फलदार पौधों को रोपने से पहले की तैयारी      Publish Date : 21/06/2025

           फलदार पौधों को रोपने से पहले की तैयारी

                                                                                                                                                 प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं अन्य

मानसून के दस्तक देने के साथ ही अधिकतर फलदार पौधे जैसे आम, नींबू, अमरूद, लीची और अनार आदि के पौधों की रोपाई का काम शुरू हो जाता है। फलदार पौधों की रोपाई के बाद सूखे न और उनका समुचित विकास हो, इसके लिए जरूरी हो जाता है कि किसान पौध रोपाई के पूर्व की बरती जाने वाली सावधानियों और कामों को समय से पूरा किया जाए।

तुरंत ही गड्ढ़ा खोदने के बाद पौधा लगाने से एक तो पौधों जड़ें गहराई तक नहीं जाने से पौधों की बढ़वार सही तरीके हो पाती है और पौधों को पोषक तत्वों की खुराक भी सही से नहीं मिल पाती है और फल भी शीघ्र प्राप्त होने लगते हैं।

पौधों को लगाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि यदि आप बाग लगाने की तैयारी कर रहे हैं तो इससे पहले आपको मिट्टी की जांच अवश्य करानी चाहिए। बाग की स्थापना के लिए स्थान का चयन करने के उपरांत रेखांकन करने के बाद गड्ढ़े बनाने का काम जल्द ही पूरा किया जाना चाहिए। फलदार पौधों के लिए 3 से 4 मीटर लम्बी लाइन और 3 से 4 मीटर पौधे से पौधे की दूरी रेखते हुए ही रेखांकन का कार्य किया जाना चाहिए।

गड्ढ़ों की खुदाई और भराई

                                                      

बाग लगाने के लिए जब आप दूरी का रेखांकन कर लेते हैं तो निधार्रित दूरी पर ट्रैक्टर से संचालित होल डिगर अथवा फावड़े से बड़ी लम्बाई वाले पेड़ों के लिए 1 मीटर गहरा, 1 मीटर चौड़ा और 1 मीटर लम्बा जबकि मध्यम और बौने किस्म के पेड़ों के लिए आधा मीटर गहरा, आधा मीटर चौड़ा और आधा मीटर लम्बा गड्ढा खोदा जाना चाहिए।

गड्ढ़ा खोदने के दौरान ध्यान रखना चाहिए कि गड्ढ़े से निकाली गई मिट्टी की ऊपरी सतह और निचली सतह की मिट्टी को अलग रखना चाहिए, जो गड्ढ़ा भराई के दौरान काम आ जाती है। गड्ढ़ा खोदते समय निकली मिट्टी को कम से कम 14 दिन के लिए कड़ी धूप में ही रहने देना चाहिए, जिससे मिट्टी के अंदर मौजूद हानिकारक कीट एवं खरपतवार के बीच मर जाते हैं।

जब मिट्टी धूप से पूरी तरह से शोधित हो जाए तो प्रति गड्ढ़ा 40 से 50 किलोग्राम अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद अथवा कम्पोस्ट खाद, 100 ग्राम से 500 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट और 500 ग्राम से 1 किग्रा. पोटाश को अच्छी तरह से मिला लेना चाहिए। इसके बाद गड्ढ़े से निकाली गई ऊपर वाली मिट्टी को पहले और नीचे वाली मिट्टी को बाद में डालते हुए गड्ढ़ों की भराई कर देनी चाहिए।

गड्ढ़ों की भराई करने के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि जब आप गड्ढद्यों की भराई कर रहे हों तो गड्ढ़े के आसपास की सतह से कम से कम 20 से.मी. से अधिक मिट्टी की ऊँचाई को बनाकर रखें। ऐसा करने से रोपे गए पौधों के आसपास जल भराव की स्थिति नहीं होती है।

                                                        

गड्ढ़ा भराई के तुरंत बाद ही सभी गड्ढ़ों के बीच कोई मजबूत लकड़ी की खूंटी गाड़ दें, जो कि बाद में पौध रोपण के दौरान निर्धारित करता है कि गड्ढ़े के मध्य वाले स्थान पर ही पौधों की रोपाई करनी है। इस प्रक्रिया को पूर्ण करने के बाद यदि बारिश हो जाती है तो ठीक है, यदि बारिश नहीं होती है तो गड्ढ़ों की भराई करने के तुरंत बाद ही सिंचाई कर देनी चाहिए। ऐसा करने से गड्ढ़ों वाले स्थान पर जितनी मिट्टी बैठ होती है वह बैठ जाती है।

फलदार पौधों की रोपाई करने का सबसे अच्छा समय जुलाई से सितम्बर माह को माना जाता है। जब भी आप पहले से ही तैयार किए गए गड्ढ़ों में पौध रोपण करें तो पौध रोपण के 5 दिन पहले दीमक-रोधी रसायन के साथ अन्य हानि पहुँचाने वाले कीटों से पौधों को बचाने के लिए ऊपरी सतह को क्लोरोपाइरीफॉस या फैनवैलरेट दवाओं के साथ उन्हें उपचारित कर लें। इसके बाद गड्ढ़ों को तैयार करते समय गड्ढ़ों के बीच जो खूंटियाँ गाड़ी थी, उन्हें उखाड़कर पौध रोपण के लिए पॉलीपैक या पिंडी से प्लास्टिक कवर को हटाकर पौधे की रोपाई कर दें। इसके बाद मिट्टी को अच्छी तरह से दबाकर तुरंत ही सिंचाई कर दें।

रोपाई के बाद पौधों की उचित बढ़वार और फलन प्राप्त करने के लिए समय समय पर खाद-उर्वरक देने के साथ ही निराई-गुड़ाई और खरपतवार नियंत्रण करते रहें और इसके साथ ही पौधों में कीट एवं रोग आदि का आक्रमण न हो इसलिए पौधों की देखभाल करते रहें।

बाग लगाने के दौरान कुछ बातों का रखें विशेष ध्यान

  • गड्ढ़ों में पौधों को लगात समय ध्यान रखें कि पौधों को उतनी ही गहराई पर गड्ढ़ों में लगाए जितनी गहारई पर वे नर्सरी, गमले अथवा पॉलीथिन की थैली में था, अन्यथा अधिक गहराई पर पौधे के तनो को हानि पहुँच सकती है और कम गहराई पर लगाने से पौधे की जड़ें मिट्टी से बाहर रह जाती हैं, जिससे जड़ों को नुकसान होता है।
  • पौधों की रोपाई करने से पूर्व पौधों की अधिकांश पत्तियों को तोड़ देना उचित रहता है, लेकिन पौधे की ऊपरी 4 से 5 पत्तियों को छोड़ देना चाहिए। पौधों में अधिक पत्तियाँ रहने से जल हानि अधिक होती है और पौधा जमीन से पानी नहीं सोख पाता है, जिससे उसकी जड़ें सक्रिय नहीं हो पाती हैं और पानी की कमी के कारण पौधा मर भी सकता है।
  • पौधे का कलम वाला स्थान भूमि से ऊपर ही रखना उचित रहता है, अन्यथा कलम वाला भाग सड़ने लगता है और इससे पौधा मर भी सकता है।
  • पौधे में ग्राफ्टिंग के जोड़ की दिशा दक्षिण-पश्चिम की ओर रहनी चाहिए, ऐसा करने से तेज हवा में यह जोड़ टूटने से बचा रहता है।
  • जब पौध की रोपाई कर लें तो उसके आसपास की मिट्टी को अच्छी तरह से दबा देना चाहिए, ऐसा करने से सिंचाई करने के बाद पौधा टेढ़ा नही होता है।
  • पौधे को लगाने के तुरंत बाद ही उसकी सिंचाई कर देनी चाहिए।
  • गड्ढ़ों में पौधों को शाम के समय ही लगाना उचित रहता है।
  • यदि बाग के लिए पौधे किसी दूर के स्थान से लाए गए हैं तो पहले उन्हें गमले में रखकर एक सप्ताह के लिए किसी छायादार स्थान पर रख देना चाहिए। ऐसा करने से पौधों के आवगमन में हुई क्षति की पूर्ति हो जाती है।

पौघों का चयन करते समय रखें ध्यान

  • यह सुनिश्चित् करें कि पौधों की कलम बांधे हुए कम से कम एक वर्ष हो चुका हो, इससे पौधा के सूखने की आशंका समाप्त हो जाती है।
  • पौधें की विश्वसनीयता की जांच अवश्य करें। मदर प्लांट वाले स्थान से पौधों की खरीददारी करें।
  • रोपाई किए जाने वाले पौधे रोग रहित होने चाहिए।
  • एक तने वाले, कम ऊँचाई वाले और कम फैलाव वाले पौधो ही उत्तम रहते हैं।
  • पौधों का मिलन बिंदु अर्थात जहां कलम बांधी गई है या ग्राफ्टिंग की गई है वहां से अच्छी तरह से जुड़ा होना चाहिए।
  • सदैव पॉलीपैक यानी पॉलीथिन में लगे हुए पौधों को ही खरीदना चाहिए।   

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।