है। इस अध्ययन के अनुसार जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम के पैटर्न में आ रहे बदलाव और लगातार हो रही वृद्धि के कारण मौसमी घटनाएं, मानसिक बीमारियों से जूझ रहे लोगों के स्वास्थ्य पर काफी गहरा प्रभाव डाल रही है।

अंतरराष्ट्रीय जनरल लाइसेंस न्यूरोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने वर्ष 1968 और वर्ष 2030 के बीच प्रकाशित की विस्तृत समीक्षा की है और एक रिव्यू प्रकाशित किया है। इसके अलावा शोधकर्ताओं ने ग्लोबल वार्डन ऑफ डिजीज वर्ष 2016 अध्ययन के आधार पर तंत्रिका तंत्र संबंधी 19 स्थितियों की जांच की है। इनमें स्टॉक, माइग्रेन, अल्जाइमर, मेनिनजाइटिस, मिर्गी और मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस शामिल है। इसके अलावा चिंता अवसाद और शिजोफ्रेनिया जैसी मानसिक बीमारियों पर भी जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का विश्लेषण किया गया है।

भारत पर जलवायु परिवर्तन का असर सबसे अधिक

 दुनिया में सबसे ज्यादा पर्यावरण और जलवायु संबंधी जोखिमों का सामना कर रहे 100 शहरों में से 43 अकेले भारत में ही हैं जबकि 37 चीन में है। बारिश के मैपलक्रॉफ्ट की रिपोर्ट एनवायरमेंटल रिस्क आउटलुक के अनुसार पर्यावरण और जलवायु संबंधी जोखिम के आधार पर दुनिया के 576 शहरों को श्रेणीबद्ध किया गया है। इनमें से 100 शहर जो सबसे ज्यादा खतरे में है उनमें से 99 अकेले एशिया में है जबकि अकेला लीम गैर एशियाई शहर है।

जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली घटनाओं से होती है नींद की  परेशानियां

                                                                           

शोधकर्ताओं के अनुसार अचानक बढ़ा तापमान और दैनिक तापमान में आया बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव विशेष रूप से जब वह दो ऋतुओं के लिए आसमान हो तो जलवायु में आए ऐसे बदलाव मस्तिष्क संबंधी रोगों को प्रभावित करते देखे गए हैं। रात के समय तापमान भी बेहद मायने रखता है क्योंकि गर्म राते हैं नींद को नहीं आने देती और लोग इससे परेशान रहते हैं। खराब नींद की वजह से दिल से जुड़ी कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

भीषण गर्मी या लू के दौरान स्टॉक की वजह से अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है। इसी तरह इसकी वजह से दिवांगता या मृत्यु दर में भी वृद्धि के सबूत मिले हैं और ऐसा ही कुछ मनोभ्रंश से पीड़ित लोगों में भी देखा गया है।

लेखकः डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाला शर्मा जिला चिकित्सालय, मेरठ में मेडिकल ऑफिसर हैं।